(प्रारंभिक परीक्षा : कला एवं संस्कृति) |
चर्चा में क्यों
19 से 24 मई तक आयोजित खेलो इंडिया बीच गेम्स, 2025 में मल्लखंभ को एक प्रदर्शन खेल (डेमोन्सट्रेशन स्पोर्ट) के रूप में शामिल किया गया था । 2025 तक दादरा और नगर हवेली, दमन और दीव के घोघला बीच पर आयोजित हुआ।

मल्लखंभ :
- परिचय: यह भारत की एक पारंपरिक खेल विधा है जिसमें खिलाड़ी एक खंभे या रस्सी की सहायता से शारीरिक संतुलन, शक्ति, लचीलापन और कौशल का प्रदर्शन करते हैं।
- यह खेल योग, कुश्ती और जिमनास्टिक के समन्वय से विकसित हुआ है ।
- नाम की व्युत्पत्ति:
- ‘मल्ल’ का अर्थ होता है पहलवान या योद्धा
- ‘खंभ’ का अर्थ है खंभा या स्तंभ
- उत्पत्ति: इसकी उत्पत्ति महाराष्ट्र में हुई थी।
- ऐतिहासिक विवरण : मल्लखंब के शुरुआती उदाहरण दूसरी और पहली शताब्दी ईस्वी के बीच चंद्रकेतुगढ़ के मिट्टी के बर्तनों पर देखे जाते हैं ,जहां आकृतियों को एक टी के आकार में संरचना जैसे खंभे पर लटक कर जिम्नास्टिक का प्रदर्शन करते हुए दिखाया गया है
- राजा सोमेश्वर तृतीय द्वारा रचित मानसोल्लास (12वीं शताब्दी) में इसका सबसे पहला साहित्यिक उल्लेख मिलता है।
- आधुनिक पुनरुद्धार: बाजीराव पेशवा-II के गुरु बलांबा तांबे और बाद में भगवतचंद्र वाडेकर ने 19वीं शताब्दी में इसका पुनरुद्धार किया।
- राजकीय खेल : वर्ष 2013 में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा मल्लखंभ को राजकीय खेल घोषित किया गया।
मल्लखंभ के प्रकार:
- स्तंभ मल्लखंभ (Pole Mallakhamb): इसमें खिलाड़ी लकड़ी के खंभे पर विभिन्न योग और जिमनास्टिक शैली में प्रदर्शन करते हैं।
- खंभा आमतौर पर शीशम या सागौन की लकड़ी से बना होता है, जिसकी ऊँचाई लगभग 8.5 फीट होती है।
- रस्सी मल्लखंभ (Rope Mallakhamb): इसमें खिलाड़ी एक लटकी हुई मजबूत रस्सी पर संतुलन और गति के साथ विभिन्न मुद्राओं का प्रदर्शन करते हैं।
- हैंगिंग मल्लखंभ (Hanging Mallakhamb): यह एक अधिक चुनौतीपूर्ण शैली है जिसमें खंभा ऊपर से लटकाया जाता है, और कलाकार उसमें लटककर प्रदर्शन करते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
- शक्ति, संतुलन, समन्वय, लचीलापन और एकाग्रता का अद्वितीय समावेश।
- योगिक मुद्राएँ, शारीरिक तगड़ापन और मानसिक अनुशासन का प्रशिक्षण।
- यह खेल विशेष रूप से कुश्ती और अन्य मार्शल आर्ट के प्रशिक्षण में सहायक रहा है।
आधुनिक मान्यता :
- वर्ष 1936 बर्लिन में आयोजित ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में प्रदर्शित किया गया ।
- वर्ष 1958 में नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय जिम्नास्टिक चैंपियनशिप में शामिल किया गया
- वर्ष 1981 में भारतीय मल्लखम्ब महासंघ का गठन किया गया।
- वर्ष 1981 में मध्य प्रदेश के उज्जैन में बामशंकर जोशी के प्रयासों से भारतीय मल्लखंभ महासंघ नामक अखिल भारतीय स्तर का संगठन स्थापित किया
- वर्ष 2022 से खेलो इंडिया यूथ गेम्स में शामिल ।
महत्व
मल्लखंभ केवल एक खेल नहीं, बल्कि भारत की समृद्ध पारंपरिक शारीरिक-मानसिक साधना का प्रतीक है। यह योग, व्यायाम, कला और अनुशासन का संगम है, जो न केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है, बल्कि आधुनिक जीवनशैली के तनाव से मुक्ति पाने का एक प्रभावी साधन भी है।