चर्चा में क्यों ?
बिहार के नालंदा ज़िले के राजगीर में रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर का उद्घाटन किया गया। इस समारोह का नेतृत्व भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे और भारत के केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने किया। उद्घाटन पारंपरिक भूटानी बौद्ध रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों के साथ संपन्न हुआ।

उद्घाटन समारोह की विशेषताएँ
- उद्घाटन भूटानी परंपरागत बौद्ध अनुष्ठानों के अनुसार किया गया।
- भारत और भूटान के उच्च-स्तरीय प्रतिनिधि, अधिकारी और धार्मिक नेता उपस्थित रहे।
- यह आयोजन धार्मिक कूटनीति और सांस्कृतिक एकीकरण का प्रतीक रहा।
- कार्यक्रम का मुख्य संदेश: भारत-भूटान की आध्यात्मिक मित्रता और साझा बौद्ध विरासत का सुदृढ़ीकरण।
प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे का वक्तव्य
- यह मंदिर भारत-भूटान संबंधों को मजबूत करेगा।
- यह दोनों देशों के साझा बौद्ध मूल्यों, आध्यात्मिकता और आपसी सम्मान का प्रतीक है।
- भूटान और भारत का रिश्ता सिर्फ राजनीतिक या आर्थिक नहीं, बल्कि गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक बंधन पर आधारित है।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू का वक्तव्य
- भारत और भूटान की स्थायी मैत्री की सराहना की।
- इस मंदिर को बौद्ध विरासत के संरक्षण, शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने वाला कदम बताया।
- इसे बौद्ध पर्यटन और क्षेत्रीय संपर्क को प्रोत्साहन देने वाला एक महत्वपूर्ण प्रयास माना।
राजगीर का महत्व :
- स्थान: नालंदा ज़िला, बिहार।
- बौद्ध धर्म में स्थान:
- भगवान बुद्ध ने यहाँ कई वर्षों तक ध्यान और धर्मोपदेश दिए।
- यहीं पर उन्होंने मठवासी समुदाय (संघ) की स्थापना की।
- बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद आयोजित प्रथम बौद्ध संगीति (First Buddhist Council) का आयोजन भी राजगीर में हुआ।
- राजगीर, वैश्विक बौद्ध तीर्थस्थलों में एक प्रतिष्ठित स्थान रखता है।
रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर का महत्व
- राजगीर की आध्यात्मिक प्रतिष्ठा को और अधिक मजबूत करता है।
- आगंतुकों और तीर्थयात्रियों के लिए एक नया वास्तुशिल्प और सांस्कृतिक आकर्षण।
- भारत के पवित्र परिदृश्य में भूटानी आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक।
- भारत-भूटान मैत्री और साझा बौद्ध धरोहर का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व।
- धार्मिक कूटनीति और बौद्ध पर्यटन को बढ़ावा देने का माध्यम।
प्रश्न. हाल ही में रॉयल भूटान बौद्ध मंदिर का उद्घाटन कहाँ किया गया ?
(a) बोधगया
(b) लुम्बिनी
(c) राजगीर (नालंदा, बिहार)
(d) कुशीनगर
|