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भारत और नॉर्वे मिलकर बनाएँगे पहला स्वदेशी ध्रुवीय अनुसंधान पोत

चर्चा में क्यों?

  • कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने नॉर्वे की प्रमुख समुद्री प्रौद्योगिकी कंपनी कोंग्सबर्ग के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। 
  • इस समझौते के तहत, भारत अपना पहला स्वदेशी ध्रुवीय अनुसंधान पोत (Polar Research Vessel - PRV) का निर्माण करेगा।
  • केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल की उपस्थिति में ओस्लो, नॉर्वे में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।
  • भारतीय शिपयार्ड्स के पास अब नॉर्वेजियन शिपओनर्स एसोसिएशन के ऑर्डर बुक का 11% हिस्सा है, जो वैश्विक जहाज निर्माण में भारत की बढ़ती स्थिति को दर्शाता है।

परियोजना का महत्व:

  • यह पोत भारत के नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (NCPOR) की वैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया जाएगा।
  • यह अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा, जो शोधकर्ताओं को महासागरों की गहराइयों का पता लगाने, समुद्री पारिस्थितिक तंत्रों का अध्ययन करने और पृथ्वी के अतीत, वर्तमान और भविष्य के बारे में नई अंतर्दृष्टि प्राप्त करने में सक्षम बनाएगा।
  • इस पोत का निर्माण GRSE के कोलकाता शिपयार्ड में किया जाएगा, जिससे "मेक इन इंडिया" पहल को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा। यह भारत के जहाज निर्माण उद्योग में स्वदेशी क्षमताओं और विशेषज्ञता को बढ़ाएगा।
  • ध्रुवीय क्षेत्र जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं। यह पोत आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों में भारत के वैज्ञानिक मिशनों का समर्थन करेगा, जलवायु अनुसंधान, समुद्र विज्ञान और ध्रुवीय रसद में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
  • वर्तमान में, भारत को अपने ध्रुवीय अनुसंधान के लिए विदेशी जहाजों पर निर्भर रहना पड़ता है। इस स्वदेशी पोत के निर्माण से भारत को इस क्षेत्र में रणनीतिक स्वायत्तता प्राप्त होगी।

पोत की विशेषताएं (अपेक्षित):

  • पोत में बहु-बीम बाथीमेट्री सिस्टम, मल्टीचैनल भूकंपीय प्रणाली, ओशन प्रोफाइलर, सीबेड सैम्पलर, ऑनबोर्ड विश्लेषणात्मक प्रणाली और भारी-भरकम डेक मशीनरी जैसे उन्नत उपकरण होंगे।
  • यह पोत शोधकर्ताओं को 6 किलोमीटर तक गहरे समुद्र में जाने में सक्षम बनाएगा, जिससे जीवित और निर्जीव संसाधनों की खोज की जा सकेगी। वर्तमान में, गहरे समुद्र तल का केवल 1% ही ज्ञात है।
  •  ध्रुवीय परिस्थितियों में परिचालन के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया जाएगा, जिसमें बर्फ-तोड़ने की क्षमता और कठोर मौसम की स्थिति का सामना करने की क्षमता शामिल होगी।

प्रश्न.  भारत का पहला स्वदेशी ध्रुवीय अनुसंधान पोत बनाने के लिए कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) ने किस देश की कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं?

(a) संयुक्त राज्य अमेरिका

(b) जर्मनी

(c) जापान

(d) नॉर्वे

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