(प्रारंभिक परीक्षा: समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन- संगठित अपराध और आतंकवाद के बीच संबंध।) |
संदर्भ
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन, सीमा क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव की चिंता, और चीन की बढ़ती गतिविधियों ने भारत की पूर्वी सुरक्षा को नए सिरे से अहम बना दिया है। इसी पृष्ठभूमि में भारतीय सेना ने सिलिगुड़ी कॉरिडोर के आसपास तीन नए गैरीसन स्थापित कर अपनी पूर्वी रक्षा प्रणाली को सशक्त किया है।
सिलिगुड़ी कॉरिडोर के बारे में

- यह कॉरिडोर भारत का भौगोलिक गला (Chicken’s Neck) कहलाता है।
- इसकी लंबाई लगभग 22 किमी. और चौड़ाई बहुत कम है, जिससे यह भारत का सबसे संवेदनशील रणनीतिक भूभाग है।
- यह भारत के मुख्य भूभाग को पूर्वोत्तर के आठ राज्यों से जोड़ता है।
- पश्चिम में नेपाल, पूर्व में बांग्लादेश और उत्तर में भूटान-चीन की सीमा इसे और भी नाजुक बनाती है।
- शत्रु किसी भी समय इस गलियारे को बाधित कर पूर्वोत्तर क्षेत्र को अलग-थलग कर सकता है।
तीन नए गैरीसन की स्थापना
- लछीत बोरफुकन मिलिट्री स्टेशन : धुबरी, असम
- ऐतिहासिक अहोम सेना प्रमुख लछीत बोरफुकन के नाम पर।
- शत्रु गतिविधियों और अवैध घुसपैठ पर निगरानी के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण।
- किशनगंज फॉरवर्ड बेस : बिहार
- भारत–बांग्लादेश सीमा के नज़दीक।
- संवेदनशील इलाकों में त्वरित प्रतिक्रिया में सहायक।
- चोपड़ा फॉरवर्ड बेस : उत्तरी बंगाल
- निगरानी, तैनाती और सीमा सुरक्षा बल (BSF) के साथ समन्वय में अहम भूमिका।

महत्त्व
- गैरीसनों से सैनिकों की तैनाती, आपूर्ति एवं निगरानी बेहतर।
- सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का मूल केंद्र।
- घुसपैठ, अवैध आव्रजन और सीमा अपराध पर कड़ी निगरानी।
- चीन की गतिविधियों, विशेषकर अरुणाचल के पास PLA इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, का वास्तविक समय में आकलन।
- संकट की स्थिति में सेना की तेज़ी से तैनाती और सैनिकों का शीघ्र संचालन।
- पूर्वोत्तर राज्यों के लिए सुरक्षित लॉजिस्टिक मार्ग।
भारत का पूर्वी सुरक्षा तंत्र
- Tri-Shakti Corps : सिक्किम और सिलिगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा की मुख्य जिम्मेदारी।
- मौजूदा महत्वपूर्ण साधन:
- राफेल लड़ाकू विमान (हासीमारा एयरबेस)
- ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम
- उन्नत एयर-डिफेंस सिस्टम
- भारतीय वायुसेना का उन्नत प्रदर्शन और पूर्वी प्रचंड प्रहार युद्धाभ्यास क्षेत्रीय तैयारी को बढ़ाते हैं।
- LAC के पास चीन की गतिविधियों का मुकाबला करने के लिए निगरानी का सुदृढ़ तंत्र।
चुनौतियाँ
- चीन की बढ़ती सैन्य गतिविधियाँ, विशेषकर LAC के पास बुनियादी ढांचा निर्माण।
- बांग्लादेश सीमा पर अवैध आव्रजन और जनसांख्यिकीय परिवर्तन की चिंता।
- त्रिपक्षीय गतिशीलता:
- चीन–पाकिस्तान–बांग्लादेश के बीच रणनीतिक संपर्कों में वृद्धि।
- संकरे सिलिगुड़ी कॉरिडोर पर किसी भी प्रकार के अवरोध का जोखिम।
- सीमा क्षेत्रों में स्थानीय सामाजिक–आर्थिक चुनौतियाँ जो सुरक्षा को प्रभावित करती हैं।
आगे की राह
- सीमा अवसंरचना का व्यापक विस्तार- सड़क, पुल, सुरंग एवं संचार तंत्र।
- BSF–Army–IAF के बीच इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम मजबूत करना।
- सिलिगुड़ी कॉरिडोर के विकल्प के रूप में पूर्वोत्तर में वैकल्पिक मार्ग या ब्रह्मपुत्र पार कॉरिडोर का विकास।
- बांग्लादेश के साथ सुरक्षा सहयोग बढ़ाना और अवैध आव्रजन रोकने के उपाय।
- स्थानीय समुदायों के साथ विश्वास निर्माण ताकि सुरक्षा तंत्र अधिक प्रभावी बन सके।
- चीन की गतिविधियों पर सैटेलाइट और ड्रोन आधारित निगरानी बढ़ाना।