भारतीय नौसेना के लिए एक बड़ी उपलब्धि के रूप में INS अरिधमान, भारत की तीसरी स्वदेशी रूप से निर्मित परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) जल्द ही कमीशन होने जा रही है।
INS अरिधमान के बारे में
- INS अरिधमान, अरिहंत-श्रेणी की तीसरी SSBN पनडुब्बी है, जिसे भारत के उन्नत प्रौद्योगिकी वेसेल (ATV) प्रोजेक्ट के तहत विकसित किया गया है।
- यह पनडुब्बी समुद्र से परमाणु हमले की क्षमता प्रदान करती है, जो भारत की ‘प्रथम उपयोग नहीं’ (No-First-Use) नीति के तहत आवश्यक द्वितीय प्रहार क्षमता को मजबूत बनाती है।
- यह 90% से अधिक स्वदेशी तकनीक से निर्मित है, जिसमें इसका परमाणु रिएक्टर भी शामिल है। इसे विशाखापट्टनम स्थित शिप बिल्डिंग सेंटर ने विकसित किया है।
मुख्य विशेषताएँ
- क्लास: अरिहंत-श्रेणी SSBN
- विस्थापन: लगभग 6,000 टन (सतह), लगभग 7,000 टन (पानी के अंदर)
- प्रणोदन: 83 MW प्रेसराइज्ड वाटर रिएक्टर (BARC), जो लगभग असीमित समुद्री सहनशक्ति प्रदान करता है।
- हथियार प्रणाली
- चार वर्टिकल लॉन्च ट्यूब
- 24 तक K-15 सागरिका SLBM (750 किमी. रेंज)
- या 3,500 किमी तक रेंज वाले K-4 मिसाइल
- स्टेल्थ क्षमता
- उन्नत एनेकोइक टाइल्स
- बो, फ्लैंक और टोएड-अरे सोनार सिस्टम
- निर्माण: उच्चतम स्तर की स्वदेशी डिज़ाइन और निर्माण तकनीक
महत्व
- परमाणु त्रिआयामी क्षमता मजबूत : INS अरिधमान की तैनाती से भारत की अंडरवाटर सेकंड-स्ट्राइक क्षमता बेहद मज़बूत होगी, जो किसी भी परमाणु प्रतिरोधक नीति के लिए आधारशिला होती है।
- निरंतर समुद्री निगरानी : अरिहंत और अरिघात के साथ तीसरी SSBN जुड़ने से भारत अब निरंतर समुद्र में रणनीतिक निगरानी बनाए रख सकेगा।
- क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण: हिंद महासागर क्षेत्र में बढ़ते भू-राजनीतिक तनावों के बीच यह पनडुब्बी भारत की रणनीतिक क्षमता और सुरक्षा दायरे को और बढ़ाती है।
- आत्मनिर्भर भारत की बड़ी उपलब्धि: लगभग पूर्ण स्वदेशी निर्माण भारत की जटिल परमाणु पनडुब्बी तकनीक पर पकड़ को दर्शाता है और रक्षा क्षेत्र में तकनीकी आत्मनिर्भरता को मजबूत करता है।
- नौसेना का आधुनिकीकरण: यह पनडुब्बी नौसेना के आधुनिक बेड़े में महत्वपूर्ण जोड़ है और भारत की समुद्री शक्ति को वैश्विक स्तर पर बढ़ाती है।