| Mains- GD Paper -3: (Disaster Management) |
भारत भौगोलिक और जलवायु विविधता वाला देश है, जो भूकंप, बाढ़, चक्रवात, सूखा, भूस्खलन, हीटवेव, शीत लहर और जंगल की आग जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार हर वर्ष भारत को आपदाओं के कारण GDP का लगभग 2% तक नुकसान झेलना पड़ता है। ऐसे में एक मजबूत, वैज्ञानिक और समुदाय-केंद्रित आपदा प्रबंधन तंत्र आवश्यक है।

भारत में प्रमुख आपदा जोखिम (Major Disaster Risks in India)
भूकंप

- भारत का 59% भूभाग मध्यम से अति उच्च भूकंप प्रवण क्षेत्र में है।
- हिमालयी क्षेत्र, उत्तर बिहार, कच्छ और अंडमान-निकोबार सबसे संवेदनशील क्षेत्र हैं।
बाढ़ और नदी अपरदन
- 40 मिलियन हेक्टेयर, यानी लगभग 12% भू-भाग, बाढ़ व नदी क्षरण के खतरे में।
- गंगा-ब्रह्मपुत्र मैदानी क्षेत्र हर साल बड़े पैमाने पर बाढ़ सहता है।
चक्रवात व समुद्री खतरे
- 7,516 किमी तटरेखा में से 5,700 किमी चक्रवात और सुनामी प्रवण क्षेत्र।
- जलवायु परिवर्तन के कारण चक्रवातों की तीव्रता बढ़ रही है।
सूखा:-

- 68% कृषि योग्य भूमि सूखा-प्रवण है।
- महाराष्ट्र, कर्नाटक, बुंदेलखंड, राजस्थान अक्सर गंभीर सूखे से प्रभावित होते हैं।
भारत का आपदा प्रबंधन दृष्टिकोण एवं विज़न
दृष्टिकोण (Approach)
- भारत राहत-प्रधान मॉडल से आगे बढ़कर अब शमन (Mitigation) व तैयारी (Preparedness) आधारित मॉडल अपनाने की ओर बढ़ रहा है।
- लक्ष्य: शून्य मानव क्षति (Zero Casualty Approach)
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP), 2019 का विज़न
- भारत के सभी क्षेत्रों को आपदा-सक्षम बनाना
- स्थानीय स्तर पर क्षमता निर्माण
- जीवन, आजीविका और संपत्ति के नुकसान को कम करना
- “Build Back Better” सिद्धांत अपनाना
बीमा कवरेज में कमी
भारत में आपदा बीमा कवरेज 1% से भी कम है— इससे जोखिम साझा नहीं हो पाता और नुकसान राज्य व समाज पर बढ़ जाता है।
विधायी व नीतिगत ढांचा (Policy & Legal Framework)
(1) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005
- भारत का प्रमुख आपदा कानून
- NDMA, SDMA, DDMA का गठन
- आपदा प्रबंधन के लिए संस्थागत ढाँचा
(2) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना (NDMP) – 2019
(3) प्रधानमंत्री का 10 सूत्री एजेंडा (DRR)
- जोखिम न्यूनीकरण को विकास योजनाओं का हिस्सा बनाना
- वैज्ञानिक डेटा व अर्ली वार्निंग सिस्टम को मजबूत करना
- समुदाय स्तर पर क्षमता बढ़ाना
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग
आपदा प्रबंधन से जुड़ी प्रमुख चुनौतियाँ
(1) जोखिम न्यूनीकरण (DRR) में कम निवेश
- भारत में अधिकांश धन राहत और पुनर्वास पर खर्च होता है।
- जबकि DRR में प्रति 1 डॉलर निवेश पर 15 डॉलर की बर्बादी बचती है।
(2) पूर्व चेतावनी प्रणाली का अभाव
- चक्रवात चेतावनी प्रणाली उन्नत है
- परंतु बादल फटना, भूकंप, बाढ़ और हिमालयी आपदाओं हेतु चेतावनी प्रणाली कमजोर।
(3) बुनियादी अवसंरचना व शहरी चुनौतियाँ
- अनियोजित शहरीकरण
- भवन संहिता का पालन न होना
- तटीय और पहाड़ी क्षेत्रों में असुरक्षित निर्माण
(4) जलवायु परिवर्तन
- ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं
- भूजल स्तर ऐतिहासिक रूप से नीचे जा रहा
- अत्यधिक बारिश, हीटवेव, चक्रवात की तीव्रता बढ़ रही
(5) संस्थागत समन्वय की कमी
- केंद्र–राज्य–जिला–स्थानीय निकाय समन्वय कमजोर
- डेटा साझा करने की व्यवस्था सीमित
संस्थागत ढाँचा और पहलें
(A) प्रमुख संस्थाएँ
- NDMA – नीतिगत मार्गदर्शन
- SDMA/DDMA – राज्य/जिला स्तर पर कार्यान्वयन
- NDRF – खोज एवं बचाव अभियान
- NIDM – अनुसंधान व प्रशिक्षण
- NCMC – उच्चस्तरीय संकट प्रबंधन
(B) वित्तीय व्यवस्था
- NDRF – राहत व पुनर्वास
- NDRMF – जोखिम न्यूनीकरण के लिए
- राज्य आपदा मोचन निधि (SDRF)
(C) NDMA के दिशा-निर्देश
- भूकंप
- बाढ़
- चक्रवात
- शीत लहर
- महामारी
(D) Build Back Better (BBB)
- आपदा के बाद पुनर्निर्माण को अधिक टिकाऊ और सुरक्षित बनाना
- भविष्य के जोखिम कम करना
अंतरराष्ट्रीय सहयोग
Sendai Framework (2015–2030) के 4 स्तंभ:
- जोखिम की समझ
- जोखिम गवर्नेंस
- जोखिम न्यूनीकरण
- बेहतर पुनर्निर्माण
भारत Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) के माध्यम से दुनिया का नेतृत्व कर रहा है।
आगे की राह (Way Forward)
1. DRR में निवेश बढ़ाना
- राहत से हटकर जोखिम न्यूनीकरण पर संसाधनों का व्यय
- राज्यों में DRR बजट अनिवार्य करना
2. अर्ली वार्निंग सिस्टम को उन्नत बनाना
- बादल फटना, पर्वतीय बाढ़, जंगल आग की तत्काल चेतावनी
- Doppler Radars का विस्तार
3. स्थानीय निकायों की क्षमता बढ़ाना
- पंचायत/नगर निकायों में Disaster Preparedness Committee
- स्कूल-स्तर पर आपदा शिक्षा
4. बीमा कवरेज का विस्तार
- माइक्रो इंश्योरेंस
- कृषि एवं शहरी आपदा बीमा
- जोखिम साझा करने का मॉडल
5. निर्माण मानकों का अनुपालन
- Earthquake-resistant इमारतें
- Coastal Regulation Zone (CRZ) पालन
- Unsafe construction पर सख्त दंड
6. टेक्नोलॉजी आधारित आपदा गवर्नेंस
- GIS आधारित जोखिम मैपिंग
- ड्रोन आधारित निगरानी
- मोबाइल अलर्ट सिस्टम का उन्नयन
7. CSCs (Common Service Centres) का उपयोग
- चेतावनी प्रसारण
- राहत वितरण की निगरानी
- स्थानीय संकट सूचना केंद्र
निष्कर्ष
भारत का आपदा प्रबंधन ढांचा पिछले दो दशकों में अत्यधिक मजबूत हुआ है—NDMA, NDRF, SDMA, NDMP और PM के 10 सूत्री एजेंडा ने एक ठोस आधार बनाया है। हालांकि जलवायु परिवर्तन, शहरीकरण, कमजोर बीमा कवरेज और DRR में कम निवेश जैसी चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। सेंडाई फ्रेमवर्क और “Build Back Better” दृष्टिकोण अपनाते हुए भारत एक अधिक लचीले, तैयार और सुरक्षित आपदा प्रबंधन मॉडल की ओर बढ़ सकता है— जहाँ आपदा न सिर्फ चुनौती हो, बल्कि बेहतर विकास अवसर भी बन सके।