हाल ही में, असम के मुख्यमंत्री ब्रिटिश संग्रहालय से प्रतिष्ठित वृंदावनी वस्त्र (Vrindavani Vastra) को वापस लाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए लंदन गए।
वृंदावनी वस्त्र के बारे में
- यह असम का 400 वर्ष पुराना पारंपरिक वस्त्र है जो कृष्ण के विभिन्न कृत्यों (लीलाओं) की थीम पर बुना गया है।
- वृंदावन में भगवान कृष्ण की बाल्यकाल की कहानियाँ, उनकी दिव्य लीलाएँ और विभिन्न घटनाएँ इस कपड़े पर धागे से बुनी गई हैं।
- इसे जटिल ‘लैम्पस’ (Lampas) तकनीक का उपयोग करके बुने हुए रेशम से बनाया गया था। इस तकनीक में दो बुनकरों को एक साथ काम करना होता है।
- इन डिजाइनों को विभिन्न रंगों के धागों से बुना गया था जिसमें लाल, सफेद, काला, पीला, हरा आदि शामिल हैं।
- इसका निर्माण श्रीमंत शंकरदेव के मार्गदर्शन में कोच राजा नर नारायण के अनुरोध पर किया गया था, जो आधुनिक असम और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों पर शासन करते थे।
- उल्लेखनीय है कि राज्य में ब्राह्मण पुजारियों के उकसावे पर अहोम साम्राज्य द्वारा वैष्णव संत शंकरदेव को निशाना बनाए जाने के बाद नर नारायण ने उन्हें शरण दी थी।
- यह कपड़ा असमिया बुनाई का प्रमाण है जिसमें विभिन्न कलात्मक परंपराओं के तत्व सम्मिलित हैं तथा 1904 में ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा अधिग्रहित किए जाने से पहले यह असम से तिब्बत तक पहुँचा था।
- ब्रिटिश संग्रहालय द्वारा अधिग्रहित यह प्रदर्शित वस्तु साढ़े नौ मीटर लंबी है और रेशम के कई टुकड़ों से बनी है। इसमें मूल रूप से 15 अलग-अलग टुकड़े थे जिन्हें बाद में जोड़ा गया।
- पवित्र कला की एक उत्कृष्ट कृति ‘वृंदावनी वस्त्र’ असमिया वैष्णववाद का एक केंद्रीय हिस्सा है।