(प्रारंभिक परीक्षा : अंतर्राष्ट्रीय संबंध) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह व भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार) |
संदर्भ
यूरोपीय आयोग कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स के 27 सदस्य प्रतिनिधिमंडल ने 27-28 फरवरी, 2025 के मध्य भारत की दो दिवसीय यात्रा की। 27 आयुक्तों में से 22 यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हैं।
यूरोपीय आयोग प्रतिनिधिमंडल की हालिया यात्रा
- यह यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष की भारत की तीसरी यात्रा थी।
- यूरोपीय आयोग के दिसंबर 2024 में नए कार्यकाल के बाद से यह प्रतिनिधिमंडल की पहली विदेश यात्रा एवं साथ ही पहली भारत यात्रा भी रही।
- इस यात्रा के दौरान भारत-यूरोपीय संघ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद की दूसरी मंत्रिस्तरीय बैठक तथा यूरोपीय आयुक्तों एवं उनके भारतीय समकक्षों के बीच द्विपक्षीय मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित की गई।
प्रधानमंत्री मोदी एवं अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के मध्य वार्ता में निम्नलिखित कदमों पर सहमति व्यक्त की गई :
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- (वर्ष के अंत तक मुक्त व्यापार समझौते (एफ.टी.ए.) के समापन में तेजी लाना।
- (नई पहलों और कार्यक्रमों से अवसरों के लिए रक्षा उद्योग व नीति पर केंद्रित चर्चा।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा पहल पर समीक्षा बैठक।
- (साझा मूल्यांकन, समन्वय एवं अंतर-संचालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से समुद्री क्षेत्र जागरूकता पर काम करना।
- सेमीकंडक्टर और अन्य महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों में सहयोग।
- ग्रीन हाइड्रोजन पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकारों और उद्योग के बीच स्वच्छ व हरित ऊर्जा पर संवाद बढ़ाना।
- त्रिपक्षीय सहयोग परियोजनाओं के माध्यम से हिंद-प्रशांत में सहयोग को मजबूत करना।
- आपदा प्रबंधन पर सहयोग को मजबूत करना।
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भारत-यूरोपीय संघ द्विपक्षीय संबंध
भारत एवं ई.यू. के बीच संबंध लोकतंत्र, कानून का शासन, नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था और बहुपक्षवाद जैसे साझा मूल्यों और सिद्धांतों पर आधारित हैं। ये संबंध बहुआयामी हैं और व्यापार, निवेश, जलवायु परिवर्तन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, डिजिटल, कनेक्टिविटी तथा कृषि सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला को कवर करते हैं।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
- भारत-ई.यू. द्विपक्षीय संबंधों की शुरुआत 1960 के दशक में हुई, जब भारत द्वारा वर्ष 1962 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किए गए थे।
- पहला भारत-ई.यू. शिखर सम्मेलन जून 2000 में लिस्बन में हुआ था।
- वर्ष 2004 में हेग में आयोजित 5वें भारत-ई.यू. शिखर सम्मेलन के दौरान इन संबंधों को ‘रणनीतिक साझेदारी’ में उन्नत किया गया।
- अब तक भारत एवं ई.यू. के बीच 15 शिखर सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं।
- वर्तमान द्विपक्षीय संबंध जुलाई 2020 में अंतिम भारत-ई.यू. शिखर सम्मेलन में अपनाए गए ‘भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी: 2025 के लिए एक रोडमैप’ द्वारा निर्देशित हैं।
राजनयिक संबंध
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच पहले भी कम से कम सात बार मुलाकात हो चुकी है।
- यूरोपीय संघ की अध्यक्ष ने अप्रैल 2022 में भारत की आधिकारिक यात्रा की, जिसके दौरान उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में रायसीना डायलॉग का उद्घाटन भाषण दिया।
- प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति वॉन डेर लेयेन ने नवंबर 2024 में जी-20 रियो शिखर सम्मेलन के दौरान संक्षिप्त मुलाकात की।
आर्थिक संबंध
- वस्तु व्यापार : वित्त वर्ष 2023-24 में यूरोपीय संघ के साथ वस्तुओं का द्विपक्षीय व्यापार $135 बिलियन रहा।
- यूरोपीय संघ वस्तुओं के मामले में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।
- वर्ष 2023-24 में यूरोपीय संघ को निर्यात $76 बिलियन और यूरोपीय संघ से आयात $59 बिलियन था।
- सेवा व्यापार : वर्ष 2023 में दोनों पक्षों के मध्य सेवाओं का द्विपक्षीय व्यापार $53 बिलियन रहा।
- इसमें $30 बिलियन का भारतीय निर्यात और $23 बिलियन का आयात शामिल है।
- निवेश : भारत में यूरोपीय संघ के निवेश का मूल्य 117 बिलियन डॉलर से अधिक है, जिसमें लगभग 6,000 यूरोपीय कंपनियां भारत में मौजूद हैं।
- यूरोपीय संघ में भारत का निवेश लगभग 40 बिलियन डॉलर है।
भारत-यूरोपीय संघ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद
- यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन की अप्रैल 2022 में भारत की आधिकारिक यात्रा के दौरान, भारत-यूरोपीय संघ व्यापार एवं प्रौद्योगिकी परिषद की स्थापना की घोषणा की गई।
- यह परिषद भारत-यूरोपीय संघ सहयोग के तीन महत्वपूर्ण स्तंभों का प्रतिनिधित्व करता है: डिजिटल और रणनीतिक प्रौद्योगिकियां; स्वच्छ एवं हरित प्रौद्योगिकियां; तथा व्यापार, निवेश व लचीली आपूर्ति श्रृंखलाएँ।
- इस परिषद की पहली बैठक 16 मई, 2023 को ब्रुसेल्स में आयोजित की गई।
- दूसरी बैठक 28 फरवरी, 2025 को नई दिल्ली में आयोजित की गई।
संयुक्त सैन्य अभ्यास
- पहला भारत-यूरोपीय संघ संयुक्त नौसैनिक अभ्यास जून 2021 में अदन की खाड़ी में आयोजित किया गया था।
- भारत और यूरोपीय संघ ने अक्तूबर 2023 को गिनी की खाड़ी में संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया।
- भारतीय नौसेना ने अगस्त 2022 में EUNAVFOR अटलांटा के साथ समुद्री साझेदारी अभ्यास में भाग लिया।
- EUNAVFOR (ऑपरेशन अटलांटा) और भारतीय नौसेना ने दिसंबर 2018 एवं 2019 में सोमालिया के तट के पास मानवीय सहायता के लिए एस्कॉर्ट ऑपरेशन में सहयोग किया।
संयुक्त पहल
- प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण के बाद यूरोपीय संघ ने वर्स्ज 2023 में हिंद-प्रशांत महासागर पहल (IPOI) में शामिल होने के अपने निर्णय की घोषणा की।
- यूरोपीय संघ अक्तूबर 2023 से हिंद महासागर रिम एसोसिएशन (IORA) का एक संवाद भागीदार भी है।
ऊर्जा सहयोग
- वर्ष 2016 में स्थापित भारत-यूरोपीय संघ स्वच्छ ऊर्जा एवं जलवायु भागीदारी (CECP) स्वच्छ ऊर्जा और जलवायु के अनुकूल प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित है।
- इसमें अक्षय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, स्मार्ट ग्रिड और ऊर्जा बाजार, ऊर्जा सुरक्षा व अन्य ज्वलंत मुद्दों को कवर करने वाले विस्तृत कार्यक्रम शामिल हैं।
- ग्रीन हाइड्रोजन, अपतटीय पवन ऊर्जा, भारत में गैस अवसंरचना का विकास एवं मीथेन उत्सर्जन में कमी सहयोग के उभरते क्षेत्र हैं।
- यूरोपीय संघ वर्ष 2018 से अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का एक भागीदार संगठन है।
- यूरोपीय संघ मार्च 2021 में आपदा रोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) में शामिल हुआ।
हरित ऊर्जा समाधान
- भारत-ई.यू. हरित हाइड्रोजन सहयोग पहल के तहत भारत नवंबर 2024 में ब्रुसेल्स में यूरोपीय हाइड्रोजन सप्ताह में एकमात्र साझेदार देश था।
- सितंबर 2024 में दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन सम्मेलन में यूरोपीय संघ एक प्रमुख साझेदार था।
- यूरोपीय निवेश बैंक ने 1 बिलियन यूरो के वित्तपोषण के साथ भारतीय हाइड्रोजन परियोजनाओं का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई है।
- भारतीय व यूरोपीय कंपनियाँ 2030 तक भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के उद्देश्य से नवीकरणीय और हाइड्रोजन क्षेत्रों में सहयोग कर रही हैं।
परिवहन क्षेत्र में सहयोग
- कनेक्टिविटी साझेदारी पहल : दोनों देशों के मध्य कनेक्टिविटी क्षेत्र में सहयोग के लिए वर्ष 2021 में भारत-यूरोपीय संघ कनेक्टिविटी साझेदारी शुरू की गई।
- यह तीसरे देशों में सहयोग सहित कनेक्टिविटी पर सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों को भी रेखांकित करता है।
- फोकस क्षेत्र में परिवहन, डिजिटल, ऊर्जा नेटवर्क और लोग, वस्तुएँ, सेवाएँ, डाटा एवं पूंजी का प्रवाह शामिल हैं।
- भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा : वर्ष 2023 में नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर इस गलियारे को विकसित करने की घोषणा की गई थी।
- इस घोषणा में भारत, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इटली, सऊदी अरब, यू.ए.ई. एवं अमेरिका के नेताओं ने अपनी प्रतिबद्धता जताई थी।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग
- भारत-ई.यू. के मध्य द्विपक्षीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सहयोग वर्ष 2007 में हस्ताक्षरित विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग समझौते के अंतर्गत किया जाता है।
- एक संयुक्त संचालन समिति स्मार्ट ग्रिड, पानी, टीके, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, ध्रुवीय विज्ञान और यूरोपीय अनुसंधान परिषद के साथ काम करने वाले युवा वैज्ञानिकों की गतिशीलता जैसे क्षेत्रों में वैज्ञानिक सहयोग परियोजनाओं की देखरेख व उन्हें आगे बढ़ाती है।
- जुलाई 2020 में भारतीय परमाणु ऊर्जा विभाग व यूरोप की यूरोटॉम (EURATOM) के बीच परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में अनुसंधान एवं विकास सहयोग के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- भारत वर्ष 2017 में एक सहयोगी सदस्य के रूप में यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन CERN में शामिल हुआ।
- भारत एवं ई.यू. दोनों अंतर्राष्ट्रीय थर्मोन्यूक्लियर प्रायोगिक रिएक्टर समझौते के हस्ताक्षरकर्ता हैं और प्रायोगिक संलयन रिएक्टर सुविधा के निर्माण में भाग लेते हैं।
- अंतरिक्ष में भारत-ई.यू. का सहयोग 1980 के दशक से शुरू हुआ जब भारतीय उपग्रहों ने यूरोप के एरियन लांचर का उपयोग किया।
- पृथ्वी अवलोकन, क्रॉस-सपोर्ट व्यवस्था एवं प्रमुख अंतरिक्ष मिशनों के लिए संचालन समर्थन जारी सहयोग के कुछ क्षेत्र हैं।
- यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के प्रोबा-3 मिशन को दिसंबर 2024 में इसरो के पी.एस.एल.वी.-एक्सएल द्वारा सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
प्रवासन एवं गतिशीलता पर सहयोग
- प्रवासन एवं गतिशीलता पर भारत-ई.यू. साझा एजेंडा संयुक्त उद्देश्यों, सिफारिशों व कार्यों पर सहयोग के लिए एक रूपरेखा प्रदान करता है।
- यह साझा एजेंडा प्रासंगिक कौशल स्तरों पर नियमित प्रवासन को बढ़ावा देने, सामाजिक सुरक्षा मुद्दों पर सहयोग और अनियमित प्रवासन से निपटने पर केंद्रित है।
लोगों के बीच आपसी संबंध
- ई.यू. में बढ़ते भारतीय प्रवासियों में बड़ी संख्या में छात्र, शोधकर्ता व कुशल पेशेवर शामिल हैं।
- वर्ष 2023-24 में जारी किए गए ई.यू. के ब्लू कार्ड में भारतीय पेशेवरों का हिस्सा सर्वाधिक (20% से अधिक) रहा।
- पिछले 20 वर्षों में भारतीय छात्रों को 6,000 से अधिक इरास्मस छात्रवृत्तियाँ प्रदान की गई हैं जिससे वे छात्रवृत्ति के शीर्ष प्राप्तकर्ताओं में से एक बन गए हैं।
- वर्ष 2014 से 2,700 से अधिक भारतीय शोधकर्ताओं को मैरी स्क्लोडोव्स्का-क्यूरी एक्शंस (ई.यू. के शोध एवं नवाचार कार्यक्रम होराइजन यूरोप का हिस्सा) द्वारा वित्त पोषित किया गया है जो दुनिया में सर्वाधिक है।
निष्कर्ष
भारत-ई.यू. के द्विपक्षीय संबंधों का विस्तार राजनीतिक व सुरक्षा मुद्दों, व्यापार एवं निवेश, जलवायु परिवर्तन व स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल संक्रमण, महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी, सतत शहरीकरण एवं पर्यावरण, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व नवाचार, अंतरिक्ष व परमाणु, स्वास्थ्य, कृषि एवं खाद्य सुरक्षा और शिक्षा एवं संस्कृति सहित कई क्षेत्रों तक हुआ है। बदलते वैश्विक परिदृश्य में इन संबंधों के अधिक प्रगाढ़ एवं समृद्ध होने की संभावना है।