(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन)
संदर्भ
हाल ही में, उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) द्वारा तैयार अगरबत्ती (विनिर्देशन) को औपचारिक रूप से जारी किया है। यह घोषणा राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 के अवसर पर नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में की गई।
यह मानक अगरबत्ती उद्योग में गुणवत्ता, सुरक्षा एवं पर्यावरणीय जिम्मेदारी को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रसायनों पर सख्ती
नए अधिसूचित मानक के तहत अगरबत्तियों में कुछ कीटनाशक रसायनों एवं कृत्रिम सुगंधित पदार्थों के उपयोग पर स्पष्ट प्रतिबंध लगाया गया है। ये पदार्थ मानव स्वास्थ्य, घर के अंदर की वायु गुणवत्ता और पर्यावरण के लिए नुकसानदायक माने जाते हैं।
प्रतिबंधित रसायन
कीटनाशक : एलेथ्रिन, परमेथ्रिन, साइपरमेथ्रिन, डेल्टामेथ्रिन एवं फिप्रोनिल
कृत्रिम सुगंधित यौगिक: बेंजाइल साइनाइड, एथिल एक्रिलेट व डाइफेनिलामाइन
यद्यपि इनमें से कई रसायनों पर उनके संभावित स्वास्थ्य और पर्यावरणीय दुष्प्रभावों के कारण अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी रोक लगाई जा चुकी है।
भारत में अगरबत्ती उद्योग
भारत विश्व में अगरबत्ती का सबसे बड़ा उत्पादक एवं निर्यातक है।
इस उद्योग का वार्षिक अनुमानित मूल्य लगभग 8,000 करोड़ रुपए है और लगभग 1,200 करोड़ रुपए का निर्यात 150 से अधिक देशों को किया जाता है।
यह क्षेत्र कारीगरों, लघु एवं मध्यम उद्यमों और सूक्ष्म उद्यमियों के एक बड़े समूह, विशेष रूप से महिलाओं के लिए ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।
अगरबत्ती भारत की सांस्कृतिक एवं धार्मिक परंपराओं का अभिन्न अंग है और घरों, पूजा स्थलों, ध्यान केंद्रों व स्वास्थ्य केंद्रों में इसका उपयोग किया जाता है।
योग, ध्यान, अरोमाथेरेपी एवं समग्र स्वास्थ्य में बढ़ती वैश्विक रुचि के साथ घरेलू व अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में अगरबत्ती उत्पादों की माँग में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के बारे में
बी.आई.एस. भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है जिसकी स्थापना बी.आई.एस. अधिनियम, 2016 के तहत वस्तुओं के मानकीकरण, अंकन एवं गुणवत्ता प्रमाणीकरण की गतिविधियों के सामंजस्यपूर्ण विकास और उससे संबंधित या उससे जुड़े मामलों के लिए की गई है।
बी.आई.एस. कई तरीकों से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को प्रत्यक्ष और ठोस लाभ प्रदान कर रहा है–
सुरक्षित, विश्वसनीय एवं गुणवत्तापूर्ण वस्तुएँ उपलब्ध कराना
उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य संबंधी खतरों को कम करना
निर्यात एवं आयात प्रतिस्थापन को बढ़ावा देना
किस्मों के प्रसार पर नियंत्रण आदि
वस्तुतः ये सभी लाभ मानकीकरण, प्रमाणीकरण एवं परीक्षण के माध्यम से प्राप्त होते हैं।