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माइटोकॉन्ड्रियल कॉक्सिएला इफ़ेक्टर F 

प्रारंभिक परीक्षा- MceF, GPX4, कॉक्सिएला बर्नेटी,  माइटोकॉन्ड्रिया
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3, बायो-टैक्नोलॉजी

संदर्भ-

हाल ही में साओ पाउलो विश्वविद्यालय (ब्राजील) और ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने अद्वितीय जीवाणु प्रोटीन की खोज की है जो मानव कोशिकाओं को अत्यधिक क्षतिग्रस्त होने पर भी स्वस्थ बनाए रख सकता है।

Mitochondrial

मुख्य बिंदु-

  • शोधकर्ताओं ने कॉक्सिएला बर्नेटी द्वारा छोड़े गए 130 से अधिक प्रोटीनों का विश्लेषण किया। 
  • जब यह जीवाणु मेजबान कोशिकाओं पर आक्रमण करता है, तो एक प्रोटीन माइटोकॉन्ड्रिया पर सीधे कार्य करके कोशिका की आयु बढ़ाने में सक्षम रहा।
  • वैज्ञानिकों ने इसे ‘माइटोकॉन्ड्रियल कॉक्सिएला इफ़ेक्टर F (MceF) नाम दिया है
  • MceF माइटोकॉन्ड्रिया में स्थित ‘एंटी-ऑक्सीडेंट एंजाइम ग्लूटाथियोन पेरोक्सीडेज 4’ (GPX4) के साथ संपर्क स्थापित करता है।
  • इसके बाद यह एंटी-ऑक्सीडाइजिंग प्रभाव को बढ़ावा देकर माइटोकॉन्ड्रियल फ़ंक्शन को बेहतर बनाता है, जो कोशिका क्षति और मृत्यु को रोकता है।
  • यह तब भी प्रभावी है, जब रोगाणु स्तनधारी कोशिकाओं के अंदर अपनी प्रतिकृति बनाते रहते हैं।
  • कॉक्सिएला बर्नेटी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मृत्यु को रोकने और उनके अंदर प्रतिकृति बनाने की विभिन्न रणनीतियों का उपयोग करता है। 

कॉक्सिएला बर्नेटी- 

  • कॉक्सिएला बर्नेटी (सी. बर्नेटी) क्यू बुखार का प्रेरक एजेंट है, जो अपेक्षाकृत सामान्य किंतु कभी-कभी गंभीर प्रवृत्ति वाला ज़ूनोसिस है। 
  • यह जीवाणु मनुष्यों में असामान्य निमोनिया और कुछ जानवरों जैसे मवेशी, भेड़ और बकरियों में कॉक्सिलोसिस का कारण बनता है। 
  • इस जीवाणु का गहराई से अध्ययन करने का कारण कोशिका के कार्यों को विकृत करने की इसकी अधिक क्षमता है। 
  • अन्य जीवाणुओं के विपरीत केवल  एक सी. बर्नेटी एक स्वस्थ व्यक्ति को बीमार करने के लिए पर्याप्त है। 
  • यह जिन कोशिकाओं पर आक्रमण करता है उन्हें बदल देता है। 
  • सी. बर्नेटी कोशिकाओं में लगभग एक सप्ताह तक प्रतिकृति बनाता है। 
  • उदाहरण के लिए ‘साल्मोनेला’ को देखा जा सकता है, जो गंभीर खाद्य विषाक्तता का कारण बनता है।
  • ‘साल्मोनेला’ 24 घंटे से भी कम समय में मेजबान कोशिकाओं की मृत्यु का कारण बनता है।

प्रभाव-

  • इस खोज से कैंसर और ऑटो-इम्यून विकारों सहित माइटोकॉन्ड्रियल डिसफंक्शन से संबंधित के नए उपचार खोजे जा सकते हैं। 
  • माइटोकॉन्ड्रिया कोशिकाओं की चयापचय गतिविधियों को शक्ति देने के लिए आवश्यक अधिकांश रासायनिक ऊर्जा प्रदान करते हैं।
  • सेलुलर माइटोकॉन्ड्रिया में इन प्रोटीनों का पुनः आवंटन स्तनधारी कोशिकाओं को लंबे समय तक जीवित रखने में सक्षम है, वे बहुत क्षतिग्रस्त हों तब भी।
  • यह मैक्रोफेज और मोनोसाइट्स पर आक्रमण करने और नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक अनुकूलित है, जो संक्रमण के प्रति मेजबान की प्रतिक्रियाओं को रोकती है।

प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- कॉक्सिएला बर्नेटी के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. यह क्यू बुखार का प्रेरक एजेंट है।
  2. यह ज़ूनोसिस है। 
  3. सी. बर्नेटी कोशिकाओं में लगभग एक सप्ताह तक प्रतिकृति बनाता है। 

उपर्युक्त में से कितना/कितने कथन सही है/हैं?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो

(c) सभी तीनों

(d) कोई नहीं

उत्तर- (c)

मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-

प्रश्न- माइटोकॉन्ड्रियल कॉक्सिएला इफ़ेक्टर F के बारे में बताते हुए स्वास्थ्य के क्षेत्र में इसके उपयोग की चर्चा कीजिए।

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