आईएनएस गुलदार के इर्द-गिर्द बनेगा भारत का पहला अंडरवाटर म्यूजियम
चर्चा में क्यों?
भारत के समुद्री पर्यटन और पारिस्थितिक संरक्षण प्रयासों को नई दिशा देने के महाराष्ट्र के सिंधुदुर्ग में एक ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत हुई।
यह परियोजना भारतीय नौसेना के एक सेवानिवृत्त लैंडिंग शिप टैंक, आईएनएस गुलदार के चारों ओर भारत का पहला अंडरवाटर म्यूजियम और कृत्रिम कोरल रीफ बनाने से संबंधित है।
परियोजना का उद्देश्य और महत्व
इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य भारतीय नौसेना की गौरवशाली विरासत को संरक्षित करना और उसे पर्यटन तथा पारिस्थितिकीय शैक्षणिक संसाधन में रूपांतरित करना है।
यह देश में पहली बार होगा जब किसी नौसैनिक जहाज को जलमग्न कर उसे एक कृत्रिम प्रवाल चट्टान और जलमग्न संग्रहालय में परिवर्तित किया जाएगा।
इसके माध्यम से समुद्री जीवन को नया आवास मिलेगा और पर्यावरण के अनुकूल पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
परियोजना की क्रियान्वयन एजेंसी और वित्तपोषण
इस परियोजना का कार्यान्वयन महाराष्ट्र सरकार की प्रमुख एजेंसी महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम (MTDC) द्वारा किया जा रहा है, जिसमें समुद्री और पर्यावरण विशेषज्ञों का सहयोग लिया जा रहा है।
परियोजना को भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय का समर्थन प्राप्त है, जिसने इस हेतु ₹46.91 करोड़ की राशि स्वीकृत की है।
यह वित्तीय सहायता इस लक्ष्य को लेकर दी गई है कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समुद्री संरक्षण, सतत पर्यटन और जागरूकता को प्रोत्साहित किया जा सके।
परियोजना की प्रमुख गतिविधियाँ और प्रक्रिया
इस परियोजना की शुरुआत 20 फरवरी 2025 को उस समय हुई, जब भारतीय नौसेना ने कर्नाटक के कारवार स्थित नौसेना बेस पर आईएनएस गुलदार को औपचारिक रूप से महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम को सौंप दिया।
इसके पश्चात जहाज को सिंधुदुर्ग तट पर स्थानांतरित किया गया, जहाँ इसे योजनाबद्ध तरीके से जलमग्न किया जाएगा।
इससे पहले जहाज से सभी खतरनाक और प्रदूषक तत्वों – जैसे तेल, बैटरिया और अन्य जहरीले पदार्थ – को पूर्णतः हटाया जाएगा।
इसके बाद जहाज को नियंत्रित रूप से समुद्र में डुबोया जाएगा, ताकि वह समुद्र तल पर एक कृत्रिम रीफ बन सके, जो समुद्री जीवों के लिए उपयुक्त आवास सिद्ध होगा।
इस जलमग्न जहाज के चारों ओर एक संरक्षित क्षेत्र विकसित किया जाएगा, जहाँ पर्यटक अंडरवाटर म्यूजियम का भ्रमण कर सकेंगे और स्कूबा गोताखोरी जैसी गतिविधियों का आनंद ले सकेंगे।
महाराष्ट्र पर्यटन विकास निगम का लक्ष्य है कि यह परियोजना दिसंबर 2025 तक या 2026 की शुरुआत तक पूरी कर ली जाए।
आईएनएस गुलदार: इतिहास और विशेषताएँ
आईएनएस गुलदार एक कुम्भीर-श्रेणी का लैंडिंग शिप टैंक था, जिसे विशेष रूप से उभयचर अभियानों के लिए डिज़ाइन किया गया था।
यह जहाज पोलैंड के गडिनिया शिपयार्ड में निर्मित किया गया और दिसंबर 1985 में भारतीय नौसेना में शामिल हुआ।
यह जहाज समुद्री युद्ध के समय तटीय क्षेत्रों में सैनिकों, टैंकों और आवश्यक आपूर्ति को पहुँचाने में सक्षम था।
अपनी सेवा के दौरान यह जहाज पहले पूर्वी नौसेना कमान के अधीन रहा और बाद में अंडमान और निकोबार कमान को सौंपा गया।
प्रश्न. भारत का पहला अंडरवाटर म्यूजियम किस सेवानिवृत्त नौसैनिक जहाज के चारों ओर स्थापित किया जा रहा है?