चर्चा में क्यों?
- 26 जून 2025 को श्रीलंका में कटारागामा एसाला महोत्सव 2025 का भव्य शुभारंभ ध्वजारोहण समारोह के साथ हुआ।

प्रमुख बिंदु :-
- यह उत्सव अपने आध्यात्मिक महत्व और अंतरधार्मिक सौहार्द के लिए प्रसिद्ध है।
- यह हिंदू, बौद्ध और मुस्लिम समुदायों के लिए एक सांस्कृतिक संगम का प्रतीक है, जिसमें श्रीलंका और भारत से हज़ारों श्रद्धालु भाग लेते हैं।
प्रमुख तिथियाँ
- उद्घाटन (ध्वजारोहण): 26 जून 2025
- अग्नि-चलन अनुष्ठान: 7 जुलाई 2025
- महा पेराहेरा (भव्य जुलूस): 10 जुलाई 2025
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
- भगवान स्कंद / मुरुगन की पूजा: हिंदू धर्म में भगवान मुरुगन को छह सिर और बारह भुजाओं वाले युद्ध के देवता के रूप में पूजा जाता है।
- बौद्ध दृष्टिकोण: उन्हें कथरागामा देवियो के रूप में पूजा जाता है।
- मुस्लिम मान्यता: इस स्थान को हजरत खिज्र से जोड़ा जाता है।
इस बहु-धार्मिक पहचान के कारण यह उत्सव सांप्रदायिक एकता और धार्मिक समरसता का अनुपम उदाहरण है।
अनोखी तीर्थयात्रा (पद यात्रा)
- 500+ किलोमीटर की यात्रा: श्रद्धालु जाफना और अन्य सुदूर क्षेत्रों से सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर कटारगामा पहुंचते हैं।
- यह यात्रा आस्था, सहनशीलता और भक्ति का जीवंत उदाहरण है।
कार्यक्रम स्थल
- कटारगामा महा देवला मंदिर: भगवान स्कंद को समर्पित यह मंदिर हिंदू-बौद्ध एकता का प्रतीक स्थल है और महोत्सव का केंद्र बिंदु है।
प्रश्न :-कटारागामा एसाला महोत्सव किस देश में आयोजित होता है?
(a) भारत
(b) श्रीलंका
(c) नेपाल
(d) म्यांमार
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