समुद्र के भीतर स्थित भौगोलिक संरचनाएं जैसे समुद्री पर्वत, गर्त, खाइयाँ, पठार आदि विश्व के भौगोलिक, वैज्ञानिक और नौवहन मानचित्रण के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होती हैं। इन संरचनाओं के नामकरण की प्रक्रिया को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता और वैज्ञानिक प्रमाणिकता के साथ नियंत्रित किया जाता है।
नामकरण का उद्देश्य और महत्त्व
वैज्ञानिक अनुसंधान, समुद्री मानचित्रण, समुद्री संसाधनों की खोज और नौवहन में स्पष्टता हेतु।
एक जैसी संरचनाओं को विभिन्न नामों से बुलाने की अस्पष्टता को रोकना।
वैश्विक मानचित्रों और डाटा सिस्टम में एकरूपता लाना।
अंतरराष्ट्रीय दिशा-निर्देश: IHO और SCUFN
IHO क्या है?
IHO (International Hydrographic Organization)एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो समुद्री मानचित्रण और समुद्री नामकरण से संबंधित मानक विकसित करती है।
मानकीकरण दस्तावेज़:
IHO द्वारा वर्ष2013 में जारी दिशा-निर्देश-"Standardization of Undersea Feature Names (SUFN)"— को वैश्विक मानक माना जाता है।
SCUFN (Sub-Committee on Undersea Feature Names):
IHO और IOC (Intergovernmental Oceanographic Commission) द्वारा स्थापित एक उप-समिति।
यह समिति प्रस्तावित नामों की समीक्षा कर उन्हें अनुमोदित करती है।
नाम प्रस्ताव करने की प्रक्रिया
नाम प्रस्ताव करने से पहले निम्नलिखित बातों की पुष्टि आवश्यक है:
संरचना कीभौगोलिक अवस्थिति (geographic location)
उसका प्रकार (Type of feature)– जैसे गर्त, पर्वत, पठार आदि
उसका आकार, विस्तार और विशेष गुण
पूर्व में उपयोग में रहे नाम (यदि कोई हो)
प्रादेशिक समुद्र के बाहर नामकरण
प्रादेशिक समुद्र से बाहर की संरचनाओं के लिएकोई भी व्यक्ति या संस्था नाम प्रस्तावित कर सकती है।
इन प्रस्तावों कीSCUFN द्वारा समीक्षा की जाती है।
अनुमोदन के बाद नाम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग के लिए मान्यता मिलती है।
प्रादेशिक समुद्र के भीतर नामकरण
किसी देश केप्रादेशिक समुद्र (Territorial Sea)के अंतर्गत आने वाली संरचनाओं के नामकेवल संबंधित राष्ट्रीय प्राधिकारीही प्रस्तावित कर सकते हैं।
इन्हें भी IHO के 2013 के SUFN दिशा-निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होता है।
जैसे भारत मेंनेशनल हाइड्रोग्राफिक ऑफिसऐसे प्रस्तावों के लिए अधिकृत संस्था हो सकती है।
नामकरण के सिद्धांत (Principles of Naming)
नामसरल, संक्षिप्त और भ्रामक न हों।
एक ही नाम दो अलग-अलग संरचनाओं को नहीं दिया जा सकता।
आमतौर परभूगर्भीय विशेषताओं, ऐतिहासिक खोजकर्ताओं या वैज्ञानिकोंके नाम पर रखा जाता है।
राजनैतिक या विवादित नामों से बचा जाता है।
डिजिटल अभिलेख और प्रसार
अनुमोदित नामों कोGEBCO Gazetteer of Undersea Feature Namesमें सूचीबद्ध किया जाता है।
इसका उपयोग वैज्ञानिक समुदाय, नौसेना, हाइड्रोग्राफिक संस्थान, और अन्य हितधारकों द्वारा किया जाता है।
निष्कर्ष
समुद्र के भीतर की संरचनाओं का नामकरण केवल भौगोलिक पहचान ही नहीं, बल्कि वैज्ञानिक समझ, संप्रभुता, और वैश्विक सहयोग का भी प्रतीक है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि विश्व के महासागरों की गहराइयों में स्थित संरचनाओं को एक वैज्ञानिक, स्पष्ट और सार्वभौमिक प्रणाली के तहत पहचाना और मान्यता दी जाए।