New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct., 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM Diwali Special Offer UPTO 75% + 10% Off, Valid Till : 22nd Oct. 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 20th Nov., 11:30 AM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 03rd Nov., 11:00 AM

लक्षद्वीप पूर्णतः जैविक केन्द्रशासित राज्य घोषित

(प्रारम्भिक परीक्षा : राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ; मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र -3: विषय – कृषि, सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, लक्षद्वीप समूह को भारत की भागीदारी गारंटी प्रणाली के तहत 100% जैविक केंद्रशासित राज्य (Organic Agricultural Area) घोषित किया गया है।

प्रमुख बिंदु

  • लक्षद्वीप में कृषि अब बिना किसी रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के प्रयोग के की जाती है, जिससे लोगों को सुरक्षित भोजन के विकल्प प्राप्त हो रहे हैं। साथ ही, इससे कृषि भी अधिक पर्यावरण अनुकूल हो गई है अर्थात् मृदा प्रदूषण आदि नगण्य हो गए हैं।
  • इससे पहले वर्ष 2016 में सिक्किम भारत का पहला ‘100% जैविक’ राज्य घोषित किया गया था।
  • लक्षद्वीप की 32 वर्ग किमी. की भौगोलिक कृषि भूमि को केंद्र सरकार की परम्परागत कृषि विकास योजना (जैविक खेती सुधार कार्यक्रम) के तहत आवश्यक प्रमाणपत्र प्राप्त करने के बाद पूर्ण रूप से जैविक घोषित किया गया।
  • ध्यातव्य है कि इससे पूर्व लक्षद्वीप प्रशासन ने रसायन मुक्त क्षेत्र बनाने के लिये अक्तूबर 2017 से कृषि कार्यों के लिये सिंथेटिक रसायनों की बिक्री, उपयोग और राज्य में उनके प्रवेश पर औपचारिक प्रतिबंध लगा दिया था।

भागीदारी गारंटी प्रणाली (Participatory Guarantee System- PGS)

  • पी.जी.एस. जैविक उत्पादों को प्रमाणित करने की एक प्रक्रिया है, जो यह सुनिश्चित करती है कि उनका उत्पादन निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार हो।
  • इस प्रणाली का क्रियान्वयन एवं निष्पादन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया जाता है।
  • यह प्रमाणन केवल किसानों या किसान समूहों के लिये है और यह केवल कृषि गतिविधियों, जैसे कि फसल उत्पादन, प्रसंस्करण, पशुपालन एवं ऑफ-फार्म प्रसंस्करण पर लागू होता है।

जैविक कृषि से लाभ

1) कृषकों की दृष्टि में

  • भूमि की ऊर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है।
  • सिंचाई अंतराल में वृद्धि होती है और फसल-चक्र का विकल्प मिलता है।
  • रासायनिक उर्वरक पर निर्भरता कम होने से लागत में कमी आती है।
  • फसलों की उत्पादकता में वृद्धि।
  • बाज़ार में जैविक उत्पादों की मांग बढ़ने से किसानों की आय में भी वृद्धि होती है।

2) मृदा की दृष्टि से

  • जैविक खाद के उपयोग से भूमि की गुणवत्ता में सुधार आता है।
  • भूमि की जल धारण क्षमता में वृद्धि होती है।
  • भूमि से जल का वाष्पीकरण कम होता है।

3) पर्यावरण की दृष्टि से

  • भूमि के जल स्तर में वृद्धि होती है।
  • मृदा, खाद्य पदार्थ और भूमि में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण में कमी आती है।
  • कचरे का उपयोग खाद निर्माण में किये जाने से बीमारियों में कमी आती है।
  • फसल उत्पादन की लागत में कमी एवं आय में वृद्धि।
  • अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में जैविक उत्पाद की बेहतर गुणवत्ता।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X