चर्चा में क्यों ?
- सहजीवन, डीएनए अनुसंधान और जैव विविधता संरक्षण की दिशा में भारत की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि
- एलोग्राफा इफ्यूसोरेडिका एक नई लाइकेन प्रजाति है, जिसकी खोज भारत के पश्चिमी घाट में की गई है।
- यह खोज एमएसीएस-अघारकर अनुसंधान संस्थान, पुणे के वैज्ञानिकों द्वारा की गई, जो सहजीवी विकास की एक नई परत को उजागर करती है।
- लाइकेन, कवक और प्रकाश संश्लेषक सजीवों—जैसे हरे शैवाल या सायनोबैक्टीरिया—के बीच सहजीवी संबंध का उदाहरण हैं।

पारिस्थितिक और वैज्ञानिक महत्त्व
लाइकेन पारिस्थितिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण हैं:
- मृदा निर्माण
- वायु प्रदूषण का संकेतक
- जैव श्रृंखलाओं की स्थिरता में योगदान
पश्चिमी घाट, जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल और वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट है, इस नई खोज का केंद्र बना।
वैज्ञानिक विश्लेषण: पारंपरिक व आणविक वर्गीकरण का संगम
- एलोग्राफा इफ्यूसोरेडिका को मॉर्फोलॉजिकल विशेषताओं और डीएनए-आधारित आणविक तकनीकों की सहायता से पहचाना गया।
- यह खोज भारत की पहली एलोग्राफा प्रजाति है जिसे डीएनए विश्लेषण द्वारा पुष्ट किया गया है।
- इसके फोटोबायोन्ट (प्रकाश संश्लेषक साथी) की पहचान ट्रेंटेपोहलिया नामक शैवाल के रूप में हुई है।
- यह आधुनिक जैव विविधता अनुसंधान में एकीकृत वर्गीकरण विज्ञान (Integrative Taxonomy) का सटीक उदाहरण है।
विशिष्ट विशेषताएँ: क्या बनाता है इसे अद्वितीय?
- इफ्यूज़ सोरेडिया: अलैंगिक प्रजनन की विशिष्ट संरचना
- नॉरस्टिक्टिक अम्ल: एक दुर्लभ रासायनिक यौगिक, जो पहचान में सहायक
- समानता: संरचनात्मक रूप से ग्राफिस ग्लौसेसेंस से मेल, लेकिन आनुवंशिक रूप से एलोग्राफा ज़ैंथोस्पोरा के निकट
यह स्थिति ग्राफिडेसी परिवार में विकासवादी संबंधों पर नए प्रश्न उठाती है।
राष्ट्रीय व वैश्विक प्रभाव
- एलोग्राफा इफ्यूसोरेडिका भारत में पाई गई 53वीं एलोग्राफा प्रजाति और पश्चिमी घाट में 22वीं है।
- इस खोज से भारत में उष्णकटिबंधीय लाइकेन विविधता पर वैज्ञानिक समझ में वृद्धि हुई है।
- परियोजना को राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (ANRF) का समर्थन प्राप्त है, जो इसे वैश्विक सहजीवन अनुसंधान और पारिस्थितिक संरक्षण के प्रयासों से जोड़ता है।
पश्चिमी घाट:-

- पश्चिमी घाट भारत की एक प्रमुख पर्वतमाला है, जिसे सह्याद्रि पर्वत (Sahyadri Hills) भी कहा जाता है।
- यह पर्वत श्रृंखला भारत के पश्चिमी तट के समानांतर उत्तर से दक्षिण तक फैली हुई है और विश्व के प्रमुख जैव विविधता हॉटस्पॉट्स (Biodiversity Hotspots) में से एक है।
भौगोलिक स्थिति (Geographical Extent)
- प्रारंभ: तापी नदी के दक्षिण से (गुजरात-महाराष्ट्र सीमा)
- अंत: कन्याकुमारी (तमिलनाडु)
- राज्य: महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु
- लंबाई: लगभग 1600 किमी
- औसत ऊँचाई: 900–1600 मीटर
- सबसे ऊँचा शिखर: अनैमुदी (2695 मीटर), केरल
जैव विविधता और पारिस्थितिकी (Biodiversity & Ecology)
- पश्चिमी घाट में 7000+ पौधों की प्रजातियाँ, जिनमें से करीब 2000 स्थानिक (endemic) हैं।
- यह क्षेत्र भारत के कुल जैव विविधता का लगभग 27% हिस्सा समेटे हुए है।
- यहाँ पाए जाने वाले प्रमुख जीव:
- जानवर: शेर, हाथी, गौर (भारतीय बाइसन), नीलगिरी तहर, मलाबार गिलहरी
- पक्षी: ग्रेट हॉर्नबिल, मालाबार ट्रोगन
- उभयचर: बड़ी संख्या में स्थानिक मेंढक प्रजातियाँ
- युनेस्को ने इसे 2012 में विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) घोषित किया।
पर्यावरणीय महत्व (Environmental Significance)
भूमिका
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विवरण
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जल स्रोत
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यह भारत की कई प्रमुख नदियों का उद्गम स्थल है: गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, तापी आदि।
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मॉनसून नियंत्रण
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दक्षिण-पश्चिम मानसून की बारिश को नियंत्रित करने में सहायक।
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मिट्टी संरक्षण
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ढलानों पर वनस्पति मृदा अपरदन (soil erosion) को रोकती है।
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कार्बन अवशोषण
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घने जंगल वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड सोखते हैं।
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प्रमुख संरक्षित क्षेत्र (Important Protected Areas)
नाम
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राज्य
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साइलेंट वैली राष्ट्रीय उद्यान
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केरल
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पेरियार टाइगर रिजर्व
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केरल
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भद्र वन्यजीव अभयारण्य
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कर्नाटक
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कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान
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कर्नाटक
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मोल्लेम राष्ट्रीय उद्यान
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गोवा
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महाबलेश्वर संरक्षित क्षेत्र
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महाराष्ट्र
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इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान
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केरल
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खतरे और चुनौतियाँ (Threats & Challenges)
खतरा
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प्रभाव
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अंधाधुंध वनों की कटाई
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जैव विविधता का ह्रास
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बाँध और खनन
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प्राकृतिक आवास का विनाश
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शहरीकरण और सड़क निर्माण
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वनों का टुकड़ों में बँट जाना
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कृषि विस्तार और प्लांटेशन
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मूल वनस्पति को नुकसान
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जलवायु परिवर्तन
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स्थानिक प्रजातियों पर प्रभाव
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संरक्षण के प्रयास (Conservation Efforts)
- गाडगिल समिति (WGEEP) – 2011
- पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान की
- विकास गतिविधियों पर नियंत्रण की सिफारिश की
- कस्तूरीरंगन समिति – 2013
- अपेक्षाकृत व्यवहारिक सिफारिशें दीं
- 37% क्षेत्र को इको-सेंसिटिव ज़ोन घोषित करने का सुझाव
- UNESCO World Heritage Status – 2012
- जैव विविधता संरक्षण को अंतर्राष्ट्रीय पहचान
प्रश्न :-हाल ही में खोजी गई ‘एलोग्राफा इफ्यूसोरेडिका’ किस प्रकार का जैविक जीव है?
(a) एक प्रकार का कवक
(b) एक प्रकार की लाइकेन
(c) एक प्रकार का शैवाल
(d) एक प्रकार की औषधीय वनस्पति
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