भारत ने हाल ही में बंगाल की खाड़ी में आई.एन.एस. अरिहंत पनडुब्बी से के-4 (K-4) नामक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल लगभग 3,500 किलोमीटर दूर स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है और भारत की समुद्री परमाणु क्षमता को और मजबूत करती है।
के-4 मिसाइल के बारे में
- के-4 को कभी-कभी कलाम-4 के नाम से भी जाना जाता है जो पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली परमाणु क्षमता वाली बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है।
- इसे मुख्य रूप से अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों पर तैनात किया जाता है। हर अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बी में चार के-4 मिसाइलें रखी जा सकती हैं।
- यह मिसाइल डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) द्वारा पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित की गई है।
प्रमुख विशेषताएँ
- आकार व वजन: के-4 मिसाइल लगभग 12 मीटर लंबी और 17 टन वजनी है।
- ईंधन एवं चरण: इसमें दो चरणों वाली ठोस ईंधन प्रणाली लगी है।
- मारक क्षमता: लगभग 3,500 किलोमीटर है जो पुरानी के-15 मिसाइल (750 किलोमीटर) की तुलना में कई गुना अधिक है।
- पेलोड क्षमता: यह 2 टन तक का परमाणु हथियार ले जा सकती है।
- पानी के अंदर लॉन्च की सुविधा: मिसाइल को पनडुब्बी से बाहर निकालने के बाद ही इंजन प्रज्वलित होता है जिससे इसे ठंडे पानी में भी सुरक्षित लॉन्च किया जा सकता है।
- नेविगेशन व सटीकता: के-4 में जी.पी.एस. और भारत की नाविक प्रणाली से समर्थित उन्नत जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली है। यह मिसाइल 10 मीटर से कम वृत्ताकार त्रुटि के साथ लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है।
महत्व
- के-4 मिसाइल का परीक्षण भारत की समुद्री परमाणु ताकत और रणनीतिक रक्षा क्षमताओं में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह न केवल अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों को सक्षम बनाती है, बल्कि भारत की आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक और समुद्री सुरक्षा में नए आयाम जोड़ती है।