चर्चा में क्यों?
हाल ही में केरल राज्य वन्यजीव बोर्ड ने एक ऐतिहासिक निर्णय में अरलम वन्यजीव अभयारण्य को भारत के पहले तितली अभयारण्य के रूप में घोषित किया।

मुख्य उद्देश्य एवं लक्ष्य:
- संरक्षित आवास की व्यवस्था: तितलियों के प्राकृतिक आवास को संरक्षित और पुनर्स्थापित कर उनके जीवनचक्र को सुनिश्चित करना।
- प्रवास गलियारों की सुरक्षा: मौसमी प्रवास के दौरान तितलियों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना।
- जागरूकता और सहभागिता: आमजन, छात्रों व स्थानीय समुदायों में तितली संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाना।
- अनुसंधान व पारिस्थितिकी पर्यटन को बढ़ावा: पर्यावरणीय अध्ययन, नई प्रजातियों की खोज और ईको-टूरिज्म को बढ़ाना।
अरलम तितली अभयारण्य की विशेषताएं
- स्थान: कन्नूर जिला, केरल; पश्चिमी घाट की जैवविविधता से भरपूर पट्टी में स्थित।
- आकार: 55 वर्ग किलोमीटर।
- प्राकृतिक आवास: उष्णकटिबंधीय व अर्ध-सदाबहार वनों से युक्त।
- तितली प्रजातियाँ: 266 से अधिक प्रजातियाँ - केरल की कुल तितली विविधता का 80%।
- दुर्लभ दृश्य: सामान्य अल्बाट्रॉस, डैनाइन समूह की तितलियाँ और कई स्थानिक प्रजातियाँ।
- मौसमी प्रवास: दिसंबर से फरवरी के बीच प्रमुख प्रवास काल, जब तितलियों की विविधता चरम पर होती है।
पृष्ठभूमि और अनुसंधान
- अरलम वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1984 में हुई थी।
- यह क्षेत्र लम्बे समय से जैवविविधता में रुचि रखने वाले वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है।
- 20+ वर्षों से सर्वेक्षण: मालाबार नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (MNHS) के सहयोग से प्रत्येक वर्ष जनवरी-फरवरी में तितली सर्वेक्षण और प्रवास अध्ययन आयोजित किए जाते हैं।
- ये सर्वेक्षण केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि पर्यावरणीय शिक्षा व ईको-टूरिज्म के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं।
प्रश्न.भारत का पहला तितली अभयारण्य कहाँ स्थापित किया गया है?
(a) साइलेंट वैली, केरल
(b) मुदुमलाई, तमिलनाडु
(c) अरलम, केरल
(d) काजीरंगा, असम
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