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संरक्षक प्रोटीन 

(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव)

क्या है संरक्षक प्रोटीन?

प्रोटीन को कार्यात्मक इकाई के रूप में रूपांतरित होने के लिये त्रि-विमीय आकार लेने की आवश्यकता होती है, जबकि प्रोटीन स्वत: कोई आकार नहीं ले सकता है। इसके लिये ‘आणविक संरक्षक प्रोटीन’ (Molecular Chaperones) का एक विशेष समूह कार्य करता है जो सही तरीके से ‘प्रोटीन फोल्डिंग’ में सहायता करता है।

संरक्षक प्रोटीन की भूमिका

  • जैविक प्रकार्यों में- संरक्षक प्रोटीन किसी नई प्रोटीन शृंखला को सटीक आकार देकर कार्यात्मक इकाई का निर्माण करते हैं एवं कार्य संपादन के बाद नई श्रृंखला स्वतः समाप्त भी हो जाती है। संरक्षक प्रोटीन की अनुपस्थिति में नव संश्लेषित प्रोटीन एक अघुलनशील समुच्चय बन कर कोशिकीय प्रकार्यों में बाधा उत्पन्न करते हैं।
  • हीट शॉक में- वस्तुतः कई आणविक संरक्षक प्रोटीन ‘हीट शॉक’ या तनाव-प्रतिक्रिया प्रोटीन वर्ग से संबंधित होते है। जब किसी जीव के उच्च तापमान के संपर्क में आने से हीट शॉक के कारण प्रोटीन अपना मूल आकार खोने लगते हैं तो कोशिकाओं के प्रकार्यात्मक व्यवस्था को बहाल करने के लिये बड़ी मात्रा में संरक्षक प्रोटीन का उत्पादन होता है। सामान्य कोशिकाओं में मौजूद सभी प्रोटीनों में 1 से 2% तक हीट शॉक प्रोटीन होते हैं। यह संख्या तनावपूर्ण परिस्थितियों में तीन गुना तक बढ़ जाती है।
  • प्रोटीन मिसफ़ोल्डिंग से पार्किंसन, अल्जाइमर और मोतियाबिंद जैसे रोग हो जाते हैं।
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