(प्रारंभिक परीक्षा : भारतीय राज्यतंत्र और शासन- संविधान, राजनीतिक प्रणाली, पंचायती राज, लोकनीति, अधिकारों संबंधी मुद्दे इत्यादि) |
चर्चा में क्यों
हाल ही में, कोकबोरोक साहित्य परिषद द्वारा ‘कोकबोरोक भाषा’ को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग की गई।
कोकबोरोक भाषा के बारे में
- परिचय: यह त्रिपुरा के स्वदेशी समुदायों के बीच व्यापक रूप से बोली जाने वाली सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है।
- भाषा परिवार : सिनो-तिब्बती भाषा परिवार की तिब्बती-बर्मी (Tibeto-Burman) शाखा से संबंधित
- भौगोलिक विस्तार : मुख्य रूप से त्रिपुरा राज्य में बोली जाती है।
- इसके अतिरिक्त बांग्लादेश और म्यांमार के कुछ हिस्सों में भी।
- भाषा-समुदाय : लगभग 10 लाख से अधिक लोग कोकबोरोक बोलते हैं।
- यह भाषा त्रिपुरा की कई प्रमुख जनजातियों जैसे टिपरा, रियांग, जमातिया, नोआतिया आदि द्वारा बोली जाती है।
- लिपि : कोकबोरोक के लिए अभी तक कोई एकीकृत लिपि नहीं अपनाई गई है:
- कुछ लोग बंगाली लिपि का उपयोग करते हैं।
- आदिवासी समुदाय रोमन लिपि को अधिक सहज मानते हैं।
- राजकीय भाषा का दर्जा : वर्ष 1979 में, त्रिपुरा सरकार द्वारा इसे राजकीय भाषा का दर्जा प्रदान किया गया।
- यूनेस्को में शामिल : यूनेस्को के ‘दुनिया की संकटग्रस्त भाषाओं के एटलस’ (Atlas of the World's Languages in Danger) में इसे ‘संकटग्रस्त’ (Vulnerable) भाषा के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
इसे भी जानिए
संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाएँ :
- कुल भाषाएँ: 22
- प्रारंभिक 14 भाषाएँ :
- असमिया,बांग्ला,गुजराती,हिंदी,कन्नड़,कश्मीरी,मलयालम,मराठी,उड़िया,पंजाबी,संस्कृत,
तमिल,तेलुगू,उर्दू
- बाद में जोड़ी गईं भाषाएं :
- 21वां संशोधन 1967 : सिंधी
- 71वां संशोधन 1992 : कोंकणी ,मणिपुरी,नेपाली
- 92वां संशोधन (2003): बोडो,डोगरी,मणिपुरी ,संथाली
- संबंधित अनुच्छेद : आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 344(1) और 351 में आते हैं।
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