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राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली

(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय घटनाक्रम)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएँ, सीमाएँ और संभावनाएँ; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता एवं जवाबदेही और संस्थागत तथा अन्य उपाय)

संदर्भ 

  • गृह मंत्री अमित शाह ने केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) तमिल में दर्ज करने और आवश्यकतानुसार इसे अन्य भाषाओं में उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।
  • सभी गिरफ्तार अपराधियों के फिंगरप्रिंट को ‘राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (National Automated Fingerprint Identification System: NAFIS)’ के तहत दर्ज किया जाना चाहिए ताकि डाटाबेस का अधिकतम उपयोग किया जा सके। 
  • साथ ही, ई-सम्मन, ई-साक्ष्य, न्याय श्रुति जैसे प्रावधानों को पूरी तरह से लागू करने का निर्देश दिया गया।

राष्ट्रीय स्वचालित फिंगरप्रिंट पहचान प्रणाली (NAFIS) के बारे में 

  • क्या है : भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा संकल्पित एक महत्वाकांक्षी परियोजना 
  • उद्देश्य : एक मजबूत ऑनलाइन खोज योग्य डाटाबेस स्थापित करना 
    • इसमें वर्तमान में 1 करोड़ से अधिक फिंगरप्रिंट्स शामिल हैं।
  • लाभ : सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को वास्तविक समय में चांस प्रिंट्स एवं अंतर-राज्यीय अपराधियों की शीघ्र पहचान को सक्षम करना और पुराने मामलों को सुलझाने में सहायक बनना
    • फोरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा अपराध स्थल (मौका-ए-वारदात) से प्राप्त फिंगरप्रिंट्स को चांस प्रिंट्स कहा जाता है।

NAFIS की विशेषताएँ

  • यह एक वेब-आधारित एप्लिकेशन है जो फिंगरप्रिंट्स व अपराधियों के डाटा को रिकॉर्ड करने, प्रोसेस करने एवं खोजने की सुविधा प्रदान करता है।
  • अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप यह संघीय जांच ब्यूरो (FBI) एवं इंटरपोल (INTERPOL) जैसी एजेंसियों के साथ अपराध संबंधी जानकारी का निर्बाध आदान-प्रदान करने की अनुमति देता है।

NAFIS की कार्यशीलता

  • NAFIS वर्तमान में 1022 स्थानों पर कार्यशील है जिसमें सभी FPBx, प्रत्येक जिला, कमिश्नरेट और केंद्रीय कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ, जैसे- केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI), राष्ट्रीय जाँच अधिकरण (NIA), आसूचना ब्यूरो (IB) व नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) शामिल हैं।
  • इसकी व्यापक कवरेज और उत्कृष्ट खोज क्षमता के कारण चांस प्रिंट्स व अपराधियों के फिंगरप्रिंट्स को देश के किसी भी हिस्से से सेकंडों में खोजा जा सकता है।
  • केंद्रीय फिंगर प्रिंट ब्यूरो (CFPB) नियमित प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों का आयोजन करता है ताकि NAFIS एवं इसके अनुप्रयोगों के विभिन्न पहलुओं पर मानव संसाधन को प्रशिक्षित किया जा सके।

केंद्रीय फिंगर प्रिंट ब्यूरो (CFPB) 

केंद्रीय फिंगर प्रिंट ब्यूरो वर्ष 1955 में कोलकाता में आसूचना ब्यूरो (IB) के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन अस्तित्व में आया। वर्ष 1976 में प्रशासनिक नियंत्रण केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को स्थानांतरित कर दिया गया। जुलाई 1986 में अंततः इसे नवगठित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के प्रशासनिक नियंत्रणाधीन में कर दिया गया। वर्तमान में यह एन.सी.आर.बी. मुख्यालय, महिपालपुर, नई दिल्ली में स्थित है।

क्या आप जानते हैं?

दुनिया का पहला फ़िंगर प्रिंट ब्यूरो वर्ष 1897 में कलकत्ता (कोलकाता) में राइटर्स बिल्डिंग में स्थापित किया गया था।

ई-सम्मन, ई-साक्ष्य, न्याय श्रुति एवं न्याय सेतु

  • ई-सम्मन (e-Summons): यह न्यायालयों द्वारा सम्मन जारी करने की प्रक्रिया को ऑनलाइन बनाने वाली एक डिजिटल प्रणाली है।  
  • ई-साक्ष्य (e-Sakshya): ई-साक्ष्य का तात्पर्य डिजिटल रूप में उपलब्ध साक्ष्यों से है, जैसे- ईमेल, टेक्स्ट संदेश, सोशल मीडिया पोस्ट और अन्य इलेक्ट्रॉनिक डाटा। यह साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किया जा सकता है और इसे मान्यता प्राप्त है, बशर्ते कि इसे सही तरीके से संग्रहित तथा प्रस्तुत किया गया हो।
  • न्याय श्रुति (Nyaya Shruti): न्याय श्रुति एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है जो न्यायिक प्रक्रियाओं को सरल व प्रभावी बनाने के लिए विकसित किया गया है। यह प्रणाली न्यायालयों में मामलों की सुनवाई, अदालती आदेशों और अन्य न्यायिक कार्यों की जानकारी को ऑनलाइन उपलब्ध कराती है।
  • न्याय सेतु (Nyaay Setu): न्याय सेतु डैशबोर्ड पर पुलिस, मेडिकल, फोरेंसिक, अभियोजन एवं जेल एक साथ जुड़े हुए हैं, जिससे पुलिस को जांच से जुड़ी सभी जानकारी सिर्फ एक क्लिक पर मिल जाएगी।
    • केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 4 अगस्त, 2024 को चंडीगढ़ में तीन नए आपराधिक कानूनों के लिए इन ऐप को लॉन्च किया था।
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