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भारत की केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3, आर्थिक विकास; भारतीय अर्थव्यवस्था, समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय)

संदर्भ

हाल ही में, बजट 2022-23 में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने डिजिटल रुपया लागू करने की घोषणा की है, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा इसी वित्तीय वर्ष से शुरू किया जाएगा।

केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा 

  • डिजिटल रुपया एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (Central Bank Digital Currency-CBDC) है। यह भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्लॉकचेन एवं अन्य तकनीकों पर आधारित डिजिटल रूप में जारी एक कानूनी निविदा है। 
  • यह कागज में जारी एक फिएट मुद्रा (Fiat Currencies) के समान है और किसी भी अन्य फिएट मुद्रा के साथ विनिमय करने योग्य है। 
  • यह इलेक्ट्रॉनिक रूप में एक संप्रभु मुद्रा है, जो केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में देयता के रूप में दिखाई देगी।
  • यह ध्यान देने योग्य है कि सी.बी.डी.सी. भौतिक नकदी (Physical Cash) से केवल इस रूप में भिन्न है कि यह डिजिटल रूप में मौजूद होगी। इसे एक डिजिटल वॉलेट में रखा जाएगा जिसकी निगरानी आर.बी.आई. करेगा।

सी.बी.डी.सी. का महत्त्व

  • इस मुद्रा का स्वरूप इलेक्ट्रॉनिक होने के करण इसे जारी करने की लागत वास्तविक नकदी को प्रिंट करने और वितरित करने की लागत से काफी कम होगी।
  • भारत डिजिटल भुगतान में अग्रणी है, लेकिन अभी भी छोटे मूल्यों के लेनदेन के लिये नकद का अधिक उपयोग किया जाता है। इस डिजिटल मुद्रा से भौतिक नकदी के उपयोग को कम किया जा सकता है।
  • भौतिक नकदी के विपरीत इस मुद्रा को केंद्रीय बैंक द्वारा आसानी से ट्रैक और नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा, यह मुद्रा वित्तीय समावेशन को भी बढ़ावा देगी। 

विश्वस्तरीय प्रयास

  • संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ और चीन सहित कई देश हाल के वर्षों में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा जारी करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। विदित है कि अक्टूबर 2020 में, बहामास ने दुनिया का पहला सी.बी.डी.सी. लॉन्च किया था। 
  • हालांकि, फिनलैंड और डेनमार्क सहित कुछ देशों ने वर्तमान में डिजिटल मुद्रा जारी करने के प्रयासों को रद्द भी किया है। 

सी.बी.डी.सी., क्रिप्टोक्यूरेंसी से अधिक लोकप्रिय क्यों?

  • सी.बी.डी.सी. एक डिजिटल या आभासी मुद्रा है, लेकिन इसकी तुलना निजी आभासी मुद्राओं या क्रिप्टोकरेंसी से नहीं की जा सकती है।   
  • क्रिप्टोकरेंसी उपभोक्ताओं के लिये जोखिम उत्पन्न करती है। उनके पास कोई सॉवरेन गारंटी नहीं होने के कारण वे कानूनी निविदा नहीं होती हैं। इसके विपरीत, डिजिटल रुपया एक कानूनी निविदा होगी। 
  • क्रिप्टोकरेंसी का अनिश्चित स्वरूप इसे अस्थिर बनाता है। उदाहरण के लिए, बिटकॉइन का मूल्य दिसंबर 2017 में 20,000 अमेरिकी डॉलर से गिरकर नवंबर 2018 में 3,800 अमेरिकी डॉलर हो गया। 
  • क्रिप्टोकरेंसी सुरक्षा की दृष्टि से भी अत्यधिक जोखिमपूर्ण है। यदि उपयोगकर्ता इससे संबंधित अपनी निजी कुंजी खो देता है, तो उपयोगकर्ता क्रिप्टोकरेंसी तक नहीं पहुँच सकता। पारंपरिक डिजिटल बैंकिंग खातों के विपरीत, इसमें पासवर्ड रीसेट नहीं किया जा सकता है।
  • कुछ मामलों में निजी कुंजी तकनीकी सेवा प्रदाताओं (क्रिप्टोक्यूरेंसी एक्सचेंज या वॉलेट)  द्वारा संग्रहीत की जाती हैं, जो मैलवेयर या हैकिंग की समस्या को बढ़ावा देती हैं। क्रिप्टोकरेंसी आपराधिक गतिविधियों और मनी लॉन्ड्रिंग के प्रति अधिक संवेदनशील हैं। 
  • एक केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था में क्रिप्टोकरेंसी की आपूर्ति को नियंत्रित नहीं कर सकता। इसका उपयोग व्यापक होने की स्थिति में देश की वित्तीय स्थिरता के लिये जोखिम उत्पन्न हो सकता है।
  • विदित है कि आर.बी.आई. ने बिटकॉइन, ईथर जैसी क्रिप्टोकरेंसी के कारण मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकी फंडिंग, टैक्स चोरी आदि समस्याओं पर चिंता व्यक्त की है। इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए वर्तमान में केंद्रीय बैंक की निगरानी में डिजिटल रुपया जारी करने की योजना बनाई जा रही है।

निष्कर्ष

  • डिजिटल मुद्रा देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के साथ ही अधिक प्रभावी और सस्ती मुद्रा प्रबंधन प्रणाली को स्थापित करने में सहायक होगा।
  • वर्तमान में डिजिटल करेंसी को लेकर कई भ्रांतियाँ विद्यमान हैं। इस संदर्भ में अधिक स्पष्टता की आवश्यकता है। सी.बी.डी.सी. की प्रभावशीलता गोपनीयता डिजाइन और प्रोग्राम योग्यता जैसे पहलुओं पर निर्भर करेगी।
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