राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने अपनी हरित ऋण सुविधा (Green Lending Facility) के तहत वित्त वर्ष 2025-26 में लगभग 10,000 करोड़ रुपए ऋण देने की योजना बनाई है।
नाबार्ड ने सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के उद्देश्य से केंद्र व राज्य सरकारों, सरकारी एजेंसियों और निजी संस्थाओं की परियोजनाओं को वित्तपोषित करने के लिए वित्त वर्ष 25 में यह सुविधा शुरू की है।
वितरित की जाने वाली न्यूनतम ऋण राशि ₹100 करोड़ होगी और ये इथेनॉल संयंत्रों एवं इलेक्ट्रिक वाहनों जैसी परियोजनाओं के लिए हैं।
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) के बारे में
क्या है :भारत में कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए धन मुहैया करने के उद्देश्य से एक शीर्ष बैकिंग संस्थान
स्थापना : वर्ष 1982 में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक अधिनियम, 1981 के तहत
उद्देश्य :संधारणीय एवं समानता पर आधारित कृषि व ग्रामीण विकास का संवर्धन
उद्भव : योजना आयोग के पूर्व सदस्य श्री बी. शिवरामन की अध्यक्षता में गठित कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए संस्थागत ऋण की व्यवस्थाओं की समीक्षा के लिए समिति (क्राफिकार्ड) की सिफारिश के आधार पर गठन
मुख्यालय :मुंबई
RBI का सहायक :देश में नाबार्ड की भूमिका मुख्यत: कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की भूमिका का ही विस्तार है।
प्रमुख कार्य
ग्रामीण क्षेत्रों में ऋणदाता संस्थाओं को पुनर्वित्त उपलब्ध कराना
संस्थागत विकास करना एवं उसे बढ़ावा देना
ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से निवेश एवं उत्पादन ऋण उपलब्ध कराने वाले संस्थान के वित्तपोषण के लिए एक शीर्ष एजेंसी के रूप में कार्य करना
ऋण वितरण प्रणाली को बेहतर करना, जैसे- निगरानी, पुनर्वास योजनाओं का क्रियान्वयन, ऋण संस्थाओं का पुनर्गठन, कार्मिक प्रशिक्षण में सुधार, इत्यादि।
जमीनी स्तर पर विकास में संलग्न सभी संस्थाओं की ग्रामीण वित्तपोषण की गतिविधियों के साथ समन्वय रखना
भारत सरकार, राज्य सरकारों, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एवं नीति निर्धारण के मामलों से संबद्ध राष्ट्रीय स्तर की अन्य संस्थाओं के साथ तालमेल बनाए रखना
अपनी पुनर्वित्त परियोजनाओं की निगरानी एवं मूल्यांकन का उत्तरदायित्व