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व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता में सुधार

(प्रारंभिक परीक्षा : श्रम कानून, वेतन संहिता, औद्योगिक संबंध संहिता, सामाजिक सुरक्षा संहिता, ओएसएच कोड)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोजगार से संबंधित विषय)

संदर्भ 

  • हाल ही में, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के तहत श्रम कल्याण महानिदेशालय ने ‘व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य संहिता’ की धारा 18 (1) के तहत बीड़ी और सिगार से संबंधित कार्यस्थलों के लिए व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य (OSH) पर एक मसौदा मानक तैयार करने के उद्देश्य से एक समिति के गठन के लिए नोटिस जारी किया है।

पृष्ठभूमि 

  • केंद्र ने श्रम कानूनों के 29 सेटों को बदलने के लिए चार श्रम संहिता अधिसूचित किए थे : 
    • वेतन संहिता, 2019; 
    • औद्योगिक संबंध संहिता, 2020; 
    • सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020; 
    • ओएसएच कोड, 2020
  • हालाँकि, संसद द्वारा अधिसूचित एवं पारित किए गए ये सभी संहिता अभी तक लागू नहीं किए गए हैं।

ओएसएच संहिता, 2020 

ओएसएच संहिता 13 प्रमुख श्रम कानूनों के 633 प्रावधानों को 143 प्रावधानों के साथ एक एकल कोड में समाहित करता है।

प्रमुख विशेषताएं 

  • ओएसएच संहिता 2020 उद्योग, व्यापार, व्यवसाय, विनिर्माण, कारखाने, मोटर परिवहन उपक्रम, भवन एवं अन्य निर्माण कार्य, समाचार पत्र प्रतिष्ठानों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत श्रमिकों के स्वास्थ्य, सुरक्षा व कल्याण पर जोर देती है। 
  • यह संहिता केंद्र सरकार के कार्यालयों, राज्य सरकारों के कार्यालयों और किसी भी राष्ट्रीय  युद्धपोत  पर लागू नहीं होती है।
  • इस संहिता के अंतर्गत आने वाले प्रतिष्ठानों को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा नियुक्त पंजीकरण अधिकारियों के समक्ष इलेक्ट्रॉनिक रूप से 60 दिनों के भीतर (संहिता के शुरू होने के) पंजीकरण कराना आवश्यक है। 
  • इसके अलावा, कारखाना एवं खदान जैसे कुछ प्रतिष्ठान और बीड़ी व सिगार श्रमिकों जैसे कुछ श्रेणियों के श्रमिकों को काम पर रखते हैं, उन्हें संचालन के लिए अतिरिक्त लाइसेंस की आवश्यकता हो सकती है।
  • इस संहिता के प्रावधान ऐसे प्रत्येक प्रतिष्ठान पर लागू होते हैं जिसमें 10 या अधिक अंतर-राज्य प्रवासी श्रमिक कार्यरत हैं या विगत 12 महीनों के किसी भी दिन कार्यरत थे।

इसे भी जानिए!

  • भारत में ‘श्रम’ संविधान की समवर्ती सूची के अंतर्गत आता है। इसलिए, संसद एवं राज्य विधानमंडल दोनों श्रम को विनियमित करने वाले कानून बना सकते हैं। 
  • वर्तमान में 100 से अधिक राज्य और 40 केंद्रीय कानून हैं जो श्रम के विभिन्न पहलुओं जैसे औद्योगिक विवादों का समाधान, कार्य स्थिति, सामाजिक सुरक्षा एवं मजदूरी को विनियमित करते हैं।

बीड़ी एवं सिगार से संबंधित कार्यस्थलों के लिए ओएसएच पर वर्तमान मसौदा

  • ओएसएच संहिता की धारा 18(1) कारखानों, खदानों, गोदी (पोर्ट) कार्य, बीड़ी एवं सिगार, भवन व अन्य निर्माण कार्य और अन्य प्रतिष्ठानों से संबंधित कार्यस्थलों के लिए व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य मानकों से संबंधित है।
  • संहिता निर्दिष्ट करती है कि कोई भी नियोक्ता किसी भी स्थान या परिसर को औद्योगिक परिसर के रूप में उपयोग की अनुमति तब तक नहीं देगा, जब तक कि उनके पास इन प्रावधानों के प्रयोजनों के लिए इस संहिता के तहत जारी वैध लाइसेंस न हो।  
    • यह लाइसेंस पांच वर्ष के लिए वैध होगा और उसके बाद नवीनीकृत किया जा सकता है। 
  • इन प्रावधानों के प्रयोजनों के लिए लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन राज्य सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क के भुगतान पर उसकी अवधि की समाप्ति से कम-से-कम 30 दिन पहले किया जाना चाहिए।

वर्तमान संहिता से जुड़े प्रमुख मुद्दे

  • यह संहिता कम-से-कम 10 या अधिक श्रमिकों वाले प्रतिष्ठानों में कार्यरत श्रमिकों को कवर करती है। व्यावसायिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा कानूनों में सभी श्रमिकों को शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उनके मूल अधिकारों की रक्षा की जा सके।
  • हालांकि, यह संहिता मौजूदा अधिनियमों को समेकित करती है किंतु यह उनके प्रावधानों को सरल बनाने में विफल रही है।
  • यह संहिता सिविल अदालतों को संहिता के तहत मामलों की सुनवाई से रोकती है। अत: इस संहिता के तहत पीड़ित व्यक्ति के लिए एकमात्र न्यायिक उपाय संबंधित उच्च न्यायालय के समक्ष रिट याचिका है।
  • संहिता में मजदूरी परिभाषित नहीं है। यह संहिता ओवरटाइम काम और छुट्टी की गणना से संबंधित प्रावधानों में केवल ‘मजदूरी’ को संदर्भित करती है। विभिन्न कानूनों में 'मजदूरी' शब्द की अलग-अलग परिभाषाएँ हैं।
  • यह संहिता अनेक मानकों को निर्दिष्ट नहीं करता है बल्कि ऐसे मामले सरकार की ओर से अधिसूचना के लिए छोड़ दिये गये हैं। 

आगे की राह के लिए सुझाव 

  • वर्तमान मुद्दों को हल करने के लिए सरकार द्वारा सभी मजदूर संगठनों एवं हितधारकों संवाद करना। 
  • केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा 10 से कम श्रमिकों वाले उद्योगों के लिए भी कुछ नियम-निर्देश जारी करना। 
    • क्योंकि श्रमिकों का स्वास्थ्य एवं जीवन की सुरक्षा एक मौलिक अधिकार है, जिसकी सुरक्षा राज्य का नीति-निर्देशक कर्तव्य होता है। 
  • बीड़ी सेस बंद होने के कारण निष्क्रिय कल्याण बोर्ड को श्रमिक कल्याण के लिए पुन: त्वरित रूप से शुरू करने की आवश्यकता
  • अभी तक स्पष्ट नहीं किये गए कल्याणकारी मानकों पर ध्यान देना। 
  • बहुत सारे पुराने कानूनों के समेकन के बाद भी नए संहिता में प्रावधानों को सरल बनाने की आवश्यकता।
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