New
GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM Independence Day Offer UPTO 75% Off, Valid Till : 15th Aug 2025 GS Foundation (P+M) - Delhi : 22nd August, 3:00 PM GS Foundation (P+M) - Prayagraj : 24th August, 5:30 PM

लॉकडाउन में नई उम्मीद : वैकल्पिक बाज़ार चैनल

(प्रारम्भिक परीक्षा एवं मुख्य परीक्षा ; सामान्य अध्ययन पेपर 3 : विषय – कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन , आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन)

भारत में कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत उस समय हुई जब यहाँ फसलों की कटाई का मौसम चल रहा था। चूँकि बाज़ार बंद थे, इसलिये देश में 100 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र की फसल के लिये खतरा उत्पन्न हो गया था। ऐसे में वैकल्पिक बाज़ार एक बड़ी उम्मीद बन के सामने आए हैं।

ध्यातव्य है कि महाराष्ट्र सरकार ने कुछ दशक पहले भी इस तरह की योजना की शुरुआत की थी। जिसमें कृषि उत्पादों को बिना किसी बिचौलिये के ग्राहकों तक पहुँचाया जाता है। राज्य कृषि विभाग और महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (MSAMB) द्वारा यह मॉडल कार्यान्वित है।

वैकल्पिक बाज़ार चैनल :

  • वैकल्पिक बाज़ार चैनल (Alternative market channel) विकेंद्रीकरण और डायरेक्ट-टू-होम डिलीवरी के सिद्धांतों पर काम करता है।
  • इसमें मुख्यतः किसान समूहों और किसान निर्माता कंपनियों (FPCs) की भागीदारी के साथ शहरी क्षेत्रों में छोटे और कम भीड़ वाले बाज़ारों का निर्माण किया जाता है ताकि किसान उपभोक्ताओं तक सीधे पहुँच सकें।
  • यह लॉकडाउन के समय में एक योग्य विकल्प की तरह है जिससे थोक बाज़ारों की भीड़ से भी बचा जा सकता है और और बाज़ार का संचालन भी किया जा सकता है।
  • किसान उत्पादक कम्पनी एक प्रकार की संयुक्त स्टॉक कम्पनी है। चूँकि यह सहकारी संघों के साथ मिलकर बनाई गई है अतः इसमें एक कम्पनी और सहकारी संगठन दोनों की विशेषताएँ पाई जाती हैं।
  • महाराष्ट्र उन गिने-चुने राज्यों में से एक है FPC की अवसंरचना बहुत मज़बूत है।
  • महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड की स्थापना कृषि उपज के विपणन से संबंधित मामलों/योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने के लिये की गई थी। 23 मार्च, 1984 को यह बोर्ड महाराष्ट्र कृषि उत्पादन विपणन (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1963 के तहत अस्तित्व में आया था।

यह कैसे काम करता है?

  • सरकार और MSAMB,किसान समूहों और FPC की पहचान करते हैंऔर उनके क्लस्टर या समूहों का निर्माण करते हैं।
  • तदोपरांत स्थानीय बाज़ार स्थल चुने जाते हैं और सहकारी आवास समितियों (Cooperative Housing Societies) को इन बाजारों से जोड़ दिया जाता है ताकि उत्पादों का सीधे ग्राहकों तक पहुँचाया जा सके।
  • FPC और किसानों के समूहों को नगरपालिका के वार्डों, इलाकों या मोहल्लों में साप्ताहिक बाजारों के लिये जगह आवंटित की जाती है।
  • कुछ उत्पादक समूह अपने फलों और सब्जियों से लदे ट्रकों को इन आवास समितियों के गेट पर भी खड़ा रखते हैं ताकि वहाँ के स्थानीय लोग सब्जियाँ सीधे इन ट्रकों से खरीद सकें।

इस प्रकार के बाजारों के लाभ :

  • एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इन विकेन्द्रीकृत बाजारों में खरीदारों और विक्रेताओं दोनों के आवागमन को थोक मंडियों की तुलना में अधिक प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है, खासकर जब सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य हो।
  • महाराष्ट्र के आलावा कई प्रदेशों में अब फ़ोन के माध्यम से आर्डर कर देने पर सब्जियों की घर पर डिलीवरी की जा रही है। इससे किसानों को बहुत फायदा है क्योंकिवे उचित दाम पर सब्जियाँ बेच पा रहे हैं और लोगों को भी लॉकडाउन में घर बैठे सब्जियाँ प्राप्त हो रही हैं।
  • इस प्रकार के बाज़ारों की उपस्थिति से बड़ी मंडियों, बाज़ारों, सुपर मार्केट आदि के बंद होने से उत्पन्न अव्यवस्था भी दूर हो रही है।
  • इन नवोन्मेषी तरीकों की जानकारी से किसानों में भी उद्यमशीलता को बढ़ावा मिल रहा है।
  • यह सम्भवतःएक प्रकार की वैकल्पिक बाज़ार श्रृंखला बनाने में भी मदद करेगा जिसेस्थितियाँ सामान्य होने पर भी जारी रखा जा सकता है।

निष्कर्ष :

  • COVID-19 जैसी महामारी के समय में ये बाज़ार न सिर्फ उत्पादकों को उपभोक्ताओं तक पहुँचने में मदद कर रहे हैं बल्कि छोटे बाज़ारों को भी उन्नत तकनीकों के माध्यम से आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं।
  • छोटे किसान भी अब पैकिंग, ब्रांडिंग जैसी उन्नत बाज़ार की नई युक्तियों को अपना रहे हैं।
  • इसके साथ, महाराष्ट्र में सब्ज़ी उत्पादकों की एक बड़ी संख्या अब उपभोक्ताओं से सीधे सम्पर्क में है और किसानों को बिचौलियों से मुक्ति मिली है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X