| (प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक आर्थिक घटनाक्रम) |
चर्चा में क्यों
28 नवंबर 2025 को भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 244 ‘समेकित प्रमुख निर्देश’ (Consolidated Master Directions) जारी किए। इसका उद्देश्य विनियमित संस्थाओं (Regulated Entities: REs) पर अनुपालन बोझ कम करना और नियामक ढांचे में पारदर्शिता व स्पष्टता लाना है।
RBI की विनियमन पहल के बारे में
पृष्ठभूमि
- RBI ने विगत कुछ वर्षों में 9000 से अधिक सर्कुलर/गाइडलाइंस जारी की हैं।
- अलग-अलग समय पर जारी निर्देशों के कारण REs जैसे बैंक, NBFC, वित्तीय कंपनियों को समझने में कठिनाई होती थी कि कौन सा निर्देश लागू है और कौन-सा नहीं।
- वर्ष 2025 में RBI ने नियमन प्रक्रिया को अधिक सलाहकारी और पारदर्शी बनाने के लिए एक नया फ्रेमवर्क जारी किया।
- इसी दिशा में यह समेकन एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।
मुख्य बिंदु
- 244 नए मुख्य निर्देश जारी किए गए, जो 3500 पुराने निर्देशों को समेकित करते हैं।
- 11 प्रकार की निम्नलिखित REs के लिए अलग-अलग निर्देश तैयार किए गए हैं:
- वाणिज्यिक बैंक
- लघु वित्त बैंक
- पेमेंट्स बैंक
- लोकल एरिया बैंक
- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
- अर्बन कोऑपरेटिव बैंक
- रूरल कोऑपरेटिव बैंक
- ऑल-इंडिया फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस
- NBFCs
- एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनियां
- क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनियां
चुनौतियाँ
- बड़े पैमाने पर पुराने निर्देशों को हटाना और नए को लागू करना एक जटिल प्रक्रिया है।
- कुछ स्टेकहोल्डर्स ने सुझाव दिए जो नियामक बदलाव से जुड़े थे, ये इस प्रक्रिया के दायरे में नहीं आते थे, इसलिए शामिल नहीं किए जा सके।
- सभी REs को नए MDs को समझने और अपने आंतरिक अनुपालन सिस्टम को अपडेट करने में समय लग सकता है।
- बड़े पैमाने पर बदलाव से प्रारंभिक भ्रम या तकनीकी चुनौतियाँ सामने आ सकती हैं।
आगे की राह
- RBI आगे भी परामर्श आधारित नियमन प्रक्रिया अपनाने पर जोर दे रहा है।
- वित्तीय संस्थाओं को नए मास्टर डायरेक्शन्स को समझने और लागू करने के लिए प्रशिक्षण और आंतरिक प्रक्रियाओं के अपग्रेड की जरूरत होगी।
- नए निर्देशों की स्पष्टता और एकरूपता से नियमन लागू करना आसान होगा और "व्यापार सुगमता" में सुधार आएगा।
- RBI समय-समय पर समीक्षा करके आवश्यक संशोधन कर सकता है।
निष्कर्ष
RBI का यह कदम वित्तीय क्षेत्र में स्पष्टता, पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। 244 समेकित मास्टर डायरेक्शन्स न केवल अनुपालन बोझ कम करेंगे बल्कि व्यापार सुगमता को भी मजबूत करेंगे। यह कदम वित्तीय प्रणाली को अधिक सुव्यवस्थित, आधुनिक और उपभोक्ता-हितैषी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा।