सिक्किम में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए ‘नारी अदालत’ की शुरुआत
चर्चा में क्यों ?
भारत में महिलाओं की भागीदारी और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए सिक्किम ने एक अनूठा कदम उठाया है।
मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने पहले ‘अम्मा सम्मान दिवस’के अवसर पर ‘नारी अदालत’ की शुरुआत की, जो महिलाओं द्वारा संचालित एक सामुदायिक न्याय मंच है।
यह पहल विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी इलाकों में महिलाओं को न्याय प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका देने और छोटे विवादों का त्वरित, सहानुभूतिपूर्ण समाधान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
भारत में जहां औपचारिक न्याय व्यवस्था अक्सर जटिल, महंगी और समय लेने वाली होती है, वहां ‘नारी अदालत’ जैसी पहल स्थानीय न्याय तक महिलाओं की पहुंच को आसान बनाती है।
‘नारी अदालत’ का उद्देश्य और कार्यप्रणाली
‘नारी अदालत’ का मूल उद्देश्य महिलाओं को स्थानीय विवादों को सुलझाने का अधिकार और जिम्मेदारी देना है।
यह मंच संवाद, मध्यस्थता और आम सहमति निर्माण पर आधारित है, जो पारंपरिक अदालतों की औपचारिक कानूनी प्रक्रियाओं से अलग है।
इसका लक्ष्य पारिवारिक मतभेद, घरेलू हिंसा के गैर-गंभीर मामले, वैवाहिक मुद्दे और स्थानीय सामुदायिक संघर्षों का त्वरित समाधान प्रदान करना है।
‘नारी अदालत’ समुदाय के भीतर ही विवादों को निपटाकर न्याय तक पहुंच को सरल, तेज़ और सांस्कृतिक रूप से उपयुक्त बनाती है।
यह मॉडल ग्रामीण भारत के कुछ हिस्सों में पहले से प्रचलित पारंपरिक समुदाय-आधारित विवाद समाधान प्रणालियों से प्रेरित है।
महिला सशक्तिकरण में ‘नारी अदालत’ का महत्व
महिलाओं द्वारा संचालित इस अदालत के माध्यम से निर्णय लेने में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होती है।
यह मंच स्थानीय महिला नेताओं को मध्यस्थता, नेतृत्व और न्यायिक प्रक्रियाओं का अनुभव प्रदान करता है।
इससे विवादों के पीड़ित, विशेषकर महिलाएं, न्याय प्राप्ति में अधिक सहज और सुरक्षित महसूस करती हैं।
‘नारी अदालत’ सिक्किम की समावेशी शासन की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के सामाजिक, कानूनी व आर्थिक सशक्तिकरण के प्रयासों से मेल खाती है।
व्यापक प्रभाव और संभावनाएं
‘नारी अदालत’ की स्थापना से स्थानीय स्तर पर कम गंभीर मामलों का समाधान होगा, जिससे औपचारिक न्यायालयों पर दबाव कम होगा।
संवाद के माध्यम से टकराव को कम करके सामुदायिक एकजुटता बढ़ेगी।
यह पहल भारत के अन्य राज्यों के लिए भी एक प्रेरणादायक मॉडल बन सकती है, जो पारंपरिक मध्यस्थता और आधुनिक शासन व्यवस्था के बीच संतुलन स्थापित करना चाहते हैं।
सिक्किम की यह पहल न्याय तक महिलाओं की पहुंच बढ़ाने और सामाजिक समरसता स्थापित करने की दिशा में एक नई मिसाल कायम कर रही है।
प्रश्न :-‘नारी अदालत’ किस राज्य में शुरू की गई है ?