शोधकर्ताओं ने ई. कोलाई बैक्टीरिया का उपयोग करके एक बायोसेंसर विकसित किया है जो पानी में मौजूद विषैले पारे का उच्च संवेदनशीलता के साथ पता लगा सकता है।
मुख्य विशेषताएँ
- पारा एक खतरनाक भारी धातु है जो मृदा व जल को दूषित कर तंत्रिका संबंधी तथा विकासात्मक विकारों सहित गंभीर स्वास्थ्य जोखिम उत्पन्न करता है।
- वैज्ञानिकों ने ई. कोलाई बैक्टीरिया को बायोसेंसर के रूप में कार्य करने के लिए आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किया है।
- बैक्टीरिया पारा-प्रतिक्रियाशील आनुवंशिक परिपथों से प्रोग्राम किए गए हैं।
- पारे की उपस्थिति में बैक्टीरिया जैव-संकेत (जैसे- प्रतिदीप्ति) उत्पन्न करते हैं।
लाभ
- पारंपरिक प्रयोगशाला-आधारित तकनीकों की तुलना में कम लागत वाली, पोर्टेबल और अत्यधिक संवेदनशील विधि
- जल निकायों की वास्तविक समय, स्थलीय निगरानी में संभावित उपयोग
महत्त्व
- पर्यावरण निगरानी के लिए एक जैव-प्रौद्योगिकीय समाधान प्रदान करता है।
- पारा पर मिनामाता कन्वेंशन (जिस पर भारत हस्ताक्षरकर्ता है) जैसे वैश्विक समझौतों के तहत सख्त पारा प्रदूषण नियंत्रण को लागू करने में मदद करता है।
- सतत विकास लक्ष्य-6 (स्वच्छ जल) और पर्यावरण संरक्षण में भारत के प्रयासों को मजबूत करता है।