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जैवस्काइलावायरस

फिनलैंड के वैज्ञानिकों ने पहली बार जैवस्काइलावायरस (Jyvaskylavirus) नामक एक विशाल वायरस (Giant Virus) की पहचान की है। यह खोज University of Jyväskylä के नैनोसाइंस सेंटर में हुई। 

विशाल वायरस (Giant Virus) के बारे में 

  • परिचय : ये वायरस आकार में सामान्य वायरस की तुलना में काफी बड़े होते हैं और कभी-कभी ये बैक्टीरिया जितने बड़े भी हो सकते हैं। 
  • आकार : इनका आकार 200 से 400 नैनोमीटर या इससे भी अधिक हो सकता है। 
  • संक्रमण : ये प्राय: इंसानों को संक्रमित न करके अमीबा जैसे सूक्ष्म जीवों (Microscopic Organisms) को संक्रमित करते हैं।
  • पारिस्थितिकी भूमिका : 
    • सूक्ष्मजीवों की संख्या को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।
    • मृदा एवं पानी की जैव विविधता में संतुलन में सहायक होते हैं। 
  • अन्य प्रमुख बिंदु : इनमें कई ऐसे जीन होते हैं जो सामान्य वायरसों में नहीं पाए जाते हैं।
    • ये मृदा, झील, समुद्र व ठंडे क्षेत्रों (जैसे- आर्कटिक, फिनलैंड) में भी पाए जाते हैं।
    • हाल के वर्षों में यूरोप एवं दक्षिण अमेरिका में ऐसे कई वायरस पाए गए हैं। इनके जीवन चक्र (Life Cycle) और प्रसार (Distribution) के बारे में अभी बहुत कम जानकारी है।
    • वैज्ञानिकों के अनुसार ये वायरस जीवन की शुरुआत तथा वायरसों के विकास को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 

हालिया खोज के बारे में 

  • नाम : हालिया खोजे गए इस विशाल वायरस का नाम जैवस्काइलावायरस (Jyvaskylavirus) रखा गया है।
  • आकार : इस वायरस का आकार लगभग 200 नैनोमीटर है जोकि सामान्य फ्लू या कोरोना वायरस से लगभग दोगुना बड़ा है।
    • वैज्ञानिकों ने इसे तब खोजा, जब उन्होंने पर्यावरण से लिए गए नमूनों को एक प्रकार की अमीबा (Acanthamoeba castellanii) के साथ मिलाया।
  • प्रमुख बिंदु : वैज्ञानिकों ने इस वायरस की संरचना एवं जीनोम (आनुवंशिक जानकारी) का अध्ययन किया और पाया कि यह वायरस फ्रांस में पाए गए Marseillevirus से मेल खाता है। 
  • महत्व : इस खोज से सूक्ष्मजीवों के बीच अंतःक्रिया एवं सभी जीवित जीवों की आबादी को विनियमित करने में वायरस की भूमिका को समझने में मदद मिलेगी। साथ ही, विशाल वायरस की संरचना के बारे में नई जानकारी भी मिलेगी।
    • यह खोज दर्शाती है कि मृदा एवं पानी में, विशेष रूप से ठंडे उत्तर के इलाकों में, ऐसे वायरस पहले से अधिक पाए जा सकते हैं।
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