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राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम – “पर्वतमाला”

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3, बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।)

संदर्भ

हाल ही में, केंद्रीय वित्त मंत्री ने वर्ष 2022-23 के बजट में राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम-‘पर्वतमाला’ की घोषणा की है।

परियोजना की विशेषताएँ

  • दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक सड़कों के स्थान पर स्थाई पारिस्थितिक विकल्प के रूप में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के आधार पर राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम को शुरू किया जाएगा।
  • यह परियोजना वर्तमान में उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, जम्मू-कश्मीर और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में क्रियान्वित की जाएगी।
  • इसके तहत वर्ष 2022-23 में 60 किमी.की दूरी के लिये 8 रोपवे परियोजनाओं को शुरू किये जाने का लक्ष्य है।

परियोजना का उद्देश्य 

  • इसका उद्देश्य दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही यात्रियों के संपर्क एवं सुविधा में सुधार करना है।
  • इसमें भीड़भाड़ वाले उन शहरी क्षेत्रों को भी शामिल किया जा सकता है, जहाँ पारंपरिक सामान्य परिवहन प्रणाली संभव नहीं है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में कुशल परिवहन नेटवर्क विकसित करना एक बड़ी चुनौती होती है। इन क्षेत्रों में रेल और हवाई परिवहन नेटवर्क सीमित होने के साथ ही सड़क नेटवर्क के विकास में भी तकनीकी चुनौतियाँ विद्यमान हैं। इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए रोपवे को एक सुविधाजनक और सुरक्षित वैकल्पिक परिवहन साधन के रूप में देखा जा रहा है।

परियोजना का क्रियान्वयन 

  • सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय देश भर में राजमार्गों के विकास तथा सड़क परिवहन क्षेत्र को विनियमित करने का कार्य करता है। हालाँकि, फरवरी 2021 में, भारत सरकार (व्यवसाय का आवंटन) नियम, 1961 में संशोधन किया गया, जो मंत्रालय को रोपवे और वैकल्पिक परिवहन साधनों के विकास की शक्ति प्रदान करता है।
  • मंत्रालय रोपवे तथा वैकल्पिक गतिशीलता समाधान प्रौद्योगिकी (Alternative Mobility SolutionsTechnology) के विकास के साथ-साथ इस क्षेत्र में निर्माण,अनुसंधान और नीति के विकास का भी कार्य करेगा। 

रोपवे परियोजनाओं के लाभ

  • भूमि की कम आवश्यकता : रोपवे परियोजनाएँ पहाड़ी क्षेत्रों में एक सीधी रेखा में निर्मित की जाती हैं, जिससे परियोजना की भूमि अधिग्रहण लागत कम हो जाती है। इसमें रस्सियों को टावरों पर बाँधा जाता है, जिससे भूमि की कम आवश्यकता के साथ मनुष्यों तथा जीवों के लिये कोई रूकावट उत्पन्न नहीं होती है।
  • संवेदनशील क्षेत्रों के लिये आदर्श : यह परियोजना कठिन/चुनौतीपूर्ण/संवेदनशील क्षेत्रों के लिये आदर्श है। इस प्रणाली  में लंबी रस्सी स्पैन के माध्यम से बिना किसी बाधाओं के नदियों, इमारतों, खड्डों या सड़कों को पार किया जा सकता है।
  • लोगों को गतिशीलता प्रदान करने में सहायक : परिवहन का यह माध्यम दुर्गम क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को गतिशीलता प्रदान करने के साथ ही उन्हें मुख्यधारा में लाने में मदद करेगा। पहाड़ी क्षेत्रों के किसान अपनी उपज को अन्य क्षेत्रों में बेच सकेंगे, जो उनकी आय बढ़ाने में सहायक होगा।
  • निर्माण और रखरखाव लागत का कम होना : रोपवे में एक ही पावर-प्लांट और ड्राइव मैकेनिज्म द्वारा संचालित कई कारें होती हैं, जो इसके निर्माण और रखरखाव लागत को कम करता है। पूरे रोपवे के लिये एक ही ऑपरेटर के उपयोग से श्रम लागत कम हो जाती है। 
  • अधिक किफायती परिवहन साधन : समतल भूमि पर रोपवे की लागत नैरो-गेज रेलमार्गों के साथ प्रतिस्पर्धी है जबकि पहाड़ों में रोपवे कहीं बेहतर सिद्ध होते हैं। साथ ही, सड़क मार्ग की तुलना में प्रति किलोमीटर रोपवे की निर्माण लागत अधिक होने के बावजूद ये अधिक किफायती होती है।
  • द्रुत गति के परिवहन साधन : ये हवाई माध्यम के कारण तीव्र एवं द्रुत गति के परिवहन साधन उपलब्ध कराते हैं। इनसे विभिन्नप्रकार की सामग्रियों का एक साथ परिवहन किया जा सकता है।
  • पर्यावरण के अनुकूल : ये पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन है, जिनसे धूलकणों का कम उत्सर्जन होता है। इसके अतिरिक्त, रोपवे परियोजनाएँ 6000-8000 यात्रियों को प्रति घंटे ले जाने में सक्षम है।
  • पहाड़ी क्षेत्रों के लिये आदर्श परिवहन साधन : रोपवे तथा केबल मार्ग (केबल क्रेन) में बड़े ढलानों एवं ऊँचाई अंतराल को संतुलित करने की क्षमता होती है। जहाँ किसी सड़क या रेलमार्ग को स्विचबैक या सुरंगों की आवश्यकता होती है, वहीं रोपवे ऊपर और नीचे फॉल लाइन पर यात्रा करते हैं।

निष्कर्ष

इस प्रकार, राष्ट्रीय रोपवे विकास कार्यक्रम- पर्वतमाला देश के दुर्गम एवं पहाड़ी क्षेत्रों को परिवहन के उत्तम साधन प्रदान करने में सहायक होंगे, जो देश के दूरस्थ क्षेत्रों तक तीव्र एवं प्रभावी संपर्क की सुविधा उपलब्ध कराएँगे।

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