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नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड का बढ़ता स्तर

चर्चा में क्यों?

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड (NO2) का वार्षिक औसत स्तर निर्धारित सीमा से अधिक बना हुआ है।

नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड की अनुमन्य सीमा

  • नाइट्रोजन डाईऑक्साइड अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस है। यह उच्च तापमान पर ईंधन के दहन से निर्मित होती है, अत: ऑटोमोबाइल, ट्रक, निर्माण उपकरण और नौकाएँ इसके उत्सर्जन के लिये उत्तरदायी हैं।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नाइट्रोजन डाईऑक्‍साइड की वार्षिक औसत सीमा 25 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तय की है जबकि सी.पी.सी.बी. ने यह सीमा 40 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर निर्धारित की है।

हानियाँ

  • नाइट्रोजन ऑक्साइड, फोटोकेमिकल स्मॉग और अम्लीय वर्षा के प्राथमिक कारणों में से एक है।
  • इससे जलन और श्वसन प्रणाली से संबंधित समस्याएँ (जैसे- अस्थमा, खाँसी, फेफड़ों का संक्रमण आदि) पैदा हो सकतीं हैं।
  • ट्रोपोस्फेरिक या ‘ग्राउंड लेवल ओज़ोन’ के निर्माण के लिये ‘नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स’ एक केंद्रीय घटक है।
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