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वैश्विक कौशल अंतराल को पाटने में भारत की भूमिका

मुख्य परीक्षा

(सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र-3 : प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास)

संदर्भ 

जनसांख्यिकीय परिवर्तन, वैश्वीकरण, तकनीकी प्रगति और जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक प्रवृत्ति अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिकों की मांग व आपूर्ति में महत्वपूर्ण बदलाव ला रहे हैं। ऐसे परिवर्तनों के बीच सार्वजनिक नीति चर्चा के विभिन्न पहलुओं में इन श्रमिकों के कौशल को केंद्रीय स्थान दिया जा रहा है। ऐसे में भारत का कुशल कार्यबल वैश्विक श्रम बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

वैश्विक कौशल आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत के लिए अवसर 

  • पारंपरिक एवं प्रमुख प्रवासी गंतव्यों (अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा व खाड़ी सहयोग परिषद के देश) और नए गंतव्यों (जर्मनी, दक्षिण कोरिया, जापान, आदि) की आव्रजन नीतियों की समीक्षा के अनुसार कौशल-चयनात्मक और कौशल-गहन आव्रजन को प्राथमिकता दी जा रही है। 
    • चूंकि, अधिकांश गंतव्य देशों का ऐसा मानना है कि वृद्ध होते समाज, डिजिटलीकरण, घटती प्रजनन दर और चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक वातावरण से निपटने के लिए आर्थिक विविधीकरण रणनीतियों की आवश्यकता प्रासंगिक कौशल वाले अंतर्राष्ट्रीय प्रवासी श्रमिकों के द्वारा ही पूरी की जा सकती है।
  • ऐसी स्थिति में वैश्विक कौशल अंतराल को पाटने का एक महत्वपूर्ण अवसर भारत के पास हो सकता है। हालांकि, विभिन्न गंतव्य देशों की कौशल आवश्यकताओं को प्रभावी ढंग से पूरा करना एक जटिल कार्य है। ऐसे में भारत से कौशल-केंद्रित अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रवास को सुगम बनाने के लिए मजबूत एवं साक्ष्य-आधारित नीतिगत हस्तक्षेप आवश्यक हैं।

नीतिगत चुनौतियाँ 

  • डाटा अपर्याप्तता : भारत से वार्षिक प्रवासी श्रमिकों के बहिर्गमन का एकमात्र डाटा स्रोत उत्प्रवास मंजूरी से संबंधित डाटा जो केवल मैट्रिकुलेशन से कम शैक्षिक योग्यता वाले और 18 चुनिंदा देशों में प्रवास करने वाले कम कुशल श्रमिकों को कवर करता है। इस तरह के डाटा की अपर्याप्तता रचनात्मक नीतियों को तैयार करने में एक बड़ी बाधा है।
  • नीतिगत ढांचे का अभाव : भारत में अभी भी अंतरराष्ट्रीय श्रम गतिशीलता के लिए एक व्यापक नीतिगत ढांचे का अभाव है। चूंकि, इस संदर्भ में भारत के प्रयास मुख्यतः विभिन्न देशों के साथ अंतर्राष्ट्रीय श्रम गतिशीलता पर द्विपक्षीय समझौतों के इर्द-गिर्द घूमते रहे हैं जिसमें सामाजिक सुरक्षा, कौशल, संरक्षण एवं कल्याण जैसे पहलू शामिल होते हैं। ऐसे में भारत को इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। 
  • श्रम प्रवास पर बेहतर नीति की आवश्यकता : वर्तमान में भारत में अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रवास पर एक व्यापक राष्ट्रीय नीति का अभाव है जिसमें कौशल-केंद्रित प्रवास को मूलभूत स्तंभों में से एक माना जाए। ऐसी नीति में भारत को वैश्विक कौशल राजधानी के रूप में बदलने में शामिल विभिन्न प्रक्रियाओं के लिए स्पष्ट रूप से रोडमैप निर्धारित किया जाना चाहिए।

क्या किया जाना चाहिए 

भारत को वैश्विक कौशल आपूर्तिकर्ता बनने की दिशा में निम्नलिखित कदम उठाए जाने की आवश्यकता है-

  • चुनिंदा गंतव्य देशों में मांग में लगातार परिवर्तनशील कौशल की पहचान करना और उनका पूर्वानुमान लगाना तथा उनके प्रमुख क्षेत्रों एवं व्यवसायों में उभरते कौशल अंतरालों की पहचान करना 
    • इसके लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण के विकास के लिए यूरोपीय केंद्र जैसे संगठनों द्वारा उपयोग की जाने वाली कठोर पद्धतियों का उपयोग करना शामिल है।   चूंकि क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय कौशल-पूर्वानुमान अभ्यासों से प्राप्त डाटा व अंतर्दृष्टि भारत को कौशल आवश्यकताओं का जवाब देने में मदद कर सकते हैं। विशेष रूप से अमेरिका, यू.के. व कनाडा के ज्यादातर मध्यम अवधि (2-5 वर्ष) वाले डाटा अधिक महत्त्वपूर्ण हैं। इसे गंतव्य देशों में वास्तविक समय की ऑनलाइन नौकरी रिक्तियों के बड़े डाटा विश्लेषण द्वारा पूरक बनाया जाना चाहिए, जिसके लिए भारत कौशल का प्रमुख आपूर्तिकर्ता बनना चाहता है। 
  • इसके अलावा भारत की कौशल प्रदान करने की अपेक्षित क्षमता का आकलन किया जाना चाहिए जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं :  
    • कौशल गतिशीलता एवं अनुवर्ती कार्रवाइयों से संबंधित देश के कौशल विकास प्रयासों का व्यवस्थित मानचित्रण करना 
    • विशिष्ट संस्थानों में पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में पहचाने गए कौशल व दक्षताओं को शामिल करना 
    • वैश्विक कौशल अंतराल को पूरा करने के लिए भारत के अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्रों के कौशल कार्यक्रमों को पुनः उन्मुख करना 
    • गंतव्य देशों के लिए अनुकूलित अल्पकालिक कौशल प्रशिक्षण तैयार करना
    • प्राथमिकता कौशल विकास की गुणवत्ता को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के स्तर का बनाना 
  • भारत के लिए गंतव्य देशों की कौशल योग्यता प्रणालियों के अभिसरण एवं कौशल योग्यता ढांचे की समीक्षा की भी आवश्यकता है ताकि यहाँ की योग्यताओं को प्रमुख गंतव्य देशों के साथ संरेखित करने में इसकी प्रभावशीलता का आकलन किया जा सके।
  • इसके अलावा एक महत्वपूर्ण कौशल-केंद्रित अंतरराष्ट्रीय श्रम प्रवास सूचना प्रणाली की आवश्यकता है जिसमें मात्रात्मक व गुणात्मक संकेतक शामिल हों। इस तरह के प्लेटफ़ॉर्म को नियमित रूप से कौशल एवं प्रवास के प्रमुख संकेतकों पर जानकारी और डाटा को एकत्रित, उत्पन्न, विश्लेषण व रिपोर्ट करना चाहिए ताकि साक्ष्य-आधारित हस्तक्षेप सक्षम हो सकें।
  • वर्तमान में भारत में अंतर्राष्ट्रीय श्रम प्रवास पर एक व्यापक राष्ट्रीय नीति का अभाव है। इस संदर्भ में समकालीन आव्रजन नीतियाँ अस्थायीकरण को प्रोत्साहित करती हैं जिससे अंतर्राष्ट्रीय कौशल प्रवास प्रवाह (International Skilled Migration Flows) में वापस लौटने वाले प्रवासी (Return Migration) प्रमुखता प्राप्त कर रहे हैं। भारत में वापस लौटे प्रवासियों के कौशल का इष्टतम उपयोग देश की प्रवास नीतियों के सबसे उपेक्षित पहलुओं में से एक है। 
    • वापस लौटे प्रवासियों को प्रभावी रूप से पुनः एकीकृत करने का सबसे अच्छा तरीका यह सुनिश्चित करना है कि गंतव्य देशों में उन्होंने जो कौशल और दक्षताएं अर्जित की हैं, उन्हें उन देशों के विशेष कौशल प्रमाणन संस्थानों द्वारा मान्यता प्रदान की जाए, ताकि प्रवासी वापस लौटने पर भारतीय श्रम बाजार में प्रभावी रूप से वापस आ सकें।

निष्कर्ष 

उपरोक्त कदम भारत एवं प्रमुख गंतव्य देशों के बीच कौशल साझेदारी को बढ़ावा देने, कौशल-केंद्रित गतिशीलता को बढ़ावा देने और प्रवास व विकासात्मक परिणामों में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

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