आईएनएस निस्तार: भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट पोत नौसेना में शामिल
चर्चा में क्यों ?
भारतीय नौसेना ने 2025 में एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की, जब विशाखापत्तनम में भारत का पहला स्वदेशी डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) - आईएनएस निस्तार नौसेना में औपचारिक रूप से शामिल हुआ।
यह न केवल भारत की समुद्री रक्षा क्षमताओं को बढ़ाता है, बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियानों को भी बल देता है।
पृष्ठभूमि: अत्याधुनिक पनडुब्बी बचाव की ओर
आईएनएस निस्तार, भारतीय नौसेना के लिए बनाए जा रहे दो डाइविंग सपोर्ट वेसल्स में से पहला है।
इसका निर्माण हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा किया गया है।
यह पोत संतृप्ति गोताखोरी और पनडुब्बी बचाव अभियानों को अंजाम देने की क्षमताओं से लैस है — जो दुनियाभर की कुछ ही नौसेनाओं के पास है।
प्रमुख विशेषताएँ:-
डाइविंग टेक्नोलॉजी:-अत्याधुनिक प्रणालियाँ जैसे रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV), डाइविंग कम्प्रेशन चेंबर और स्व-चालित हाइपरबेरिक लाइफ बोट।
गोताखोरी क्षमता:-300 मीटर की गहराई तक गोता लगाने व बचाव कार्य में सक्षम।
पनडुब्बी बचाव हेतु:-यह पोत गहरे जलमग्न बचाव पोत (DSRV) के लिएमातृ पोत (mother ship) के रूप में काम करता है।
आकार और निर्माण:
विस्थापन: 10,000 टन से अधिक
लंबाई: 118 मीटर
80% स्वदेशी निर्माण सामग्री
120 से अधिक MSMEs की भागीदारी
द्वैध उपयोग:-यह पोत न केवल नौसेना संचालन बल्कि क्षेत्रीय बचाव साझेदारी के लिए भी डिज़ाइन किया गया है।
रणनीतिक और सामरिक महत्त्व:
भारत की क्षेत्रीय स्थिति को मज़बूती:-आईएनएस निस्तार हिंद महासागर क्षेत्र में भारत को एक "पसंदीदा पनडुब्बी बचाव सहयोगी" के रूप में स्थापित करता है।
संकट में तत्परता:-यह पोत पनडुब्बी संकट प्रतिक्रिया अभियानों में नौसेना को तेज़, सक्षम और आत्मनिर्भर बनाता है।
तकनीकी आत्मनिर्भरता:-यह पोत भारत की वैश्विक मानकों के अनुरूप जटिल नौसैनिक प्लेटफॉर्म्स के निर्माण की क्षमता को दर्शाता है।
सहयोग और साझेदारी:-भारत अब मित्र देशों की नौसेनाओं को संकट की स्थिति में तकनीकी सहायता और बचाव सहायता प्रदान करने में सक्षम होगा।