मई 2025 में भारत ने अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान (IIAS) की वर्ष 2025-2028 अवधि की अध्यक्षता के लिए हुए चुनाव में जीत प्राप्त की है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रशासनिक विज्ञान संस्थान के बारे में
- परिचय : यह वैश्विक संघ सार्वजनिक प्रशासन के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान एवं सहयोग को बढ़ावा देता है।
- यद्यपि यह संयुक्त राष्ट्र का औपचारिक रूप से संबद्ध निकाय नहीं है किंतु संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक प्रशासन से संबंधित कार्यों में सक्रिय रूप से भाग लेता है।
- स्थापना : वर्ष 1930
- मुख्यालय : ब्रुसेल्स (बेल्जियम)
- सदस्य देश : IIAS में 31 सदस्य देश, 20 राष्ट्रीय खंड एवं 15 शैक्षणिक अनुसंधान केंद्र शामिल हैं।
- इसके प्रमुख सदस्य देशों में भारत, जापान, चीन, जर्मनी, इटली, कोरिया, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, स्विट्जरलैंड, मैक्सिको, स्पेन, कतर, मोरक्को एवं इंडोनेशिया शामिल हैं।
IIAS के प्रमुख उद्देश्य
- सार्वजनिक प्रशासन में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देना
- वैश्विक स्तर पर प्रशासनिक प्रथाओं का तुलनात्मक अध्ययन करना
- सदस्य देशों के बीच ज्ञान व सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान करना
- प्रशासनिक सुधारों एवं नीति-निर्माण में सहायता प्रदान करना
भारत एवं IIAS
- भारत वर्ष 1998 से IIAS का सदस्य देश रहा है और इसका प्रतिनिधित्व प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत विभाग (DARPG) द्वारा किया जाता है।
- DARPG भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण विभाग है जो प्रशासनिक सुधारों, लोक शिकायत निवारण एवं सुशासन को बढ़ावा देने के लिए कार्य करता है।
अध्यक्षता के लिए नामांकन एवं चुनाव प्रक्रिया
- भारत ने नवंबर 2024 में DARPG के सचिव वी. श्रीनिवास को उम्मीदवार नामित किया।
- फरवरी 2025 में नई दिल्ली के भारत मंडपम में चार देशों ‘भारत, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रिया एवं बहरीन’ ने अध्यक्षता के लिए अपने उम्मीदवारों को नामांकित किया था।
- 3 जून, 2025 को हुए अंतिम दौर के चुनाव में कुल 141 मतों में से भारत ने 87 मत (61.7%) हासिल किए, जबकि शेष 54 मत ऑस्ट्रिया को प्राप्त हुए।
भारत की अध्यक्षता के संभावित प्रभाव
- प्रशासनिक सुधारों को बढ़ावा: भारत अपनी डिजिटल इंडिया पहल, ई-गवर्नेंस एवं लोक शिकायत निवारण तंत्र, जैसे- केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (CPGRAMS) को IIAS के मंच पर प्रदर्शित कर सकता है।
- विकासशील देशों के लिए प्रेरणा : भारत की अध्यक्षता विकासशील देशों को अपने प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
- वैश्विक मानकों का निर्माण : भारत वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक प्रशासन के लिए मानक स्थापित करने में योगदान दे सकता है, विशेष रूप से पारदर्शिता, जवाबदेही व समावेशिता के क्षेत्र में।
- क्षमता निर्माण : IIAS के मंच के माध्यम से भारत प्रशासनिक अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकता है।