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लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट

हाल ही में, वर्ल्ड वाइड फंड (WWF) नेचर द्वारा वन्यजीवों की स्थिति के संदर्भ में द्विवार्षिक रिपोर्ट ‘लिविंग प्लैनेट रिपोर्ट 2024’ (LPR 2024) जारी की गयी। 

रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

  • रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 1970-2020 के दौरान पिछले 50 वर्षों में वन्यजीव आबादी के औसत आकार में 73% की गिरावट आई है। 
    • यह गिरावट वर्ष 2022 की रिपोर्ट में 69% थी।
  • जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन (ZSL) द्वारा उपलब्ध कराए गए लिविंग प्लैनेट इंडेक्स (LPI) में 1970-2020 तक 5,495 प्रजातियों की लगभग 35,000 जनसंख्या प्रवृतियों को शामिल किया गया है।
    • इस वर्ष के सूचकांक में पिछले LPI की तुलना में 265 अधिक प्रजातियाँ और 3,015 अधिक आबादी को शामिल किया गया था। 
  • रिपोर्ट के अनुसार, वन्यजीव आबादी में सबसे तीव्र गिरावट लैटिन अमेरिका एवं कैरिबिया (95%), अफ्रीका (76%), एशिया-प्रशांत (60%) में दर्ज की गई है।
  • रिपोर्ट में सर्वाधिक गिरावट मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र में 85% दर्ज की गई है। इसके बाद स्थलीय पारितंत्र में 69% और समुद्री पारितंत्र में 56% की गिरावट दर्ज की गई है।
  • रिपोर्ट में अमेज़ॅन वर्षावन और प्रवाल भित्तियों जैसे कुछ सबसे मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्रों को खोने के भयावह परिणामों की चर्चा की गई है।
  • रिपोर्ट में प्रदूषण को एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में वन्यजीव आबादी के लिए एक अतिरिक्त खतरा बताया गया है, जिसमें औसतन 60% की गिरावट दर्ज की गई है। 
  • रिपोर्ट में कहा गया है जब किसी प्रजाति की आबादी एक निश्चित स्तर से नीचे गिरती है तो वह प्रजाति पारिस्थितिकी तंत्र में अपनी सामान्य भूमिका निभाने में सक्षम नहीं हो पाती है। 
    • इनमें बीज प्रसार, परागण, चराई, पोषक चक्रण एवं पारिस्थितिकी तंत्र को क्रियाशील रखने वाली कई अन्य प्रक्रियाएँ शामिल हैं।
  • दुनिया भर में वन्यजीव आबादी के लिए सबसे बड़ा खतरा आवास की क्षति एवं गिरावट है। इसके अलावा रिपोर्ट में अन्य जोखिमों पर भी प्रकाश डाला गया है जिसमें अतिशोषण, जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, आक्रामक प्रजातियों का प्रवेश एवं नवीन बीमारियों का प्रवेश है। 
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