केंद्र ने हाल ही में मणिपुर में मरम नागा (Maram Naga) जनजाति के विकास, कल्याण परियोजनाओं एवं सांस्कृतिक संरक्षण के लिए जन मन योजना के अंतर्गत 9 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं।
मरम नागा जनजाति के बारे में
- मरम नागा जनजाति नागा जातीय समूह से संबंधित है जो भारत के पूर्वोत्तर भाग के साथ-साथ म्यांमार के पश्चिमी भाग में भी निवास करती है।
- मरम नामक वास स्थान मणिपुर के सेनापति जिले के अंतर्गत आता है। मरम जनजाति सभी दिशाओं में अन्य नागा जनजातियों से घिरी हुई है।
- उन्हें मंगोलॉयड वंश के तिब्बती-बर्मी परिवार का हिस्सा माना जाता है। भाषाई दृष्टि से वे सिनो-तिब्बती परिवार के उप-परिवार से संबंधित हैं।
- यहाँ के लोग मरम भाषा बोलते हैं। भौगोलिक स्थिति के अनुसार, इस बोली के बोलने के तरीके में कुछ भिन्नताएँ हैं। वे अपनी भाषा लिखने में रोमन लिपि का उपयोग करते हैं।
- इन लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है। इनके द्वारा मुख्यत: स्थानांतरित खेती की जाती है। ये आर्द्र कृषि (Wet Cultivation) भी करते हैं। शिकार करना इनका द्वितीयक व्यवसाय है।
- मरम जनजातियाँ अलौकिक परोपकारी और दुष्ट सत्ता की पूजा करती हैं। इनके दो प्रमुख त्यौहार जुलाई में मनाया जाने वाला ‘पुंघी’ और दिसंबर में मनाया जाने वाला ‘कंघी’ हैं।
- यह जनजाति प्रतिवर्ष अप्रैल के आसपास महिलाओं को समर्पित एक अनोखा त्यौहार ‘मंगकांग’ भी मनाती है।