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आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2024

भारत विश्व के सबसे आपदा-प्रवण देशों में से एक है, जहाँ 70% भूभाग भूकंप, बाढ़, सूखा, हीटवेव, चक्रवात और जैविक आपदाओं के खतरे में है। बढ़ती जलवायु परिवर्तन-जनित आपदाओं, महामारी अनुभव (COVID-19) तथा जटिल मानवीय-संकट परिस्थितियों के कारण आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 अब अपर्याप्त माना जा रहा था। इसी संदर्भ में सरकार ने आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2024 पारित किया, जिसका उद्देश्य जोखिम न्यूनीकरण, संस्थागत ढाँचे, शहरी आपदा प्रबंधन तथा डेटा-आधारित योजना को मजबूत बनाना है।

DMA, 2005 में संशोधन की आवश्यकता क्यों ?

(1) DRR का सीमित एकीकरण

  • DMA–2005 मुख्य रूप से response-centric था, जबकि Sendai Framework (2015–30) जोखिम न्यूनीकरण को प्राथमिकता देता है।
  • उदाहरण: 2013 उत्तराखंड बाढ़ ने भूमि उपयोग नियोजन, अग्रिम चेतावनी प्रणाली और भवन विनियमन की भारी कमियाँ उजागर कीं।

(2) समुदाय आधारित आपदा प्रबंधन की कमी

  • समुदाय प्रथम प्रत्युत्तरकर्ता होते हैं, पर उन्हें सशक्त करने का स्पष्ट तंत्र DMA–2005 में नहीं था।

(3) संस्थागत तंत्र का अस्पष्ट विभाजन

  • NDMA नीति बनाता था, पर योजना निर्माण NEC/SEC करती थी — इससे समन्वय एवं जवाबदेही की कमी उत्पन्न होती थी।

(4) महामारी/जैव प्रकोप जैसे खतरों की अनदेखी

  • DMA–2005 स्वास्थ्य आपदाओं को पर्याप्त प्राथमिकता नहीं देता था, जबकि महामारी आज सबसे बड़ा ‘non-traditional threat’ है।

(5) जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न जटिल जोखिम

  • आपदाएँ अब inter-linked और compound रूप ले चुकी हैं — जैसे हीटवेव + बिजली संकट, वनाग्नि + वायु प्रदूषण — जिनका अधिनियम में समुचित नियमन नहीं था।

आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2024 के मुख्य प्रावधान

(1) NDMA और SDMA को योजना निर्माण का अधिकार

पहले यह कार्य NEC और SEC करते थे। अब—

  • NDMA राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना बनाएगा।
  • SDMA राज्य आपदा प्रबंधन योजनाएँ तैयार करेगी।

(2) नए दायित्व — जोखिम आकलन व तकनीकी सहायता

NDMA/SDMA को—

  • समय-समय पर आपदा जोखिम मूल्यांकन करना
  • सभी प्राधिकरणों को तकनीकी मार्गदर्शन देना
    निर्धारित किया गया है।

(3) NDMA की प्रशासनिक क्षमता बढ़ाई गई

  • NDMA अब केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति के बादकर्मचारियों की संख्या व श्रेणी निर्धारित कर सकता है।

(4) शहरी आपदा प्रबंधन के लिए नए संस्थान

राज्यों को—

  • Urban Disaster Management Authority (UDMA)
  • State Disaster Response Force (SDRF)

स्थापित करने की शक्ति दी गई है। यह बढ़ती शहरी बाढ़, हीटवेव, अग्निकांड जैसी आपदाओं के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।

(5) NCMC और HLC को वैधानिक दर्जा

  • राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (NCMC): राष्ट्रीय पैमाने की गंभीर आपदाओं का नोडल निकाय
  • उच्च स्तरीय समिति (HLC): राज्यों को वित्तीय सहायता का निर्णय

(6) राष्ट्रीय व राज्य आपदा डेटाबेस का निर्माण

डेटा-आधारित निर्णय लेने, फंड आवंटन, जोखिम मानचित्रण और पूर्वानुमान क्षमता बढ़ाने में सहायता करेगा।

अधिनियम से संबंधित प्रमुख चिंताएँ व चुनौतियाँ

(1) ULBs की वित्तीय क्षमता का अभाव

  • UDMA जैसी संस्थाएँ स्थापित करने मेंनगरपालिकाओं की कमजोर वित्तीय स्थिति बाधा बनेगी।

(2) Delegated Legislation का बढ़ना

  • केंद्र सरकार को अत्यधिक नियम बनाने की शक्तियाँ → राज्य के अधिकार क्षेत्र में टकराव की आशंका।

(3) संवैधानिक अस्पष्टता

  • कानून को समवर्ती सूची की प्रविष्टि 23 (सामाजिक सुरक्षा) के तहत पारित किया गया है, क्योंकि "आपदा प्रबंधन" सूची में स्पष्ट रूप से नहीं है → विवाद की संभावना बनी रहती है।

(4) हीटवेव जैसी नई आपदाओं का अभाव

  • अधिसूचित आपदाओं की सूची में हीटवेव, जंगल की आग, GLOF, चक्रवाती तूफान की आवृत्ति वृद्धि
    जैसी आपदाओं को शामिल नहीं किया गया है।

(5) क्षमता निर्माण और समन्वय की समस्या: UDMA–SDMA–DDMA के समन्वय से जुड़े प्रशासनिक मुद्दे बने रहेंगे।

DMA, 2005 के प्रमुख प्रावधान 

  • NDMA, SDMA, DDMA: त्रिस्तरीय संस्थागत ढाँचा
  • NDRF: विशेषीकृत आपदा प्रतिक्रिया बल
  • राष्ट्रीय/राज्य आपदा मोचन निधि: राहत एवं बचाव कार्य
  • राष्ट्रीय/राज्य/जिला योजना निर्माण

निष्कर्ष

आपदा प्रबंधन (संशोधन) अधिनियम, 2024 एक महत्वपूर्ण सुधारवादी कदम है, जो भारत के आपदा प्रबंधन मॉडल को response-oriented से risk-reduction & preparedness-oriented बनाने की दिशा में ले जाता है।

हालाँकि, इसकी सफलता निम्न पर निर्भर करेगी—

  • केंद्र–राज्य–स्थानीय निकायों के बीच प्रभावी समन्वय
  • ULBs की वित्तीय मजबूती
  • जलवायु-जनित नई आपदाओं को सूची में शामिल करना
  • जोखिम न्यूनीकरण को विकास योजनाओं से एकीकृत करना

यदि इन चुनौतियों को दूर किया जाए, तो यह अधिनियम भारत को एक अधिक सुदृढ़ (Resilient) और तैयार क्षमता वाला राष्ट्र बनाने में निर्णायक योगदान दे सकता है।

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