| (प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) | 
 
संदर्भ
भारत सरकार के पोत, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय द्वारा मुंबई में आयोजित भारत समुद्री सप्ताह (IMW) 2025 के दौरान कुल 23 समझौता ज्ञापनों (MoUs) पर हस्ताक्षर किए गए, जिनकी कुल राशि ₹1.5 लाख करोड़ से अधिक है।
भारत समुद्री सप्ताह 2025 के बारे में

- परिचय: इस आयोजन में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेशक, नीति निर्माता, विशेषज्ञ और तकनीकी संस्थान एक मंच पर आए ताकि भारत के बंदरगाह, जहाज निर्माण, हरित ऊर्जा और जलमार्ग क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाया जा सके।
- थीम : ‘Uniting Oceans, One Maritime Vision’
उद्देश्य
- भारत को एक वैश्विक समुद्री व्यापार केंद्र के रूप में विकसित करना।
- बंदरगाहों का आधुनिकीकरण और क्षमता विस्तार करना।
- हरित ईंधन और कार्बन-न्यून ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना।
- जहाज निर्माण एवं मरम्मत उद्योग को प्रोत्साहन देना।
- कौशल विकास और अंतरराष्ट्रीय साझेदारी के माध्यम से रोजगार सृजन।
प्रमुख परिणाम
- ₹1.5 लाख करोड़ के 23 MoUs पर हस्ताक्षर हुए।
- कांडला पोर्ट में हरित ईंधन और जहाज निर्माण सुविधाओं के विकास की पहल।
- मेरीटाइम विकास फण्ड के माध्यम से जहाज निर्माण को वित्तीय सहायता।
- ग्रीन फ्यूल सप्लाई चेन को 2030 तक रॉटरडैम से सिंगापुर तक जोड़ने की योजना।
- नीतिगत सुधारों के लिए समर्पित खंड की स्थापना, जिससे निवेश माहौल बेहतर होगा।
भारत का समुद्री क्षेत्र : एक अवलोकन
- भारत का समुद्री क्षेत्र 7,500 किमी. लम्बे तट (उच्च-रिज़ॉल्यूशन मैपिंग के बाद संशोधित लंबाई 11,098 किमी.) और 200 से अधिक बंदरगाहों का नेटवर्क रखता है।
- भारत का वैश्विक समुद्री व्यापार में 12% हिस्सा है।
- 3 लाख से अधिक भारतीय नाविक विश्व के कुल समुद्री कार्यबल का 12% हिस्सा हैं।
- भारत सबसे अधिक प्रशिक्षित नाविक प्रदान करने वाले शीर्ष 3 देशों में शामिल है।
बंदरगाह क्षमता
- भारत की बंदरगाह क्षमता 1,400 MMTPA से बढ़कर 2,762 MMTPA हो गई है।
- कार्गो हैंडलिंग 972 MMT से बढ़कर 1,594 MMT तक पहुंची है।
- वेसल टर्नअराउंड टाइम 93 घंटे से घटकर 48 घंटे रह गया है।
- बंदरगाहों का नेट सरप्लस 9 गुना बढ़ा है- ₹1,026 करोड़ से ₹9,352 करोड़।
आंतरिक परिवहन
- आंतरिक जलमार्गों पर कार्गो परिवहन में 710% की वृद्धि हुई है; वर्ष 2014 में 18 MMT से बढ़कर वर्ष 2025 में 146 MMT।
- ऑपरेशनल जलमार्गों की संख्या 3 से बढ़कर 32 हो गई है।
- Ro-Pax और फेरी सेवाओं ने 2024-25 में 7.5 करोड़ यात्रियों को परिवहन किया।
चुनौतियाँ
- कई बंदरगाहों पर पुरानी अवसंरचना और भीड़भाड़ की समस्या।
- हरित प्रौद्योगिकी और स्वच्छ ऊर्जा अपनाने में उच्च लागत।
- नीति असंगतता और विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी।
- वैश्विक समुद्री प्रतिस्पर्धा में भारत की हिस्सेदारी अभी सीमित।
सरकारी पहल
- सागरमाला परियोजना के तहत बंदरगाहों और तटीय कनेक्टिविटी का विकास।
- भारतमाला और जल मार्ग विकास परियोजना के जरिए समुद्री और सड़क संपर्क में सुधार।
- मेरीटाइम इंडिया विज़न 2030 और राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति के जरिए निवेश आकर्षित करने की रणनीति।
- ग्रीन पोर्ट और नेट-जीरो शिपिंग विजन को 2047 तक प्राप्त करने का लक्ष्य।
आगे की राह
- भारत के लिए यह समय वैश्विक समुद्री शक्ति बनने का स्वर्ण अवसर है।
- सतत शिपिंग, ग्रीन एनर्जी, और डिजिटल पोर्ट नेटवर्किंग को प्राथमिकता देना होगी।
- निजी क्षेत्र की भागीदारी और सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल को और मजबूत किया जाना चाहिए।
- समुद्री शिक्षा और कौशल विकास को बढ़ावा देकर भारत अपने मानव संसाधन लाभ का पूरा उपयोग कर सकता है।