New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM August End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 29th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM August End Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 29th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

मोरन समुदाय

असम सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले मोरन समुदाय के सदस्यों को स्थायी निवास प्रमाण पत्र (Permanent Residence Certificate : PRC) देने के प्रस्ताव का निर्णय लिया है।

असम सरकार का हालिया निर्णय 

  • मोरन समुदाय मुख्यत: पूर्वी असम में निवास करते हैं। हालाँकि, अरुणाचल के नामसाई जिले में भी इनकी काफी आबादी है। 
  • अरुणाचल के कुछ हिस्सों में निवास करने वाले कुछ अन्य समूहों के साथ ये लंबे समय से अरुणाचल में भी पी.आर.सी. की मांग कर रहे हैं। इसके अभाव में अरुणाचल प्रदेश में विभिन्न सार्वजनिक सुविधाओं तक इनकी पहुँच सीमित है। 
  • अरुणाचल प्रदेश में निवास करने वाले मोरन समुदाय के सदस्य, विशेष रूप से असम से पैतृक संबंध रखने वाले, असम सरकार से पी.आर.सी. प्राप्त करने के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे।
  • असम द्वारा जारी पी.आर.सी. अब पात्र मोरन समुदाय के सदस्यों को सरकारी लाभ, शैक्षिक अवसर और रोजगार की संभावनाओं तक पहुँच प्रदान करेगा।
  • इस निर्णय का उद्देश्य राज्य में शिक्षा, रोजगार एवं आरक्षण लाभों तक पहुँच प्रदान करके मोरन समुदाय को असम के सामाजिक-आर्थिक ढांचे में एकीकृत करना है।

मोरन समुदाय के बारे में

  • मोरन समुदाय असम की आदिवासी जनजातियों में से एक है। 13वीं सदी में वे ब्रह्मपुत्र घाटी के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में निवास करते थे। 
  • मोरन समुदाय का उल्लेख असम के साहित्यिक इतिहास ‘असम बुरंजिस’ में भी मिलता है। 
  • पूर्वोत्तर भारत में अहोम साम्राज्य की स्थापना से पूर्व मोरन समुदाय का स्वतंत्र राज्य था। 
  • भाषा : असमिया
  • शारीरिक विशेषताएँ : मध्यम कद के साथ मजबूत शरीर, गोल चेहरा, हल्का भूरा रंग, मोटे बाल, कम दाढ़ी एवं मूंछें, चपटी नाक।
  • आजीविका : मोरन अपनी आजीविका के लिए काफी हद तक जंगल एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर हैं। ये झूम कृषि करते हैं। 
  • धर्म एवं संस्कृति : 17वीं सदी की शुरुआत में शंकरदेव के शिष्य अनिरुद्धदेव के प्रभाव में इस समुदाय के अधिकांश लोगों ने वैष्णव धर्म अपना लिया। 
    • अन्य समुदायों के साथ आत्मसात करने और अपनी संस्कृति के परिवर्तन की लंबी प्रक्रिया के बावजूद उन्होंने अभी भी अपनी प्राचीन संस्कृति के कई पहलुओं, जैसे- जातीय कला, संगीत, नृत्य, भाषा व सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था को जारी रखा है। 
    • इनमें शाक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए पशु-पक्षियों की बलि दी जाती है। मोरन समुदाय द्वारा बलि सामान्य तरीके से गला काटने के बजाय पानी में डुबोकर दी जाती है।
  • नृत्य : सत्रिया, कोला-बुरही, बिहू 
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X