चर्चा में क्यों ?

- राष्ट्रीय ध्वज दिवस प्रत्येक वर्ष 22 जुलाई को मनाया जाता है। वर्ष 1947 में इसी तिथि को संविधान सभा द्वारा भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को औपचारिक रूप से स्वीकृत किया गया था।
- भारत का राष्ट्रीय ध्वज एक आयताकार त्रिरंगा ध्वज है, इसमें तीन क्षैतिज रंगीन पट्टियाँ होती हैं, जो ऊपर से नीचे क्रमशः इस प्रकार हैं:
- केसरिया रंग (ऊपरी पट्टी): यह साहस, बलिदान और त्याग का प्रतीक है।
- सफेद रंग (मध्य पट्टी): यह शांति, सच्चाई और ईमानदारी का प्रतीक है।
- हरा रंग (निचली पट्टी): यह भारत की उर्वरता, हरियाली और समृद्धि को दर्शाता है।
- मध्य में सफेद पट्टी पर गहरे नीले रंग में बना हुआ एक 24 तीलियों वाला अशोक चक्र है, जो सम्राट अशोक के सारनाथ स्थित सिंह स्तंभ से लिया गया है। यह चक्र न्याय, धर्म और प्रगति का प्रतीक माना जाता है।
- ध्वज की लंबाई-चौड़ाई का अनुपात 3:2 है।

भारतीय ध्वज की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

- वर्ष 1906: पहली बार एक त्रिरंगा झंडा कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में फहराया गया। इसमें लाल, पीले और हरे रंग की पट्टियाँ थीं।
- वर्ष 1907: मैडम भीकाजी कामा ने पेरिस में एक झंडा फहराया, जिसमें वंदे मातरम् लिखा था और इसमें सूर्य-चंद्रमा जैसे प्रतीक थे।
- वर्ष 1917: एनी बेसेंट और बाल गंगाधर तिलक द्वारा होम रूल आंदोलन के दौरान एक झंडा प्रस्तुत किया गया।
- वर्ष 1921: आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने महात्मा गांधी के सुझाव पर चरखे वाला झंडा प्रस्तावित किया।
- वर्ष 1931: कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित कर केसरिया, सफेद और हरे रंग के साथ चरखा युक्त त्रिरंगा को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में स्वीकार किया।
- 22 जुलाई 1947: संविधान सभा ने इसी झंडे को स्वीकार किया, लेकिन चरखे के स्थान पर अशोक चक्र को अपनाया गया।
संविधान सभा में ध्वज प्रस्ताव और उद्देश्य
- 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा की बैठक में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें स्वतंत्र भारत के लिए एक राष्ट्रीय ध्वज को अपनाने की सिफारिश की गई थी।
- यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह ध्वज किसी धर्म या संप्रदाय का नहीं, बल्कि समूचे भारत का प्रतीक होगा।
राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित कानूनी प्रावधान
भारत में राष्ट्रीय ध्वज के प्रयोग और सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए कुछ विशेष विधिक प्रावधान बनाए गए हैं:
- राष्ट्र गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971
- इस अधिनियम के अंतर्गत, यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, जलाना, फाड़ना, या उसे अनुचित रूप से प्रयोग करता है, तो उसे 3 वर्ष की कारावास, जुर्माना या दोनों की सजा हो सकती है।
- भारतीय ध्वज संहिता, 2002 (Flag Code of India)
- इस संहिता में ध्वज के प्रदर्शन, फहराने और निपटान से संबंधित विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
- 26 जनवरी 2002 को इसे लागू किया गया, जिससे भारत के प्रत्येक नागरिक को किसी भी दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति मिली।
- 2022 में इसमें एक संशोधन किया गया, जिसके तहत अब नागरिक रात्रि के समय भी ध्वज फहरा सकते हैं, बशर्ते वह उचित प्रकाश में हो।
- 2021 में हुआ एक अन्य संशोधन
- इस संशोधन के अनुसार अब राष्ट्रीय ध्वज को मशीन-निर्मित और पॉलिएस्टर कपड़े से भी बनाया जा सकता है। पहले केवल हाथ से बुना गया खादी ही स्वीकार्य था।
राष्ट्रीय ध्वज से संबंधित कुछ “नहीं करने योग्य” बातें
- ध्वज को कभी भी जमीन पर नहीं गिराना चाहिए।
- उसे वस्त्र, यूनिफॉर्म, कर्टन, तकिया-कवर या किसी अन्य वस्तु में प्रयोग नहीं करना चाहिए।
- फटे या मैले झंडे का प्रयोग वर्जित है।
- झंडे को अपमानजनक स्थिति में प्रदर्शित करना दंडनीय अपराध है।
ध्वज सम्मान हेतु कुछ “करने योग्य” बातें
- झंडे को हमेशा सम्मानपूर्वक और ऊँचाई पर फहराना चाहिए।
- यदि झंडा फट जाए या पुराना हो जाए, तो उसका ससम्मान निपटान किया जाना चाहिए।
- झंडा कभी भी उल्टा नहीं होना चाहिए, केसरिया पट्टी सदैव ऊपर रहे।
प्रश्न. भारतीय संविधान सभा ने भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को कब स्वीकृत किया था?
(a) 15 अगस्त 1947
(b) 26 जनवरी 1950
(c) 22 जुलाई 1947
(d) 2 अक्टूबर 1947
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