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भारत और बांग्लादेश : प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की तुलना

(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से सम्बंधित विषय)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, आई.एम.एफ. द्वारा जारी ‘वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण’ के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार बांग्लादेश प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. में भारत से आगे निकल गया है।

पृष्ठभूमि

आई.एम.एफ. के नवीनतम अनुमानों के अनुसार वर्ष 2020 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) में 10% से अधिक का संकुचन हो सकता है, जबकि कुछ समय पूर्व 4.5% के संकुचन का अनुमान व्यक्त किया गया था। इन सबके बीच वर्ष 2020 में एक औसत बांग्लादेशी नागरिक की प्रति व्यक्ति आय एक औसत भारतीय नागरिक की प्रति व्यक्ति आय से अधिक होने के अनुमान ने भी सबका ध्यान आकर्षित किया है।

कारण

  • आमतौर पर, देशों की तुलना जी.डी.पी. वृद्धि दर या निरपेक्ष जी.डी.पी. (Absolute GDP) के आधार पर की जाती है। आजादी के बाद अधिकांश समय इन दोनों गणनाओं के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था बांग्लादेश से बेहतर ही रही है।

india-bangladesh

  • उपरोक्त चार्ट से स्पष्ट है कि अधिकतर समय भारत की अर्थव्यवस्था का आकार बांग्लादेश से 10 गुना अधिक रहा है और लगभग प्रत्येक वर्ष इसमें तेज़ी से वृद्धि हुई है।
  • हालाँकि, प्रति व्यक्ति आय में भी समग्र जनसंख्या के रूप में एक अन्य चर भी शामिल होता है। कुल जनसंख्या द्वारा कुल जी.डी.पी. को विभाजित करके इसको प्राप्त किया जाता है। परिणामस्वरूप, इस वर्ष भारत की प्रति व्यक्ति आय के बांग्लादेश से नीचे होने के तीन कारण हैं-
    • पहला कारण यह है कि वर्ष 2004 के बाद से बांग्लादेश की जी.डी.पी. वृद्धि दर काफी तेज़ रही है। फिर भी वर्ष 2004 और 2016 के मध्य दोनों अर्थव्यवस्थाओं के सापेक्ष पदों में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है, क्योंकि भारत की वृद्धि दर तुलनात्मक रूप से तीव्र रही है। हालाँकि, वर्ष 2017 के बाद से भारत की विकास दर में से गिरावट आई है, जबकि बांग्लादेश की वृद्धि दर और भी तेज़ हो गई है।
    • दूसरा कारण यह है कि 15 वर्ष की इसी अवधि में भारत की जनसंख्या (लगभग 21%) बांग्लादेश की जनसंख्या (18% से भी कम) की तुलना में तेज़ी से बढ़ी है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2007 में वैश्विक वित्तीय संकट से ठीक पहले बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. भारत की आधी थी।
    • सर्वाधिक तात्कालिक कारण वर्ष 2020 में दोनों अर्थव्यवस्थाओं पर कोविड-19 का सापेक्ष प्रभाव था। इस दौरान भारत की जी.डी.पी. में कमी का अनुमान है, जबकि बांग्लादेश की जी.डी.पी. में लगभग 4% वृद्धि की उम्मीद है।

पूर्व उदाहरण

  • वर्ष 1991 में, गम्भीर आर्थिक संकट के दौरान जब भारत की वृद्धि दर 1% से कुछ ही अधिक थी तो बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. भारत से अधिक हो गयी थी। हालाँकि, इसके बाद भारत ने फिर से बढ़त प्राप्त कर ली।
  • आई.एम.एफ. के अनुमानों से पता चलता है कि भारत में अगले वर्ष तेज़ी से वृद्धि की सम्भावना है, परंतु बांग्लादेश की जनसंख्या में कम वृद्धि दर और तीव्र आर्थिक विकास को देखते हुए निकट भविष्य में भारत और बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति आय एक-दूसरे के काफी नजदीक रहने की सम्भावना है।

बांग्लादेश की तीव्र आर्थिक वृद्धि का कारण

  • आजादी के बाद एक नए देश के रूप में बांग्लादेश के श्रम कानून उतने कड़े नहीं थे और अर्थव्यवस्था में महिलाओं को तेज़ी से शामिल किया गया था, जिससे वहां की श्रम शक्ति में महिलाओं की उच्च भागीदारी देखी जा सकती है।
  • विकास का एक प्रमुख संचालक कपड़ा उद्योग था, जहाँ महिला श्रमिकों ने बांग्लादेश को वैश्विक निर्यात बाज़ारों में बढ़त बनाने में सहायता प्रदान की।

inflation

  • साथ ही, बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की संरचना ऐसी है कि इसका सकल घरेलू उत्पाद औद्योगिक क्षेत्र द्वारा संचालित होता है। इसके बाद सेवा क्षेत्र का स्थान आता है। ये दोनों क्षेत्र कृषि की तुलना में अधिक पारिश्रमिक और रोज़गार पैदा करने वाले क्षेत्र हैं, जबकि भारत में अभी भी बहुत से लोग कृषि पर निर्भर हैं।
  • उत्तरोत्तर तेज़ विकास दर का एक प्रमुख कारण अर्थव्यवस्था के साथ-साथ बांग्लादेश में पिछले दो दशकों में स्वास्थ्य, स्वच्छता, वित्तीय समावेशन और महिलाओं के राजनीतिक प्रतिनिधित्त्व जैसे कई सामाजिक और राजनीतिक पैमानों में सुधार होना भी है।
  • 154 देशों के नवीनतम लिंग समानता रैंकिंग में भी बांग्लादेश शीर्ष 50 में है, जबकि भारत 112वें पायदान पर है। यह रैंकिंग राजनीतिक व आर्थिक अवसरों के साथ-साथ पुरुषों और महिलाओं के शैक्षिक प्राप्ति व स्वास्थ्य के अंतर को मापता है।

बांग्लादेश के समक्ष चुनौतियाँ

  • पहली चुनौती गरीबी है, जिसका स्तर बांग्लादेश में अभी भी भारत की तुलना में बहुत अधिक है। विश्व बैंक के अनुसार, ‘गैर-कृषि क्षेत्र में दैनिक एवं स्व-नियोजित श्रमिकों तथा विनिर्माण क्षेत्र में वेतनभोगी श्रमिकों पर उच्चतम प्रभाव के साथ, वर्तमान समय में अल्पावधि में गरीबी में काफी वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • इसके अलावा, बांग्लादेश अभी भी भारत से बुनियादी शिक्षा मापदंडों में पीछे है और यही मानव विकास सूचकांक में इसकी निचली रैंक का कारण है।
  • हालाँकि, बांग्लादेश की सबसे बड़ी चिंता आर्थिक मोर्चे पर नहीं बल्कि राजनीतिक मोर्चे पर है। सार्वजनिक भ्रष्टाचार, कट्टरपंथी इस्लाम में भारी वृद्धि और राजनीतिक हिंसा यहाँ की एक बड़ी समस्या है।
  • इन समस्याओं से न केवल बांग्लादेश के प्रगतिशील सामाजिक सुधारों में रुकावट आ सकती है, जिन्होंने महिलाओं को सशक्त बनाया है, बल्कि इसका आर्थिक विकास भी प्रभावित हो सकता है।

प्री फैक्ट :

  • आई.एम.एफ. द्वारा जारी ‘वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण’ के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार बांग्लादेश प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. में भारत से आगे निकल गया है।
  • आमतौर पर, देशों की तुलना जी.डी.पी. वृद्धि दर या निरपेक्ष जी.डी.पी. (Absolute GDP) के आधार पर की जाती है।
  • वर्ष 1991 में, गम्भीर आर्थिक संकट के दौरान बांग्लादेश की प्रति व्यक्ति जी.डी.पी. भारत से अधिक हो गयी थी।
  • बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की संरचना ऐसी है कि इसका सकल घरेलू उत्पाद औद्योगिक क्षेत्र द्वारा संचालित होता है। इसके बाद सेवा क्षेत्र का स्थान आता है।

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