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वासेनार व्यवस्था में भारत की अध्यक्षता 

(प्रारंभिक परीक्षा- अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)

संदर्भ

वासेनार व्यवस्था, 42 सदस्यीय एक बहुपक्षीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था है, जिसकी 1 जनवरी, 2023 से एक वर्ष के लिये भारत द्वारा अध्यक्षता की जाएगी। 

वासेनार व्यवस्था

  • वासेनार व्यवस्था की स्थापना वर्ष 1996 में शीतयुद्ध काल की समन्वय समिति (COCOM) के स्थान पर की गई। 
  • यह समझौता वर्ष 1995 में नीदरलैंड के हेग प्रांत के वासेनार उपनगर में हस्तारक्षित किया गया था। इसका स्थायी सचिवालय ऑस्ट्रिया के वियना में स्थापित है, जहाँ इसकी नियमित बैठकें आयोजित होती है। 
  • इस व्यवस्था के सदस्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इटली, जापान , नीदरलैंड, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पोलैंड, रूस, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, यूक्रेन, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका आदि शामिल हैं।
  • विदित है कि भारत इस व्यवस्था में दिसंबर 2017 में 42वें सदस्य देश के रूप में शामिल हुआ था।

उद्देश्य

  • इस व्यवस्था के सदस्य देश पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।
  • इसकी स्थापना का उद्देश्य सूचनाओं के आदान-प्रदान के माध्यम से पारंपरिक हथियारों तथा दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में पारदर्शिता और अधिक जिम्मेदारी को बढ़ावा देना है।

युद्ध सामग्री सूची (पारंपरिक हथियार):

  • वासेनार व्यवस्था के सदस्य देश प्रत्येक छह माह में गैर-वासेनार सदस्यों को पारंपरिक हथियारों की आपूर्ति के बारे में जानकारी का आदान-प्रदान करते हैं। 
  • इसके अंतर्गत आठ हथियार श्रेणियों- युद्धक टैंक, बख्तरबंद लड़ाकू वाहन (ए.सी.वी.), तोपखाने, सैन्य विमान/मानव रहित हवाई वाहन, सैन्य एवं हमलावर हेलिकॉप्टर, युद्धपोत, मिसाइल या मिसाइल प्रणाली तथा छोटे एवं हल्के हथियार को शामिल किया गया है।

महत्त्वपूर्ण सिद्धांत : यह व्यवस्था पाँच महत्त्वपूर्ण सिद्धांतों पर आधारित है-

  • क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा व स्थिरता में योगदान देना, 
  • पारंपरिक हथियारों और दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं एवं प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण में पारदर्शिता और दायित्व को बढ़ावा देना,
  • सामूहिक विनाश के हथियारों और उनकी वितरण प्रणालियों के लिये निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाना,
  • किसी राज्य या राज्य समूहों के विरुद्ध निर्देशित नहीं होना, 
  • आतंकवाद से निपटने के साधन के रूप में निर्यात नियंत्रण का उपयोग करना।

चिंताएँ

  • वासेनार व्यवस्था में सभी निर्णय आम सहमति से लिये जाते हैं, अतः कोई भी देश किसी भी प्रस्ताव को रोक सकता है। 
  • कुछ प्रमुख हथियार निर्यातक देश जैसे कि बेलारूस, चीन और इज़राइल इसके सदस्य राष्ट्रों में शामिल नहीं हैं।
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