महाराष्ट्र ने पशुपालन और मुर्गीपालन को दिया कृषि का दर्जा
चर्चा में क्यों ?
ऐतिहासिक निर्णय: महाराष्ट्र देश का पहला राज्य बना जिसने पशुधन और मुर्गीपालन को औपचारिक रूप से कृषि का दर्जा दिया।
समावेशी कृषि सुधार: यह निर्णय छोटे किसानों, पशुपालकों और ग्रामीण उद्यमियों को कृषि क्षेत्र की नीतियों और योजनाओं में शामिल करता है।
प्रमुख बिंदु :-
11 जुलाई 2025 को, महाराष्ट्र कैबिनेट ने पशुपालन और मुर्गीपालन को कृषि का दर्जा देने का निर्णय लिया।
यह कदम राज्य को भारत का पहला राज्य बना देता है जिसने इस क्षेत्र को औपचारिक रूप से कृषि क्षेत्र में शामिल किया है।
इससे 3.7 करोड़ से अधिक पशुपालकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलने की उम्मीद है।
उद्देश्य: पशुपालकों को मिलेगा समकक्ष अधिकार
इस पहल का उद्देश्य पारंपरिक फसल उत्पादकों और पशुपालकों के बीच नीतिगत समानता लाना है।
अब पशुपालकों को भी कृषि ऋण, बिजली सब्सिडी, कर छूट और सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा, जो पहले केवल कृषकों तक सीमित था।
पृष्ठभूमि: नीति में बदलाव की आवश्यकता
भारत में पारंपरिक रूप सेफसल-आधारित कृषिको प्राथमिकता दी जाती रही है, जबकिपशुपालन को एक "संबद्ध" गतिविधि माना गया।
इसके चलते पशुपालक बुनियादी लाभों से वंचित रह जाते थे। महाराष्ट्र का यह फैसला उस अंतर को दूर करने और न्यायसंगत नीति लागू करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
प्रमुख लाभ और सुविधाएं
कम बिजली दरें: पोल्ट्री शेड, मवेशी आश्रय और मछली तालाब अब कृषि बिजली श्रेणी में आएंगे।
कर में राहत: स्थानीय शुल्क और पहुंच कर अब वाणिज्यिक नहीं, बल्कि कृषि दर पर लागू होंगे।
कृषि ऋण की पात्रता:किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) और अन्य योजनाओं के तहत सस्ते ऋण मिल सकेंगे।
सौर सब्सिडी:पशुपालक अब सौर पंप और अन्य बुनियादी ढांचे सब्सिडी पर स्थापित कर सकेंगे।
क्षेत्रवार प्रभाव
पोल्ट्री उद्योग:उत्पादन में वृद्धि के साथ ब्रॉयलर और हैचरी इकाइयों को नई ऊर्जा मिलेगी।
डेयरी सेक्टर:छोटे और मध्यम स्तर के डेयरी किसानों को सस्ती सेवाओं और ऋण का लाभ मिलेगा।
भेड़-बकरी पालन:सीमांत किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती मिलेगी।
मत्स्य पालन:सस्ती बिजली और सब्सिडी से जल कृषि को बढ़ावा मिलेगा।
आर्थिक और नीति संबंधी प्रभाव
सरकार का अनुमान है कि इससे सालाना ₹7,080 करोड़ की अतिरिक्त ग्रामीण आय उत्पन्न होगी।
यह निर्णयICAR और नीति आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है, जो वैज्ञानिक पशुधन विकास और उत्पादन बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है।
संभावित चुनौतियाँ
नीति की सफलता के लिए ठोस क्रियान्वयन, भूमि उपयोग नीतियों में सुधार, निगरानी तंत्र और क्षमता निर्माण आवश्यक होंगे।
विशेष ध्यान देना होगा कि छोटे और सीमांत पशुपालकों तक ये लाभ प्रभावी रूप से पहुँच सकें।
प्रश्न :-महाराष्ट्र सरकार द्वारा पशुधन और मुर्गीपालन को कृषि का दर्जा देने से किस क्षेत्र में विशेष रूप से लाभ की संभावना है?