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आर्मीनिया और अज़रबैजान के मध्य नया शांति समझौता

(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 : वैश्विक घटनाक्रम)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, आर्मीनिया और अज़रबैजान के मध्यनया शांति समझौता सम्पन्न हुआ है।

पृष्ठभूमि

आर्मीनिया और अज़रबैजान के मध्य विवाद दक्षिण कॉकेशस स्थित नागोर्नो-काराबाख़क्षेत्र पर कब्ज़े को लेकर है। इस क्षेत्र में पिछले 6 सप्ताह से सैन्य संघर्ष जारी था। इसे हालिया वर्षों में सबसे गम्भीर संघर्ष माना जा रहा है। इस संघर्ष में लगभग 1200 से अधिक लोगों की मृत्यु हुई हैं तथा हज़ारों लोग विस्थापित हुए हैं।

नए शांति समझौते के प्रमुख बिंदु

  • नए समझौते के अनुसार दोनों पक्ष अब इस क्षेत्र में यथा स्थिति बनाए रखेंगे। इससे अज़रबैजान को लाभ होगा क्योंकि हालिया संघर्ष के दौरान अज़रबैजान ने इस क्षेत्र के 15-20% हिस्सा पर पुनः कब्ज़ा कर लिया है।

Line of Contact

  • साथ ही इस समझौते के तहत, सभी सैन्य अभियानों व कार्रवाईयों पर रोक लगा दी गई है और रूसी शांति सैनिकों को नागोर्नो-काराबाख़ में सम्पर्क रेखा (Line of Contact) तथा इस क्षेत्र को आर्मीनिया से जोड़ने वाले लाचिन गलियारे (Lachin corridor) के समानांतर पाँच वर्ष की अवधि के लिये तैनात किया जाएगा।
  • इसके अतिरिक्त शरणार्थी एवं आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्ति इस क्षेत्र में व आस-पास के क्षेत्रों में वापस आएंगे तथा दोनों पक्ष युद्ध बंदियों व शवों की भी अदला-बदली करेंगे।
  • गौरतलब है कि रूसी नियंत्रण में नखचिवन से अज़रबैजान तक एक नया कॉरिडोर भी खोला जाएगा।
  • इस शांति समझौते का आर्मीनिया में व्यापक विरोध हुआ है, जबकि अज़रबैजान ने इसे ‘ऐतिहासिक महत्त्व’ वाला समझौता कहा है।

रूस की मध्यस्थता और चिंता

  • दोनों देशों के मध्य यह शांति समझौता रूस की मध्यस्थता में हुआ है। इस पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, अज़रबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव और आर्मीनियाई प्रधानमंत्री निकोल पशिनान द्वारा हस्ताक्षर किये गए हैं।
  • सितम्बर में संघर्ष प्रारम्भ होने के बाद से दोनों पक्षों के बीच कई युद्धविराम समझौतों पर हस्ताक्षर किये गए परंतु अभी तक कोई भी सफल नहीं हुआ है।
  • इस संघर्ष में रूस की भूमिका कुछ हद तक अस्पष्ट है क्योंकि यह दोनों देशों को हथियारों की आपूर्ति करता है तथा आर्मीनिया के साथ उसका एक सैन्य गठबंधन है, जिसे सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (Collective Security Treaty Organization) कहा जाता है।

अन्य युद्धविराम समझौते

  • वर्ष 1994 के शांति समझौते के बाद भीइस क्षेत्र में नियमित रूप से तनाव बना रहा है। वर्ष 2016 हुआ चार-दिवसीय युद्ध भी रूस की मध्यस्थता से समाप्त हुआ था।
  • यूरोपीय सुरक्षा और सहकारिता संगठन (OSCE)मिंस्क ग्रुप ने भी कई वर्षों तक दोनों देशों के मध्य स्थाई शांति समझौते पर सहमति बनाने की कोशिश की है। विदित है कि फ्रांस, रूस और अमेरिका मिंस्क ग्रुप से सम्बंधित रहे हैं।
  • इस वर्ष अक्तूबर में भी रूस की मध्यस्थता से दोनों देशों के मध्य हुआ संघर्ष विराम समझौता भी असफल रहा था।

दोनों देशों के बीच संघर्ष में नृजातीयता की भूमिका

  • इस विवाद में दशकों पुराने नृजातीय तनावों की भूमिका महत्त्वपूर्ण रही है। वर्तमान में इस विवादित क्षेत्र में बहुसंख्यक आर्मीनियाई ईसाई आबादी निवास करती है, यद्यपि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इस क्षेत्र को मुस्लिम बहुल अज़रबैजान का हिस्सा माना जाता है।

हालिया संघर्ष का कारण

  • वर्तमान संघर्ष की शुरुआत 27 सितम्बर को हुई, जिसमें पहली बारदोनों देशोंमेंमार्शल लॉ की घोषणा की गई।
  • वारसॉ स्थित सेंटर फॉर ईस्टर्न स्टडीज (OSW) के अनुसार, सम्भावित रूप से संघर्ष में मौजूदा वृद्धि अज़रबैजान द्वाराकी गई थी।

नागोर्नो-काराबाख़ क्षेत्र

  • नागोर्नो-काराबाख़ क्षेत्र ट्रांस-कॉकेशिया या दक्षिण कॉकेशिया (जॉर्जिया और आर्मीनिया के पूर्वी यूरोप और पश्चिमी एशिया की सीमा पर दक्षिणी काकेशस पर्वत के आसपास का भौगोलिक क्षेत्र) का हिस्सा है।
  • इस क्षेत्र से गैस और कच्चे तेल की पाइपलाइनें गुज़रती है जिससे इस क्षेत्र के स्थायित्व को लेकर चिंता जताई जा रही है।

वर्तमान स्थिति

  • नागोर्नो-काराबाख़ को अंतर्राष्ट्रीय रूप से अज़रबैजान के हिस्से के रूप में मान्यता प्राप्त है परंतु इसका अधिकांश क्षेत्र आर्मीनियाई अलगाववादियों द्वारा नियंत्रित हैं।
  • अलगाववादियों ने इस क्षेत्र को ‘नागोर्नो-काराबाख़ गणतंत्र’ घोषित किया हुआ है। हालाँकि, आर्मीनियाई सरकार नागोर्नो-काराबाख को स्वतंत्र रूप से मान्यता नहीं देती है परंतु इस क्षेत्र को राजनीतिक और सैन्य रूप से समर्थन प्रदान करती है।
  • नागोर्नो-काराबाख़क्षेत्र सोवियत संघ के समय से अज़रबैजान का हिस्सा रहा है। 1980 के दशक में सोवियत संघ के पतन के साथ आर्मीनिया की क्षेत्रीय संसद ने इस क्षेत्र को आर्मीनिया को हस्तांतरण के लिये मतदान किया था।
  • वर्ष 1994 में रूस ने युद्ध विराम के लिये मध्यस्थता किया। हालाँकि, उस समय तक नृजातीय आर्मीनियाई लोगों ने इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया था।
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