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मोटे अनाज का केंद्र बनता भारत 

संदर्भ

  • हाल ही में आयोजित ‘दुबई एक्सपो 2020’ में भारत सरकार ने देश को वैश्विक स्तर पर मोटे अनाज का केंद्र बनाने में ‘किसान उत्पादक संगठन’ (FPO) की अहम भूमिका का उल्लेख किया है। 
  • उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने भारत द्वारा प्रायोजित व 70 से अधिक देशों द्वारा समर्थित एक प्रस्ताव के परिणामस्वरूप वर्ष 2023 को ‘अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष’ (International Year of Millets) घोषित किया है। इसका उद्देश्य मोटे अनाज से जुड़े स्वास्थ्य व पोषण लाभों और बदलती जलवायु परिस्थितियों में कृषि के लिये इसकी उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।

मोटे अनाज 

  • ये प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों का भंडार हैं। इनमें ज्वार (Sorghum), रागी (Finger Millet), कोर्रा (Foxtail Millet), अर्क (Kodo Millet), समा (Little Millet), बाजरा (Pearl Millet), चना/बार (Proso Millet) और सानवा (Barnyard Millet) शामिल हैं।
  • मनुष्यों के लिये ज्ञात सबसे प्राचीन खाद्य पदार्थों में से मोटे अनाजों की महत्ता सर्वमान्य है। किंतु, शहरीकरण और औद्योगीकरण के चलते इन्हें गेहूँ और चावल की तुलना में कम महत्ता दी गई।
  • इनकी कृषि को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने अप्रैल 2018 में इसे पोषक अनाज के रूप में अधिसूचित किया तथा वर्ष 2018 को मोटे अनाज का वर्ष घोषित किया गया था।
  • ध्यातव्य है कि 41% बाजार हिस्सेदारी के साथ भारत मोटे अनाज का सबसे बड़ा वैश्विक उत्पादक तथा दूसरा प्रमुख निर्यातक देश है। यह अनुमान है कि आने वाले दशक में इनके वैश्विक बाजार में 4.5% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर होगी।

पोषण संबंधी लाभ

  • ये पौष्टिक होने के साथ स्वास्थ्य के लिये लाभप्रद होता है। इसकी कृषि के लिये जल की कम आवश्यकता होती है तथा इन्हें कई वर्षों तक भंडारित किया जा सकता है। यह एक संपूर्ण स्वस्थ भोजन है, जो उच्च मात्रा में स्टार्च और प्रोटीन से युक्त होता है।
  • ये अनाज पोषण के पावरहाउस के रूप में कार्य करते हैं, जो कोरोनरी ब्लॉकेज को प्रभावी ढंग से कम करने के साथ हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। मैग्नीशियम समृद्ध होने के कारण ये उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक तथा हृदयाघात के जोखिम को प्रभावी ढंग से कम कर सकते हैं।
  • मोटा अनाज इंसुलिन के स्तर को उत्तेजित करने में मदद करता है। इससे शरीर में ग्लूकोज रिसेप्टर्स दक्षता में वृद्धि होती है, जो शरीर में शर्करा के स्तर के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। फाइबरयुक्त मोटा अनाज पाचन में मदद करता है और आंत्र समस्याओं के निराकरण के लिये प्रभावी है।
  • इसके अलावा, मोटे अनाज करक्यूमिन, एलेजिक एसिड, क्वेरसेटिन और कैटेचिन जैसे घटकों से युक्त होते हैं, जो मुक्त कणों को हटाने में मदद करते हैं और शरीर में एंजाइमी अभिक्रियाओं को संतुलित करते हैं। ये स्वाभाविक रूप से रक्त को डिटॉक्सीफाई कर सकते हैं।

मोटे अनाजों के उत्पादन और मांग में वृद्धि से जुड़ी चिंताएँ

  • आय में वृद्धि और शहरीकरण के कारण इनकी मांग का कम होना।
  • बिचौलियों के कारण किसानों के लिये अनुचित मूल्य निर्धारण का होना।
  • इनपुट सब्सिडी और मूल्य प्रोत्साहन के अभाव का होना।
  • अपर्याप्त सरकारी नीतियों का होना।
  • इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) के माध्यम से चावल और गेहूँ की खरीद और सब्सिडी वाली आपूर्ति ने किसानों को मोटे अनाजों से इन फसलों की ओर स्थानांतरित कर दिया है।
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