New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM Teachers Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 6th Sept. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 28th Sept, 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 25th Sept., 11:00 AM

त्रि-भाषा फॉर्मूला से संबंधित मुद्दे

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय व चुनौतियाँ)

संदर्भ 

केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री- स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (PM-SHRI) पहल में शामिल होने से इनकार करने के कारण समग्र शिक्षा योजना के तहत तमिलनाडु को मिलने वाली 2,152 करोड़ रुपए की राशि पर रोक लगा दी है। 

तमिलनाडु के पीएम-श्री पहल में शामिल न होने के कारण 

  • तमिलनाडु पीएम-श्री योजना में भाग लेने के लिए उत्सुक है किंतु वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP), 2020 को लागू करने के लिए दिए जाने वाले आदेश का विरोध करता है।
  • तमिलनाडु की मुख्य आपत्तियों में से एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्कूलों में त्रि-भाषा फॉर्मूला अपनाने पर जोर देना है। तमिलनाडु सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह अपनी द्वि-भाषा नीति को नहीं छोड़ेगा।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति में त्रि-भाषा फॉर्मूला संबंधी प्रावधान

  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 में अपनाए गए त्रि-भाषा फॉर्मूला की अवधारणा को पहली बार राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1968 में प्रस्तुत किया गया था। 
    • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 1968 ने पूरे देश में हिंदी को अनिवार्य भाषा बनाने की वकालत की थी।
    • इसके तहत हिंदी भाषी राज्यों को हिंदी, अंग्रेजी एवं एक आधुनिक भारतीय भाषा (मुख्यत: कोई दक्षिण भारतीय भाषा) पढ़ाना आवश्यक था। गैर-हिंदी भाषी राज्यों से स्थानीय क्षेत्रीय भाषा, हिंदी एवं अंग्रेजी पढ़ाने की अपेक्षा की गई थी।
    • इसके विपरीत राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 अधिक लचीलापन प्रदान करते हुए तकनीकी रूप से किसी भी राज्य पर कोई विशिष्ट भाषा नहीं थोपता है।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के अनुसार बच्चों द्वारा सीखी जाने वाली तीन भाषाएँ राज्यों, क्षेत्रों एवं निश्चित रूप से छात्रों की पसंद की होंगी बशर्ते कि तीन भाषाओं में से कम-से-कम दो भारत की मूल भाषा हों।
    • इसका अर्थ है कि राज्य की भाषा के अलावा छात्रों को कम-से-कम एक अन्य भारतीय भाषा सीखनी होगी। हालाँकि, यह आवश्यक नहीं कि वह हिंदी ही हो। 
    • इस नीति में द्वि-भाषी शिक्षण, विशेष रूप से स्थानीय भाषा/मातृभाषा और अंग्रेज़ी पर भी बल दिया गया है।
  • यह नीति त्रि-भाषा फ़ॉर्मूले के भीतर वैकल्पिक विकल्प के रूप में संस्कृत पर बल देती है।

तमिलनाडु द्वारा विरोध का कारण

  • तमिलनाडु ने लंबे समय से ‘हिंदी थोपने’ का विरोध किया है। वर्ष 1937 में मद्रास में सी. राजगोपालाचारी (राजाजी) सरकार ने माध्यमिक विद्यालयों में हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने का प्रस्ताव रखा, तो जस्टिस पार्टी ने इसका विरोध किया।
    • अंततः राजाजी ने इस्तीफा दे दिया और ब्रिटिश सरकार ने आदेश वापस ले लिया।
  • वर्ष 1965 में पूरे भारत में हिंदी को एकमात्र आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने की समय-सीमा नजदीक आई तब भी तमिलनाडु में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। 
  • संसद द्वारा आधिकारिक भाषा (संशोधन) अधिनियम, 1967 और आधिकारिक भाषा प्रस्ताव, 1968 को अपनाने के दौरान भी राज्य में आंदोलन प्रारंभ हुआ था। 
    • इस दौरान अन्नादुरई के नेतृत्व वाली द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर त्रि-भाषा फॉर्मूले को समाप्त करने और तमिलनाडु के स्कूलों में पाठ्यक्रम से हिंदी को हटाने का आह्वान किया। 
    • तभी से इस राज्य ने तमिल एवं अंग्रेजी पढ़ाने की अपनी द्वि-भाषा नीति का दृढ़ता से पालन किया है। 
  • वर्ष 2019 में विरोध के कारण कस्तूरीरंगन समिति ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के मसौदे से अनिवार्य हिंदी सीखने के खंड को हटा दिया था।

तमिलनाडु सरकार के तर्क

  • तमिलनाडु सरकार त्रि-भाषा फॉर्मूला को हिंदी थोपने का प्रयास मानती है। उसका तर्क है कि व्यवहार में त्रि-भाषा फॉर्मूले के कार्यान्वयन से वस्तुत: हिंदी को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि अतिरिक्त भाषा शिक्षकों व शिक्षण सामग्री के लिए संसाधन सीमित हैं।
  • वर्ष 2019 के केंद्रीय बजट में गैर-हिंदी भाषी राज्यों में हिंदी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए 50 करोड़ आवंटित किए गए। आलोचकों का तर्क है कि केंद्र सरकार की यह  कार्रवाई क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्यों के विपरीत है। 
    • उदाहरण के लिए, केंद्रीय विद्यालयों में पर्याप्त क्षेत्रीय भाषा शिक्षकों को नियुक्त करने या विंध्य क्षेत्र के ऊपर के स्कूलों में दक्षिण भारतीय भाषाओं को पढ़ाना सुनिश्चित करने के प्रयासों की कमी से यह स्पष्ट होता है।

निष्कर्ष

  • त्रि-भाषा फॉर्मूला के संदर्भ में एकमात्र व्यवहार्य समाधान रचनात्मक संवाद तथा शिक्षा जैसे मुद्दे पर केंद्र व राज्य के बीच व्यावहारिक समझौता है, जिसे आपातकाल के दौरान राज्य से समवर्ती सूची में स्थानांतरित कर दिया गया था।
  • उल्लेखनीय रूप से तमिलनाडु ने लंबे समय से चली आ रही द्वि-भाषा नीति के साथ, सकल नामांकन अनुपात और स्कूल छोड़ने की दर में कमी जैसे प्रमुख मापदंडों में लगातार कई अन्य राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया है।
    • ऐसे में तीसरी भाषा को लेकर असहमति को शिक्षा के लिए एक व्यापक कार्यक्रम ‘समग्र शिक्षा’ के लिए धन की कमी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X