24 जुलाई 2025 को केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 का अनावरण किया।
प्रमुख बिंदु:
सुरेश प्रभु की अध्यक्षता वाली 48 सदस्यीय समिति ने राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 का मसौदा तैयार किया है।
नई नीति इस क्षेत्र के आधुनिकीकरण और इसे "सहकारिता के माध्यम से समृद्धि" के दृष्टिकोण के साथ जोड़ने के लिए तैयार की गई है।
यह नीति अगले 20 वर्षों (2025–2045) के लिए सहकारी क्षेत्र की दिशा और रणनीति निर्धारित करेगी।
राष्ट्रीय सहकारी नीति- 2025 वर्ष 2002 की नीति का स्थान लेगी, जो सहकारी संस्थाओं की आर्थिक गतिविधियों के बेहतर संचालन के लिए एक मूलभूत ढांचा प्रदान करती थी।
मुख्य उद्देश्य
हर गांव में कम से कम एक सहकारी संस्था स्थापित करना।
2026 तक 2 लाख PACS (Primary Agricultural Credit Societies) का गठन करना।
सभी राज्यों को अपनी राज्य सहकारी नीति बनाने का निर्देश (अंतिम तिथि – 31 जनवरी 2026)।
सहकारी क्षेत्र को आधुनिक, पारदर्शी, समावेशी और पेशेवर बनाना।
प्रशिक्षण और संस्थागत ढांचा
त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय (TSU), गुजरात:
भारत का पहला राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय।
उद्देश्य – सहकारी क्षेत्र में नौकरियों में भाई-भतीजावाद समाप्त करना, व्यावसायिक प्रशिक्षण देना।
हर राज्य में कम से कम एक सहकारी प्रशिक्षण संस्थान अनिवार्य।
सहकारी क्षेत्र क्या है ?
सहकारी क्षेत्र में लोग स्वेच्छा से एक साथ मिलकर एक संगठन बनाते हैं ताकि वे सामूहिक रूप से अपनी आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें।
यह संगठन "सहकारिता के सिद्धांतों" पर आधारित होते हैं, जैसे – लोकतंत्र, समानता, आत्म-निर्भरता और सामूहिक प्रयास।
मुख्य विशेषताएँ:
सदस्य-नियंत्रित संगठन:प्रत्येक सदस्य को वोट देने का अधिकार होता है, चाहे उसकी पूंजी अधिक हो या कम।
लाभ की समानता:मुनाफे को सदस्यों में समान रूप से या उनके लेनदेन के अनुपात में बाँटा जाता है।
स्थानीय विकास:सहकारी संस्थाएं स्थानीय स्तर पर रोजगार, वित्त और विकास को बढ़ावा देती हैं।
भारत में सहकारी क्षेत्र का इतिहास:
1904:सहकारी ऋण समितियों पर पहला कानून लागू हुआ (The Co-operative Credit Societies Act)।
1912: गैर-ऋण सहकारी समितियों को मान्यता दी गई।
1951-2025: पंचवर्षीय योजनाओं में सहकारिता को ग्रामीण विकास, कृषि ऋण, डेयरी, मार्केटिंग आदि में महत्वपूर्ण स्थान मिला।
2021: भारत सरकार ने सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की।
सहकारी क्षेत्र से संबंधित संवैधानिक प्रावधान
97वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2011
अनुच्छेद 19(1)(c) में संशोधन
इस अनुच्छेद में "सहकारी समितियों" को एक मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया।
अब नागरिकों को संघ और संघटन की स्वतंत्रता के साथ-साथ सहकारी समितियाँ गठित करने का अधिकार भी मिला है।
भाग IX-B का समावेश (अनुच्छेद 243ZH से 243ZT तक)
यह भाग सहकारी समितियों की प्रशासनिक और चुनावी संरचना को सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 43B का समावेश (राज्य नीति के निदेशक तत्वों में)
यह कहता है कि “राज्य को सहकारी आधार पर कार्य करने वाले स्वैच्छिक संगठनों की स्वायत्तता, लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली और व्यावसायिकता को प्रोत्साहितकरना चाहिए।”
प्रश्न. राष्ट्रीय सहकारी नीति 2025 का मसौदा किसकी अध्यक्षता में तैयार किया गया?