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भारतीय महिलाओं में स्तन कैंसर के जोखिम कारक

(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय घटनाक्रम, सामान्य विज्ञान)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय) 

संदर्भ

हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) द्वारा प्रकाशित एक शोध पत्र, ‘भारतीय आबादी में महिला स्तन कैंसर के जोखिम को समझना: एक व्यवस्थित समीक्षा एवं मेटा-विश्लेषण’ में स्तन कैंसर से संबंधित कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। इस शोध का उद्देश्य भारत की विशिष्ट परिस्थितियों के आधार पर कैंसर के जोखिम कारकों का विश्लेषण करना था। 

मुख्य निष्कर्ष एवं जोखिम कारक

शोधपत्र में उल्लेख किया गया है कि जीवनशैली और शारीरिक स्थिति का इस बीमारी से सीधा संबंध है:

  • शारीरिक गतिविधि एवं मोटापा: सक्रिय जीवनशैली स्तन कैंसर के खतरे को कम करती है जबकि पेट की चर्बी (Central Obesity) जोखिम को बढ़ाती है।
  • आयु का प्रभाव: 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में 35 वर्ष से कम उम्र की महिलाओं की तुलना में स्तन कैंसर की संभावना तीन गुना अधिक पाई गई।
  • प्रजनन इतिहास: जिन महिलाओं ने दो से अधिक बार प्रेरित गर्भपात (Induced Abortions) करवाए थे, उनमें जोखिम अधिक देखा गया। हालांकि, स्तनपान एवं ओरल गर्भनिरोधक गोलियों के उपयोग का कैंसर के खतरे से कोई विशेष संबंध नहीं मिला।
  • जीवनशैली एवं तनाव: खराब नींद, अनियमित स्लीप पैटर्न, रोशनी वाले कमरे में सोना और अत्यधिक मानसिक तनाव भी प्रमुख जोखिम कारकों के रूप में उभरे हैं।

भारत में बढ़ते मामले और उत्तरजीविता दर (Survival Rate)

  • रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत में स्तन कैंसर के मामलों में प्रतिवर्ष 5.6% की वृद्धि होने की आशंका है जिसका अर्थ है प्रतिवर्ष लगभग 50,000 नए मामले बढ़ेंगे।
  • वर्तमान में महिलाओं में होने वाले कुल कैंसरों में स्तन कैंसर की हिस्सेदारी लगभग 22.8% है।
  • भारत में स्तन कैंसर महिलाओं में पाए जाने वाले प्रमुख कैंसरों में शामिल है और यह कुल महिला कैंसर मामलों का लगभग 22.8% हिस्सा है। 
  • पाँच वर्ष की उत्तरजीविता दर;
    • मूल एवं शुरूआती स्तर पर पहचाने व उपचार किए गए मामलों में 81.0% रही
    • आस-पास के भागों में फैले कैंसर में यह 65.5% थी
    • दूरवर्ती मेटास्टेसिस की स्थिति में यह घटकर 18.3% रह गई, जहाँ कैंसर कोशिकाएँ मूल ट्यूमर से अन्य अंगों तक फैल चुकी होती हैं।

स्तन कैंसर की रोकथाम के उपाय

  1. संतुलित वजन : यह सलाह प्राय: दी जाती है, इसलिए लोग इसे नज़रअंदाज़ कर देते हैं किंतु स्वस्थ वजन बनाए रखना बेहद ज़रूरी है। अधिक वजन होने से कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है जिनमें स्तन कैंसर भी शामिल है। रजोनिवृत्ति के बाद यह जोखिम और अधिक बढ़ सकता है।
  2. शारीरिक सक्रियता : नियमित व्यायाम शरीर और मन दोनों के लिए लाभप्रद होता है। इससे ऊर्जा एवं मनोदशा बेहतर होती है, वजन नियंत्रित रहता है और स्तन कैंसर सहित कई गंभीर बीमारियों का खतरा कम होता है। रोज़ाना कम-से-कम 30 मिनट व्यायाम करने की कोशिश करें, हालांकि थोड़ी-सी गतिविधि भी बिल्कुल न करने से बेहतर है।
  3. पोषणयुक्त आहार : संतुलित एवं पौष्टिक आहार स्तन कैंसर के जोखिम को घटाने में मदद कर सकता है। अपने भोजन में अधिक मात्रा में फल और सब्ज़ियाँ शामिल करें। शराब का सेवन जितना कम हो, उतना बेहतर है क्योंकि थोड़ी मात्रा में भी शराब स्तन कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है। संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए शराब न पीना सबसे अच्छा विकल्प है।
  4. धूम्रपान पर नियंत्रण : धूम्रपान कई गंभीर बीमारियों का कारण है और यह कम-से-कम 15 प्रकार के कैंसर (स्तन कैंसर सहित) से जुड़ा हुआ है। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो इसे छोड़ने का प्रयास जितनी जल्दी किया जाए, उतना अच्छा है। धूम्रपान छोड़ने से किसी भी आयु में लाभ मिल सकता है और सही सहायता लेने से इसे हमेशा के लिए छोड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
  5. स्तनपान : एक वर्ष या उससे अधिक समय तक (सभी बच्चों को मिलाकर) स्तनपान कराने से स्तन कैंसर का खतरा कम हो सकता है। साथ ही, यह शिशु स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी होता है।
  6. गर्भनिरोधक दवाओं का न्यूनतम उपयोग : गर्भनिरोधक गोलियों के कुछ लाभ और कुछ जोखिम होते हैं। कम उम्र में इनका जोखिम अपेक्षाकृत कम होता है किंतु इनके उपयोग के दौरान स्तन कैंसर का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है।
  7. रजोनिवृत्ति के दौरान हार्मोन थेरेपी पर नियंत्रण : रजोनिवृत्ति से जुड़ी समस्याओं के लिए हार्मोन थेरेपी लंबे समय तक नहीं लेनी चाहिए। शोध बताते हैं कि इसके प्रभाव मिले-जुले होते हैं और कुछ बीमारियों का खतरा बढ़ता है तथा कुछ का घटता है। एस्ट्रोजन अकेले या एस्ट्रोजन-प्रोजेस्टिन दोनों प्रकार की थेरेपी स्तन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकती हैं।
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