(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक और खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र) |
संदर्भ
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर पारंपरिक उर्वरकों के साथ नैनो-उर्वरकों या बायोस्टिमुलेंट्स की ‘जबरन टैगिंग’ को तुरंत रोकने का अनुरोध किया है।
संबंधित मुद्दे
- खुदरा विक्रेता किसानों को यूरिया एवं डायमोनियम फॉस्फेट (DAP) जैसे सब्सिडी वाले उर्वरक तब तक नहीं बेच रहे हैं जब तक वे बायोस्टिमुलेंट्स नहीं खरीदते हैं।
- इसके अतिरिक्त कई किसानों ने बायोस्टिमुलेंट्स के अप्रभावी होने के बारे में भी शिकायतें की थी।
क्या होते हैं बायोस्टिमुलेंट्स
- बायोस्टिमुलेंट्स पौधों में कायिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित कर फसल की उपज बढ़ाने में मदद करते हैं।
- इनके उत्पादन में कभी-कभी पौधों से प्राप्त अपशिष्ट पदार्थों और समुद्री शैवाल के अर्क का उपयोग किया जाता है।
- उर्वरक (अकार्बनिक, कार्बनिक या मिश्रित) (नियंत्रण) आदेश, 1985 बायोस्टिमुलेंट्स के निर्माण व बिक्री को नियंत्रित करता है।
- यह आदेश बायोस्टिमुलेंट्स को एक पदार्थ या सूक्ष्मजीव या दोनों के संयोजन के रूप में परिभाषित करता है।
बायोस्टिमुलेंट्स के कार्य
- पौधों में कायिक प्रक्रियाओं को उत्तेजित करना
- पौधों के पोषक तत्वों के अवशोषण, वृद्धि, उपज, पोषण दक्षता, फसल की गुणवत्ता और तनाव के प्रति सहनशीलता को बढ़ाना
भारत का बायोस्टिमुलेंट बाज़ार
- बाज़ार अनुसंधान फर्म फॉर्च्यून बिज़नेस इनसाइट्स के अनुसार भारत का बायोस्टिमुलेंट बाज़ार वर्ष 2024 में 355.53 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- एक अनुमान के अनुसार यह बाज़ार वर्ष 2025 में 410.78 मिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2032 तक 1,135.96 मिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाएगा।
- यह पूर्वानुमान अवधि के दौरान 15.64% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्शाता है।
सरकार द्वारा बायोस्टिमुलेंट्स का विनियमन
- बायोस्टिमुलेंट मौजूदा उर्वरक या कीटनाशक श्रेणियों में नहीं आते थे, इसलिए इन्हें लंबे समय तक बिना सरकारी अनुमति के खुले बाजार में बेचा जाता रहा।
- भारत में उर्वरक एवं कीटनाशक क्रमशः वर्ष 1985 के उर्वरक नियंत्रण आदेश और वर्ष 1968 के कीटनाशक अधिनियम द्वारा शासित होते हैं।
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत उर्वरक नियंत्रण आदेश (FCO) जारी करता है और समय-समय पर इसमें बदलाव करता रहता है।
- वर्ष 2017 में नीति आयोग और कृषि मंत्रालय ने बायोस्टिमुलेंट्स के लिए एक रूपरेखा तैयार की।
- अंततः फरवरी 2021 में मंत्रालय ने वर्ष 1985 के FCO में संशोधन करते हुए बायोस्टिमुलेंट्स को इसमें शामिल किया, जिससे उनके निर्माण, बिक्री एवं आयात का विनियमन प्रारंभ हुआ।
बायोस्टिमुलेंट्स के संबंध में उर्वरक नियंत्रण आदेश
- बायोस्टिमुलेंट्स को FCO में शामिल करने से केंद्र सरकार को इसके संदर्भ में विनिर्देश तय करने का अधिकार मिल गया।
- FCO ने अपनी अनुसूची VI में निर्दिष्ट बायोस्टिमुलेंट्स को आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया है जिनमें वानस्पतिक अर्क (और समुद्री शैवाल अर्क), जैव-रसायन, विटामिन एवं एंटीऑक्सीडेंट शामिल हैं।
- बायोस्टिमुलेंट्स के प्रत्येक निर्माता या आयातक को आवश्यक उत्पाद जानकारी के साथ उर्वरक नियंत्रक को एक आवेदन प्रस्तुत करना होगा।
- उत्पाद की रासायनिक संरचना, स्रोत (पौधे/सूक्ष्मजीव/पशु/सिंथेटिक के प्राकृतिक अर्क), शेल्फ-लाइफ, जैव-प्रभावकारिता परीक्षणों की रिपोर्ट और विषाक्तता व अन्य आंकड़ों के साथ प्रस्तुत किया जाना चाहिए।
विषाक्तता परीक्षण
- पाँच बुनियादी तीव्र विषाक्तता परीक्षण इस प्रकार हैं:
- तीव्र मौखिक (चूहा)
- तीव्र त्वचीय (चूहा)
- तीव्र श्वसन (चूहा)
- प्राथमिक त्वचा जलन (खरगोश)
- आँखों में जलन (खरगोश)
- चार पारिस्थितिक विषाक्तता परीक्षण इस प्रकार हैं:
- पक्षियों के लिए विषाक्तता
- मछलियों के लिए विषाक्तता (मीठे पानी में)
- मधुमक्खियों के लिए विषाक्तता
- केंचुओं के लिए विषाक्तता
जाँच एवं परीक्षण
- FCO के अनुसार किसी भी बायोस्टिमुलेंट्स में 0.01 ppm की अनुमेय सीमा से अधिक कोई कीटनाशक नहीं होना चाहिए।
- इसके अलावा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों सहित राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली के तहत कृषि जैव-दक्षता परीक्षण किए जाएँगे।
केंद्रीय बायोस्टिमुलेंट्स समिति का गठन
- 9 अप्रैल, 2021 को कृषि मंत्रालय ने पाँच वर्षों के लिए केंद्रीय बायोस्टिमुलेंट्स समिति का गठन किया, जिसमें अध्यक्ष के रूप में कृषि आयुक्त और सात अन्य सदस्य होंगे।
- FCO के तहत यह केंद्र को निम्नलिखित विषयों पर सलाह देगा:
- किसी नए बायोस्टिमुलेंट्स को शामिल करना
- विभिन्न जैव-उत्तेजकों के विनिर्देश
- नमूने लेने और उनके विश्लेषण के तरीके
- प्रयोगशाला की न्यूनतम आवश्यकताएँ
- बायोस्टिमुलेंट्स के परीक्षण की विधि
- केंद्र सरकार द्वारा उसे सौंपा गया कोई अन्य मामला
बायोस्टिमुलेंट्स पर सरकार की नवीनतम कार्रवाई
- वर्ष 2021 में संशोधित FCO आदेश के अनुसार, निर्माता दो वर्षों तक बायोस्टिमुलेंट्स का निर्माण एवं बिक्री कर सकते हैं, बशर्ते वे अनंतिम पंजीकरण के लिए आवेदन करें।
- कृषि मंत्रालय ने दो वर्षों की समय-सीमा में निरंतर वृद्धि की जिससे वर्ष 2021 तक अधिकांश निर्माताओं को अनंतिम पंजीकरण के आधार पर बायोस्टिमुलेंट्स के निर्माण एवं बिक्री की अनुमति मिल गई।
- जबकि नियमित पंजीकरण के तहत कंपनियों को सरकार को परीक्षण प्रोटोकॉल प्रस्तुत करने होते हैं।
- कृषि मंत्रालय ने 26 मई को टमाटर, मिर्च, खीरा, धान, बैंगन, कपास, आलू, मूंग, अंगूर, तीखी मिर्च, सोयाबीन, मक्का एवं प्याज सहित कई फसलों के लिए ‘बायोस्टिमुलेंट्स के विनिर्देश’ अधिसूचित किए।