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पारंपरिक चिकित्सा पर भारत-डब्ल्यू.एच.ओ. समझौता

24 मई, 2025 को आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के संदर्भ में एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। 

समझौते से संबंधित प्रमुख बिंदु  

  • इस समझौते के अंतर्गत पारंपरिक चिकित्सा के लिए इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ हेल्थ इंटरवेंशन (ICHI) के अंतर्गत एक विशेष मॉड्यूल विकसित किया जाएगा जिसमें भारत के पारंपरिक हस्तक्षेप, जैसे- पंचकर्म, योग चिकित्सा, यूनानी आहार एवं सिद्ध चिकित्सा को अब वैश्विक मानकों के अनुरूप सहिंताबद्ध किया जाएगा।
    • ICHI विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा विकसित एक वैश्विक वर्गीकरण प्रणाली है जिसका उद्देश्य स्वास्थ्य हस्तक्षेपों, जैसे- उपचार, शल्य क्रिया, पुनर्वास, मानसिक स्वास्थ्य परामर्श आदि को एक मानकीकृत ढांचे में व्यवस्थित व वर्गीकृत करना है।
  • यह समझौता भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों, यथा- आयुर्वेद, योग, सिद्ध, यूनानी को वैज्ञानिक आधार पर वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली का हिस्सा बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

संभावित लाभ

  • वैश्विक मान्यता: पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियाँ अब वैज्ञानिक वर्गीकरण के अंतर्गत वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों में मान्य होंगी।
  • बीमा व बिलिं: आयुष उपचारों के लिए बीमा कवरेज एवं पारदर्शी बिलिंग की सुविधा।
  • स्वास्थ्य अनुसंधान में सहयोग: नैदानिक दस्तावेजीकरण से अनुसंधान को बढ़ावा मिलेगा।
  • नीतिगत समर्थन: विभिन्न देशों की स्वास्थ्य नीतियों में आयुष का एकीकरण आसान होगा।
  • डब्ल्यूएचओ की भूमिका एवं भारत की स्थिति : WHO के महानिदेशक टेड्रोस एडहानॉम घेब्रेयसस ने भारत की इस पहल को ‘सभी को स्वास्थ्य’ के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत अब न केवल पारंपरिक चिकित्सा का उद्गम स्थल है बल्कि इसका वैश्विक नेतृत्वकर्ता बनने की दिशा में सक्रिय प्रयास भी कर रहा है।

भारत के लिए रणनीतिक निहितार्थ 

  • सॉफ्ट पावर का विस्तार : आयुर्वेद व योग की वैश्विक स्वीकृति भारत की सांस्कृतिक कूटनीति (Cultural Diplomacy) को सुदृढ़ बनाएगी।
  • स्वास्थ्य सेवाओं में आत्मनिर्भरता : परंपरागत प्रणालियों को मुख्यधारा में लाने से भारत की प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार संभव है।
  • वैश्विक स्वास्थ्य शासन (Global Health Governance) में भूमिका : यह समझौता भारत को WHO जैसे मंचों पर नीति निर्धारण में एक सक्रिय भागीदार बनाएगा।
  • स्वास्थ्य पर्यटन : परंपरागत एवं आधुनिक प्रणालियों का संयोजन भारत में स्वास्थ्य पर्यटन को और अधिक मजबूती प्रदान करेगा।
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