चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के लोकपाल ने एक नया आदर्श वाक्य "नागरिकों को सशक्त बनाएँ, भ्रष्टाचार को उजागर करें" अपनाया है। यह कदम लोकपाल की संस्थागत दृश्यता और जन-संपर्क को बढ़ाने के उद्देश्य से उठाया गया है।

क्या है लोकपाल?
- लोकपाल भारत का एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय (Statutory Body) है।
- इसकी स्थापना लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 (Lokpal and Lokayuktas Act, 2013) के अंतर्गत हुई थी।
- मुख्य कार्य है-
- केंद्र सरकार के उच्च पदाधिकारियों, मंत्रियों, और नौकरशाहों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायतों की निष्पक्ष जांच करना।
नया आदर्श वाक्य क्यों जरूरी था?
- लोकपाल संस्था की सार्वजनिक भूमिका को मजबूत करने और उसे जनता के निकट लाने हेतु यह बदलाव किया गया है।
- पुराने आदर्श वाक्य को अब नए लोक-उन्मुख और सक्रिय भागीदारी को दर्शाने वाले आदर्श वाक्य से प्रतिस्थापित किया गया है।
- नए आदर्श वाक्य के दो प्रमुख उद्देश्य हैं:
- नागरिक सशक्तिकरण:
- आम जनता को यह विश्वास देना कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हो सकते हैं।
- शिकायत दर्ज कराने की प्रक्रिया को सरल, सुलभ और पारदर्शी बनाना।
- भ्रष्टाचार का पर्दाफाश:
- सरकारी कार्यों में पारदर्शिता बढ़ाना।
- जवाबदेही तय करना।
लोकपाल की संरचना:
पद
|
विवरण
|
अध्यक्ष
|
एक सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश या सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश
|
सदस्य
|
अधिकतम 8 सदस्य (अधिकतम 50% न्यायिक पृष्ठभूमि से)
|
लोकपाल चयन समिति
|
प्रधानमंत्री (अध्यक्ष), लोकसभा अध्यक्ष, विपक्ष के नेता, CJI या नामित न्यायाधीश, एक प्रख्यात न्यायविद्
|
लोकपाल की शक्तियाँ व कार्य:
- भ्रष्टाचार से संबंधित शिकायतों की जांच करना।
- CBI को जाँच के आदेश देना।
- सरकारी अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश करना।
- रिपोर्ट संसद में प्रस्तुत करना।
प्रश्न. भारत के लोकपाल द्वारा 12 जून 2025 को कौन-सा नया आदर्श वाक्य अपनाया गया?
(a) “भ्रष्टाचार मुक्त भारत”
(b) “सत्य ही सेवा है”
(c) “नागरिकों को सशक्त बनाएँ, भ्रष्टाचार को उजागर करें”
(d) “जनता के लिए न्याय”
|